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झारखंड की किशोरी ने मांगे सैंडल, कपड़े, मोबाइल फोन और रुपये

दिन-रात मेहनत कर इकट्ठा हुई दो माह की सेलरी, दो जोड़ी कपड़े, एक जोड़ी सैंडल और साधारण से मोबाइल फोन की कीमत उससे पूछो जिसे यह सब हासिल करने के लिए बहुत कठिनाई से गुजरना पड़ा हो। मॉडल टाउन, ओल्ड गैस गोदाम के पास एक घर से मुक्त कराई गई झारखंड निवासी किशोरी ने बाल कल्याण समिति को पत्र सौंपकर ये सामान दिलाने की मांग की है। किशोरी का कहना है कि जिस समय वह मुक्त कराई गई तो उसका ये सामान और 300 रुपये आरोपित के घर छूट गए थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 07:35 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 07:35 PM (IST)
झारखंड की किशोरी ने मांगे सैंडल, कपड़े, मोबाइल फोन और रुपये
झारखंड की किशोरी ने मांगे सैंडल, कपड़े, मोबाइल फोन और रुपये

जागरण संवाददाता, पानीपत : दिन-रात मेहनत कर इकट्ठा हुई दो माह की सेलरी, दो जोड़ी कपड़े, एक जोड़ी सैंडल और साधारण से मोबाइल फोन की कीमत उससे पूछो जिसे यह सब हासिल करने के लिए बहुत कठिनाई से गुजरना पड़ा हो। मॉडल टाउन, ओल्ड गैस गोदाम के पास एक घर से मुक्त कराई गई झारखंड निवासी किशोरी ने बाल कल्याण समिति को पत्र सौंपकर ये सामान दिलाने की मांग की है। किशोरी का कहना है कि जिस समय वह मुक्त कराई गई तो उसका ये सामान और 300 रुपये आरोपित के घर छूट गए थे।

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गौरतलब है कि गांव कोन्द्रेडेगा, जिला सिमडेगा, झारखंड निवासी रफेन फिरकेश की 14 वर्षीया पुत्री को मंजू नाम की महिला बहकाकर अपने घर ले गई थी। लड़की के माता-पिता को बताए बगैर वह उसे दिल्ली की सरिता विहार स्थित प्लेसमेंट एजेंसी संचालक सुनील राव के ठिकाने पर छोड़ गई। सुनील ने लड़की को मकान नंबर 508, मॉडल निवासी गुरनाम ¨सह पुत्र पाल ¨सह से 4000 रुपये प्रतिमाह मानदेय तय कर लड़की को जुलाई 2018 में पानीपत भेज दिया। किशोरी को मानदेय की रकम भी नहीं मिली और उसके माता-पिता से बात भी नहीं कराई जाती थी।

एक सप्ताह पहले बाल कल्याण समिति ने पुलिस की मदद से किशोरी को मुक्त कराया गया था। समिति की सदस्य किरण मलिक की की शिकायत पर पुलिस ने गुरनाम के खिलाफ 75 जेजे एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने मंजू और सुनील नाम एफआइआर में शामिल नहीं किया। अब लड़की ने घर जाने की जिद करते हुए, सेलरी और अपने सामान की मांग की है। किरण मलिक ने बताया कि पुलिस ने लड़की के बयान कोर्ट में नहीं कराए हैं। पहले पुलिस से पूछा जाएगा कि जांच पूरी हुई अथवा नहीं, इसके बाद एक टीम किशोरी को झारखंड के जिला सिमडेगा की बाल कल्याण समिति को सुपुर्द करने जाएगी।

आयु प्रमाण पत्र मिला

आधार कार्ड के हवाले से लड़की की आयु 18 वर्ष अधिक मानकर पुलिस आरोपितों के बचाव का प्रयास कर रही थी। बाल कल्याण समिति को लड़की का स्कूल सर्टिफिकेट मिल गया है। राज्य मध्य विद्यालय जोराम, सिमड़ेगा में लड़की कक्षा पांच तक पढ़ी है और उसकी जन्मतिथि 22 दिसंबर 2005 दर्ज है।

पुलिस जांच पर उठे ये सवाल

-मुकदमे में मंजू और सुनील का नाम क्यों नहीं शामिल किया गया।

-मुकदमे में आरोपित के खिलाफ 370 आइपीसी व अन्य धाराएं नहीं लगाई।

-लड़की के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज नहीं कराए गए।

-सात दिन बाद भी आरोपित को गिरफ्तार नहीं किया गया।

-लड़की को सरकारी वकील की मदद नहीं दिलाई गई।

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वर्जन :

इस केस में किशोरी के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान कराने जरूरी नहीं हैं, सिर्फ काउंसि¨लग होनी चाहिए। अभी मामले में जांच चल रही है। जो भी आरोपित होगा, उसका नाम मुकदमे में शामिल किया जाएगा।

अतर ¨सह, थाना प्रभारी, मॉडल टाउन

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वर्जन :

किशोरी के परिजनों की बाल कल्याण समिति के सदस्यों की बातचीत हुई है। परिजन कुछ पैसा मांग रहे हैं, उन्हें बुलवाया गया है। एक-दो दिन में हमारा समझौता हो जाएगा।

गुरनाम ¨सह, केस का आरोपित

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एक्सपर्ट की राय

गुरनाम, मंजू और सुनील के खिलाफ जेजे एक्ट के अन्य सेक्शन, मानव तस्करी की धारा 370 आइपीसी, श्रम कानून सहित सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। किशोरी के 14 दिन के अंदर मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान होने जरूरी हैं। इससे पहले काउंसिलिंग भी जरूरी है। पुलिस बयान न कराए तो सीडब्ल्यूसी करा सकती है। पीड़िता को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से कानूनी सहायता दिलानी चाहिए थी।

अजित ¨सह, एडवोकेट


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