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चोट की वजह से खेल नहीं पाए, अब देश की फुटबॉल टीम चुनेंगे

विजय गाहल्याण, पानीपत: दिवाना गांव के जोगेंद्र भौक्कर घुटने की चोट की वजह से देश की फुटबॉल टीम में न

By JagranEdited By: Published: Sun, 04 Feb 2018 02:22 AM (IST)Updated: Sun, 04 Feb 2018 02:22 AM (IST)
चोट की वजह से खेल नहीं पाए, अब देश की फुटबॉल टीम चुनेंगे
चोट की वजह से खेल नहीं पाए, अब देश की फुटबॉल टीम चुनेंगे

विजय गाहल्याण, पानीपत: दिवाना गांव के जोगेंद्र भौक्कर घुटने की चोट की वजह से देश की फुटबॉल टीम में नहीं खेल पाए लेकिन अब वे अंडर-19 फुटबॉल टीम के इंडिया के चयनकर्ता जरूर बन गए हैं। 8 से 11 फरवरी को मुंबई में होने वाली 63वीं अंडर-19 स्कूल नेशनल फुटबॉल चैंपियनशिप होगी। इसी प्रतियोगिता के उम्दा खिलाड़ियों का चयन कर जोगेंद्र सिंह देश की टीम तैयार करेंगे। यह टीम अप्रैल 2018 में स्कूल एशियन गेम्स में शिरकत करेगी।

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राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल उग्राखेड़ी के डीपीई जोगेंद्र ने बताया कि सपना देखा था कि वह देश की फुटबॉल टीम में खेले। राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में कई पदक भी जीते। लक्ष्य की ओर बढ़ ही रहा था कि घुटने में चोट लग गई और उम्मीद टूटी तो मैदान से किनारा कर लिया। फिर दोस्तों ने हौसला बढ़ाया कि देश की टीम में खेल नहीं पाया तो क्या हुआ ऐसे खिलाड़ी तो तैयार कर सकता है, जो देश के लिए खेलें। गांव में चार बीघा जमीन खरीदी और उसमें फुटबॉल मैदान बनाकर मजेस्टिक एकेडमी में निशुल्क ट्रेनिंग देकर सात सात में राज्य व राष्ट्रीय स्तर के 30 से ज्यादा खिलाड़ी तैयार कर दिए। गुरमीत सिंह वर्ष 2017 में स्कूल एशियन गेम्स में देश की टीम की कप्तानी कर चुका है।

जरूरतमंद खिलाडि़यों का हो रहा है भला : जिला फुटबॉल एसोसिएशन के उपप्रधान कर्ण सिंह पूनिया ने बताया कि जिले में एक दशक पहले शिवाजी स्टेडियम में फुटबॉल के सरकारी कोच थे। कोच का तबादला हो गया। उसके बाद न तो मैदान बचा और न कोई कोच आया। जोगेंद्र भौक्कर ने फुटबॉल एकेडमी खोली और अपने घर में ही खिलाडि़यों के लिए होस्टल बना दिया। यहां पर पंजाब के संगरूर, जींद, सफीदों, भिवानी, बापौली, दिवाना, पानीपत और सिवाह के आर्थिक रूप से कमजोर 100 खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। जोगेंद्र के साथ कोच केके सांगवान व प्रदीप कादियान खिलाडि़यों को ट्रेनिंग देते हैं। इसी का नतीजा है कि 2017 में प्रदेश की अंडर-17 टीम स्कूल गेम्स में पहली बार चैंपियन बनी। इसमें जोगेंद्र का शिष्य गुरजीत बेस्ट गोलकीपर चुना गया था।


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