Move to Jagran APP

काश! बेटा ट्रेन से ना ही उतरता

समालखा स्टेशन पर केडीएम ट्रेन से उतरने के बाद दोबारा चढ़ते समय ट्रेन की चपेट में आ गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 08:48 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:48 AM (IST)
काश! बेटा ट्रेन से ना ही उतरता
काश! बेटा ट्रेन से ना ही उतरता

फोटो संख्या - 65

loksabha election banner

फ्लैग

- समालखा स्टेशन पर केडीएम ट्रेन से उतरने के बाद दोबारा चढ़ते समय चपेट में आने से छात्र की मौत

--------

क्रासर

-सोनीपत के राजलू गढ़ी आइटीआइ में वेल्डर ट्रेड का छात्र था अमन

-सूचना मिलने पर बड़ा भाई और पिता पहुंचे स्टेशन

--------

रामकुमार कौशिक, समालखा

काश! मेरा अमन ट्रेन से ना उतरता तो उसकी जान न जाती। मैंने उसे 18 साल तक पाल-पोश कर पढ़ाया-लिखाया। उसकी छोटी सी भूल ने उसे हमेशा के लिए छीन लिया। यह रुंदन-क्रंदन उस सत्यवान का, जिसका जवान बेटा ट्रेन की चपेट में आकर मौत की नींद सो गया। बिलखता पिता पटरियों के बीच पड़े शव को देख वहीं बार-बार बेसुध हो रहा था। लोगों ने जैसे-तैसे उठाकर प्लेटफार्म पर बैठाया। बिलखते सत्यवान ने कहा कि वह मेहनत कर बेटे को कुछ बनाने के लिए आइटीआइ में पढ़ा रहा था, लेकिन परमात्मा को यह मंजूर न था। अमन के छोटे भाई का भी रो-रो कर बुरा हाल था

नारायणा गांव का अमन (18) सोनीपत के गांव राजलूगढ़ी स्थित आइटीआइ में वेल्डर का कोर्स कर रहा था। वह हर रोज ट्रेन में सवार होकर पढ़ने जाता था। गुरुवार सुबह भी हंसी-खुशी घर से निकला था। सुबह 7:45 बजे केडीएम पैसेंजर ट्रेन समालखा स्टेशन पर रुकी। अमन ट्रेन में चढ़ गया, लेकिन तुरंत उतर भी गया। इसी दौरान ट्रेन चल पड़ी और वह फिर चढ़ने लगा। इस बार पैर फिसल गया और ट्रेन और प्लेटफार्म के बीच में फंस गया। कई फीट तक घसीटता हुआ चला गया। नीचे गिरते ही पहिये की चपेट में आ गया। यात्रियों ने चालक को आवाज लगा ट्रेन रुकवाई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अमन की सांसे थम चुकी थी। सूचना मिलने पर जीआरपी के एएसआइ सुरेश कुमार ने बताया कि मृतक की जेब से मिले कागजातों के आधार पर पहचान के बाद मामले की सूचना उसके परिजनों को दी। पिता सत्यवान के बयान पर 174 की कार्रवाई की गई।

----------

बार-बार बेसुध हो रहा था पिता

घटना की सूचना जैसे ही सत्यवान को मिली वह छोटे बेटे को लेकर तुरंत स्टेशन पहुंचे। वहां का मंजर देख उनकी आंखे फटी की फटी की रह गई। पटरियों के बीच पड़े शव को पास पहुंचे तो बेसुध हो गए। होश आया तो फिर विलाप करने लगे। इस तरह वह कई बार बेसुध हुए। लोगों ने ढांढ़स भी बंधाया, लेकिन बेटे का गम कम न हो पाया। गांव में शव पहुंचा तो हर ग्रामीण की आंखें नम हो गई।

-----------

सोचा था, बेटा बनेगा सहारा

सत्यवान ने बताया कि उसके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा अमन आइटीआइ में वेल्डर का कोर्स कर रहा था। छोटा बेटा अंकित गांव के ही स्कूल में 12वीं में पढ़ रहा है। अमन परीक्षा के लिए रोल नंबर के लिए घर से गया था। परीक्षा के बाद वह कहीं किसी कंपनी में नौकरी करता तो उसका सहारा बनता, लेकिन कुदरत को यह मंजूर न था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.