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खिलाड़ियों को भा रही अपराध की दुनिया, पैसे के लालच में कर रहे क्राइम

पैसे के लालच में कई खिलाड़ी अपराध के दलदल में धंस रहे हैं। कबड्डी, कुश्ती, वालीबॉल और फुटबॉल के कई खिलाड़ी कुख्यात अपराधी बन चुके हैैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 08 Dec 2017 03:40 PM (IST)Updated: Fri, 08 Dec 2017 03:41 PM (IST)
खिलाड़ियों को भा रही अपराध की दुनिया, पैसे के लालच में कर रहे क्राइम
खिलाड़ियों को भा रही अपराध की दुनिया, पैसे के लालच में कर रहे क्राइम

पानीपत [विजय गाहल्याण]। नेशनल स्टाइल कबड्डी का स्टेट चैंपियन रहा सन्नी देव उर्फ कुक्की अब कुख्यात सरगना है। उस पर हत्या, लूट के दर्जनों के केस हैं। कभी फुटबॉल के मैदान में प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों को छकाने वाला पानीपत का प्रसन्न उर्फ लंबू कादियान शातिर अपराधी बन गया है। वालीबॉल खिलाड़ी रहे दिल्ली के जितेंद्र उर्फ गोगी के नाम से ही अब लोग कांप जाते हैं।  यह तो उदाहरण भर है। जो युवा कल तक अपने खेल के जरिये पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन करने का सपना देखते थे, आज कलंकित कर रहे हैं।

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कल तक जिनके खेल पर लोग तालियां बजाते थे, अब उनके नाम से थर्रा उठते हैं। पुलिस अधिकारी भी इसको लेकर चिंतित हैं कि आखिर खिलाड़ी अपराध के दलदल में क्यों धंसते जा रहे हैं?  पूर्व खिलाड़ियों की मानें तो  खेल में पिछडऩे और पैसे की चमक-दमक ने खिलाडिय़ों को अपराध की दुनिया में ला खड़ा किया।

शारीरिक मजबूती

खिलाड़ियों का शारीरिक रूप से मजबूत होना अपराधियों को आकर्षित करता है और वे इस जुगत में लगे रहते हैं कि कैसे किसी खिलाड़ी को अपने गैंग से जोड़ा जाए। खासतौर पर कुश्ती और कबड्डी के खिलाड़ियों की संख्या ज्यादा है जो अपराध के दलदल में फंस गए।

खेल भावना से उलट

हार को भी सहज तरीके से स्वीकार करने को ही खेल भावना कहा जाता है। यही कारण है कि जिस सपने के लिए खिलाड़ी अपना सबकुछ दांव पर लगा देते हैं, दिन-रात एक कर देते हैं, उसे हाथ से फिसलता देख भी वे आपा नहीं खोते और हार को सहज तरीके से स्वीकार करते हैं। यह दुर्लभ मानवीय गुण है जो सिर्फ खिलाड़ियों में होती है। ऐसा व्यक्ति जब पैसे के लिए अपराध की दुनिया में जाता है तो आश्चर्य और दुख होता है।

अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों पर भी लगे दाग

अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों पर हत्या और दूसरे मामले में दर्ज हुए हैं, लेकिन उनमें ज्यादातर आवेश में आकर की गई हत्याएं हैं। किसी आपराधिक गिरोह का हिस्सा बनने वाले खिलाड़ियों की संख्या नहीं के बराबर है। मशहूर क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू पर भी गैर इरादतन हत्या का केस चला था।

हरियाणा के ओलंपियन पहलवान के भाटी गैंग से कारोबारी रिश्ते

हरियाणा के एक ओलंपियन पहलवान और कुख्यात सुंदर भाटी गैंग के बीच कारोबारी रिश्ते उजागर होने से पुलिस भी सकते में है। भाजपा नेता शिव कुमार समेत तीन की हत्या में सोमवार को पकड़े गए सुंदर गैंग के शूटर नरेश तेवतिया और साजिशकर्ता अरुण यादव से पूछताछ में यह चौकाने वाली जानकारी एसटीएफ और नोएडा पुलिस को मिली है।

नोएडा के एसएसपी लव कुमार बताते हैं कि हरियाणा के ओलंपिक में पदक विजेता पहलवान के पास दिल्ली में एमसीडी टोल टैक्स वसूली का ठेका है। उसने यह काम सुंदर भाटी के भतीजे अनिल भाटी को सौंप दिया है। एमसीडी को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी जाएगी। साथ ही जरूरत पडऩे पर पहलवान से भी पूछताछ हो सकती है।

स्टेट चैंपियन बन गया गैंगस्टर

कुक्की गैंग का सरगना सन्नी देव उर्फ कुक्की नेशनल स्टाइल कबड्डी का स्टेट चैंपियन रहा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के लिए वह मेहनत कर रहा था कि तभी उसने हलालपुर विजय उर्फ बौदा गैंग से हाथ मिला लिया। कबड्डी छोड़ कर हत्या व लूट की वारदात कर डाली। उसके खिलाफ रोहतक, सोनीपत, जींद, पानीपत सहित जिलों में 11 मामले दर्ज हैं।

पहलवान संजीत बन गया शूटर

भटगांव का संजीत उर्फ घोलू कुश्ती में नाम कमा रहा था। इसमें उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली तो कुक्की गैंग में शामिल होकर शार्प शूटर बन गया। 6 जून 2017 को संजीत ने लालबत्ती के पास सोनीपत के आहुलाना के सतबीर पहलवान की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी। वह 30 जून 2016 को वह ऐलनाबाद कोर्ट के बाहर से पुलिस कस्टडी से भाग चुका है। इसके खिलाफ पानीपत, रोहतक, सोनीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र, जींद और सिरसा सहित कई जिलों में हत्या सहित कई संगीन मामले दर्ज हैं।

फुटबॉल में सफल नहीं हुआ तो थाम लिया हथियार

सिवाह गांव का प्रसन्न उर्फ लंबू फुटबॉल खेलता था। वह शर्मीला भी था। उसे फुटबॉल में सफलता नहीं मिली तो विजय गैंग से जुड़ गया। इसके बाद जींद, पानीपत व आसपास क्षेत्र में हत्या, डकैती की वारदातें करने लगा। उस पर पुलिस ने ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित किया। लंबू के इशारे पर 12 जुलाई 2017 को उसके गुर्गों ने पानीपत के तहसील कैंप के राकेश श्योकंद की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी।

वालीबॉल से मन भरा तो बना गया सरगना

दिल्ली का जितेंद्र उर्फ गोगी वालीबॉल का राष्ट्रीय खिलाड़ी था। उससे परिजनों को खासी उम्मीद थी कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वालीबॉल में नाम कमाएगा। गोगी का उठना-बैठना बदमाशों के साथ हो गया। उसने खेल छोड़कर आपराधिक वारदात करनी शुरू कर दी। उसने दिल्ली, सोनीपत, पानीपत व अन्य कई जगहों पर वारदात की। अभी भी वह पुलिस के गिरफ्त से दूर है।

रंगदारी में पकड़ा गया उभरता क्रिकेटर

हरियाणा क्रिकेट टीम में खेल चुके सुरजीत को पुलिस ने रंगदारी मांगने के मामले में पकड़ा था। पानीपत के बुड़शाम गांव का यह युवा ऑलराउंडर था। उसने दो साल तक रोहतक के लाहली में तेज गेंदबाजी और बल्लेबाजी सीखी। अथक मेहनत की तो प्रदेश की टीम से खेलना का मौका भी मिला। लेकिन अभ्यास के लिए अच्छे बल्ले, जूते व अन्य सामान की कमी पड़ गई। पिता अखबार बेचने का काम करते हैं। आर्थिक तंगी के कारण क्रिकेट छोड़ना पड़ा और पिता के साथ पिछले एक साल से अखबार बेचने लगा।

हसरत अच्छे पैसे कमाकर फिर से क्रिकेट खेलने की थी। इसके लिए उसने रास्ता मेहनत की बजाय अपराध का चुना। इससे उसके क्रिकेट में महारत हासिल करने के सपने भी धूमिल हो गए। कबड्डी के सचिव व कोच बुड़शाम गांव के राजेंद्र सिंह का कहना है कि सुरजीत क्रिकेट का उम्दा खिलाड़ी रहा है। सुरजीत से उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वे ऐसा कोई कार्य करेगा, जिससे उसे थाने का मुंह देखना पड़ेगा।

हत्या में पकड़ा गया था रग्बी खिलाड़ी

अंतरराष्ट्रीय रग्बी खिलाड़ी परमीत की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। आर्थिक तंगी के चलते वह अपराध के दलदल में फंस गया और एक दिन दिल्ली पुलिस ने उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा था कि परमीत दिल्ली के कुख्यात सोनू दरियापुर गैंग के लिए काम करता है। बताते हैं कि परमीत को अपना ऑपरेशन कराना था। उस समय उसने कुछ रुपयों का लोन लिया था लेकिन वह लोन चुका नहीं पाया। उस दौरान परमीत की संपर्क सोनू दरियापुर गैंग के लोगों से हुआ। कुछ समय बाद परमीत ने इन लोगों के साथ काम करना शुरू कर दिया।

दिल्ली में भी करते हैं अपराध

दिल्ली से सटे हरियाणा के जिलों के अपराधी दिल्ली में भी अपराध कर रहे हैं। इनमें कई अपराधी खिलाड़ी हैं। ये अपराधी रोहतक, सोनीपत, झज्जर, पानीपत और जींद जिले के हैं। हरियाणा में पुलिस का दबाव बढ़ जाता है तो ये दिल्ली के बाहरी क्षेत्र में शरण ले लेते हैं। वहां पुलिस शिकंजा कसती है तो वे फिर से हरियाणा में छिप जाते हैं। इसी वजह से इन अपराधियों को पकडऩा पुलिस के लिए चुनौती है।

देर से होता गलती का अहसास

हरियाणा पुलिस में डीएसपी पद से रिटायर हुए प्रेम चंद सैनी बताते हैं कि खिलाड़ी पैसा जल्द कमाने के फेर में अपराध की राह पर चल रहे हैैं, लेकिन यह रास्ता सलाखों के पीछे बंद हो जाता है। इसका उन्हें पहले अंदाज नहीं होता। जब फंस जाते हैं तब गलती का अहसास करते हैं।

गलत संगत बनती वजह

समाजशास्त्र के प्राध्यापक सतबीर मलिक की मानें तो खिलाड़ी का जीवन त्याग व तप का है। अच्छा खिलाड़ी वहीं होता है जो अपनी मेहनत को सफलता की सीढ़ी बनाता है। गलत संगत की वजह से खिलाड़ी अपराध कर देते हैं। जब तक उन्हें गलती का अहसास होता है तब तक वे अपराध की दुनिया में नाम कमा हो चुके होते हैं। इसके बाद उनमें सुधार करना मुमकिन नहीं है।

असफल होने पर खिलाड़ी पकड़ लेते है अपराध की राह

कुश्ती के अंतरराष्ट्रीय कोच रहे प्रेम सिंह आंतिल कहते हैं कि खिलाड़ी को कामयाब होने के लिए दिन-रात कड़ा अभ्यास करना पड़ता है। कई खिलाड़ी अभ्यास के बावजूद उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं हो पाते हैैं। इससे वे निराश हो जाते हैं और गलत संगत में पड़कर अपराध के रास्ते पर चल पड़ते हैं। जब तक परिवार को इसकी भनक लगती है तब तक देरी हो चुकी होती है। अभिभावकों को समय-समय पर खेल के मैदान में जाकर और कोच से बच्चे की जानकारी लेते रहना चाहिए। अगर बच्चा समय पर मैदान में नहीं जा रहे है तो उससे बात करें, ताकि वह गलत संगत से बच सके।

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