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125वें जगन्नाथ यात्रा महोत्सव का ध्वजारोहण से आगाज

जगन्नाथपुरी (ओड़िशा) में चार जुलाई को यात्रा निकाली जाती है। इसी दिन पानीपत में यात्रा निकाली जाएगी। भगवान जगन्नाथ को रथ पर सवार किया जाएगा। भव्य यात्रा के साथ जगन्नाथ भगवान अपनी मौसी के घर देवी मंदिर के लिए रवाना होंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Jun 2019 10:42 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 06:47 AM (IST)
125वें जगन्नाथ यात्रा महोत्सव का ध्वजारोहण से आगाज
125वें जगन्नाथ यात्रा महोत्सव का ध्वजारोहण से आगाज

जागरण संवाददाता, पानीपत : जगन्नाथ मंदिर में शनिवार को 125 वें जगन्नाथ यात्रा महोत्सव का आगाज हुआ। गणेश पूजन के बाद संगीतमयी सुंदरकांड की चौपाइयां गूंजी। स्वामी मुक्तानंद के सानिध्य में छह दिन तक चलने वाले इस भक्ति कार्यक्रम में पहले दिन सुबह मंदिर के सरपरस्त भूषण गुप्ता ने बतौर मुख्य यजमान पूजन किया। शहरी विधायक रोहिता रेवड़ी व स्वामी मुक्तानंद ने ध्वजारोहण किया। मुख्य अतिथि ने जगन्नाथ धर्मशाला का उद्घाटन किया गया।

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सनातन धर्म संगठन के प्रधान सूरज पहलवान, वेद प्रकाश व सुरेंद्र पुष्करणा सहित अन्य सदस्यों ने संगीतमयी सुंदरकांड का पाठ किया। करीब ढाई घंटे तक पाठ से वातावरण भक्तिमय हो गया। इस दौरान, स्वामी मुक्तानंद ने कहा कि सुंदरकांड रामायण का महत्वपूर्ण प्रसंग है। कोई भी कार्य शुरू करने से पहले सुंदरकांड का पाठ होता है। भगवान हनुमान इससे प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा बरसती है। मौसी के घर जाएंगे भगवान जगन्नाथ

जगन्नाथपुरी (ओड़िशा) में चार जुलाई को यात्रा निकाली जाती है। इसी दिन पानीपत में यात्रा निकाली जाएगी। भगवान जगन्नाथ को रथ पर सवार किया जाएगा। भव्य यात्रा के साथ जगन्नाथ भगवान अपनी मौसी के घर देवी मंदिर के लिए रवाना होंगे। मंदिर का इतिहास

पानीपत में जगन्नाथ मंदिर 1890 में बना। 1894 में लाला बलदेव जी पुरी में जगन्नाथ यात्रा देखने गए थे। उन्होंने वहां भव्य जगन्नाथ यात्रा देखी। पानीपत में भगवान के स्वरूप को लेकर आए। यहां उन्होंने लोगों से बात की कि वे पानीपत में जगन्नाथ भगवान की यात्रा निकालना चाहते हैं। सबने सहमति दे दी। तबसे पानीपत में जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत हुई। कई अखाड़े यात्रा से जुड़ गए। 1947, 1965 व 1971 के युद्ध के दौरान भी जगन्नाथ यात्रा निर्विघ्न निकलती रही। अनेक अखाड़े भी इसमें भाग लेते थे। दंगे में भी शांतिपूर्वक निकली यात्रा

मंदिर प्रधान राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि 1984 के दंगे के दौरान सभी धार्मिक कार्यक्रम पर प्रतिबंध था, लेकिन उस समय रामेश्वर दयाल दाता पोता वाले आगे आए। उन्होंने कहा कि यात्रा निकाली जाएगी। प्रतिबंध के बावजूद यात्रा निकाली गई। पुलिस मौके पर पहुंच गई, लेकिन यात्रा नहीं रोकी गई। पुलिस हमारे पीछे-पीछे रही और यात्रा आगे-आगे चलती रही। मंदिर में 125 वर्ष पुरानी प्रतिमा

125 वर्ष पूर्व पुरी से भगवान जगन्नाथ की जो प्रतिमा लाई गई थी वह आज भी मंदिर में विराजमान है। जगह-जगह लगे स्वागत द्वार

जगन्नाथ मंदिर से लेकर देवी मंदिर तक बाजारों को सजाया गया है। जगह-जगह तोरण द्वार लगाए गए हैं। ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में पहले विधायक रोहिता रेवड़ी, स्वामी मुक्तानंद, सूरज पहलवान, वेदप्रकाश शर्मा, सुरेंद्र पुष्करणा मीनाक्षी गुप्ता, सुशील गुप्ता, कन्हैया लाल, दलीप गुप्ता, लालचंद तायल, प्रदीप तायल, सुधीर जिदल, राजेंद्र गुप्ता, सोनू, भूषण गुप्ता सपरिवार शामिल रहे। आज लगेगा रक्तदान शिविर

सेना की सहायता के लिए महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को कैलाशी सेवा समिति के सहयोग से रक्तदान शिविर लगाया जाएगा। सुबह नौ बजे से शाम तीन बजे तक शिविर लगेगा। रंग में भंग डाल सकती है अव्यवस्था

भगवान जगन्नाथ यात्रा के इतने बड़े आयोजन में निगम प्रशासन की तैयारियां सवालों के घेरे में है। जिस रास्ते से रथयात्रा जाएगी वहां की सड़कें टूटी पड़ी हैं। अमरभवन चौक पर पूलिया टूटने के कारण हादसे हो रहे हैं। यात्रा के आयोजकों ने नगर निगम से पुलिया ठीक करवाने की मांग भी की है। जगन्नाथ मंदिर से देवी मंदिर तक स्ट्रीट लाइट व्यवस्था भी ठीक नहीं चल रही है। काफी श्रद्धालु नंगे पैर यात्रा में भाग लेते हैं। उनके पैरों में सड़क पर पड़ी बजरी चुभेगी।


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