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धूल, धुएं के साथ टेक्नोलॉजी भी स्मॉग का कारण

आइबी पीजी कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने टेक्नोलॉजी को भी स्मॉग का कारण बताया। विज्ञान में बहु-विषयक दृष्टिकोण वर्तमान रुझान और भविष्य की संभावना विषय पर विचार रखे गए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 09:53 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 09:53 AM (IST)
धूल, धुएं के साथ टेक्नोलॉजी भी स्मॉग का कारण
धूल, धुएं के साथ टेक्नोलॉजी भी स्मॉग का कारण

जागरण संवाददाता, पानीपत : आइबी पीजी कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने टेक्नोलॉजी को भी स्मॉग का कारण बताया। 'विज्ञान में बहु-विषयक दृष्टिकोण : वर्तमान रुझान और भविष्य की संभावना' विषय पर विचार रखे गए। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के लगभग 300 प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए। विज्ञान संकाय के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय भौतिकी विज्ञान एकेडमी इलाहाबाद और इंटेलेक्चुअल सोसाइटी फॉर सोशियोटेक्नो वेलफेयर, गाजियाबाद के संयुक्त सहयोग से एक दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के डीन ऑफ कॉलेज डॉ. रजनीश शर्मा मुख्य अतिथि रहे। कुवि के विज्ञान संकाय के डीन एवं इंजीनियरिग और प्रौद्योगिकी संकाय के डीन डॉ. श्याम कुमार ने शिरकत की। आइबी कॉलेज के उप-प्रधान अशोक नागपाल, महासचिव एलएन मिगलानी व प्राचार्य डॉ. अजय कुमार गर्ग ने तुलसी का पौधा व समृति चिह्न भेंटकर स्वागत किया।

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दिल्ली विवि के प्रोफेसर आरपी टंडन ने नैनो टेक्नोलॉजी पर बताया कि यह टेक्नोलॉजी देश के विकास में बहुत सहायक है। आने वाला समय इसी का है। एनआइटी कुरुक्षेत्र के प्रोफेसर आरपी चौहान ने नैनो मैटीरियल के सिथेसेस और प्रॉपर्टीज के बारे में बताया। पंजाब इंजीनियरिग कॉलेज की प्रोफेसर सुचेता दत्त ने क्रिप्टोग्राफी और कोडिग विषयों पर जानकारी दी। वैलेडिक्ट्री सत्र के मुख्यातिथि डॉ. श्याम कुमार ने साइंस के विकास और रोजगार की संभावनाओं के बारे में बताया। प्राचार्य डॉ. अजय कुमार गर्ग ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में विज्ञान के क्षेत्र में हुई नई प्रगति के बारे में पता चलता है। डॉ. बीडी वशिष्ठ, डॉ. अनुपम अरोड़ा, डॉ. अनिल कुमार ने शोधकर्ताओं की पोस्टर प्रस्तुति का अवलोकन किया। डॉ. कृष्णकांत और डॉ. रितु महाजन ने शोधकर्ताओं के ओरल प्रेजेंटेशन में अध्यक्षता की। मंच संचालन डॉ. निधान सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ. मधु शर्मा, प्रो. पीके नरूला, डॉ. इशाक, प्रो. रंजना, प्रो. ईरा गर्ग, प्रो. सोनिया, डॉ. निधान, डॉ. अर्पणा गर्ग, प्रो. अतुल अहुजा और प्रो. मनीष मौजूद रहे। कोट्स फोटो-19-बी

मैकेनाइजेशन से विकास के साथ समस्या भी बढ़ी

कुवि के डीन ऑफ कॉलेज प्रो. डॉ. रजनीश शर्मा ने विज्ञान के क्षेत्र की चुनौतियों एवं संभावनाओं के बारे में बात रखी और समाधान बताए। उन्होंने कहा कि हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नीली क्रांति के साथ आइटी क्रांति आई। यह विज्ञान से ही संभव हो पाया है। इससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या जरूर बढ़ी है। यह सब मैकेनाइजेशन से हुआ है। आज स्मॉग बड़ी चुनौती है। कुछ किसान लापरवाही में पराली जला देते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। रेलवे की तरह इस सेक्टर को बिजली आधारित करने की जरूरत है। स्मॉग के एक नहीं कई कारण हैं। गिरगिट का उदाहरण देकर बताई स्मार्ट मैटीरियल की खासियत

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एनआइटी कुरुक्षेत्र से रिटायर प्रो. एसके चक्रवर्ती ने स्मार्ट मैटीरियल एंड सिस्टम पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने गिरगिट का उदाहरण देकर विषय की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रकृति में स्मार्टनेस है। वैज्ञानिकों ने इस तरह के यंत्र बनाने का प्रयास किया। मिट्टी में रेडोन गैस की मात्रा फेफडों का कैंसर देती

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अग्रवाल महाविद्यालय बल्लभगढ़् के प्राचार्य कृष्णकांत ने रेडियो एक्टिविटी पर अपनी बात रखी रखी। उन्होंने कहा कि मिट्टी, हवा व पानी में रेडियो एक्टिविटी होती हैं। ये रेडोन गैस होती हैं। इसकी मात्रा निश्चित सीमा से अधिक होने पर फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकती है। इसके कई शोध प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम और नूंह में रेडोन गैस की मात्रा को मापा है। यहां गैस की मात्रा निश्चित सीमा से काफी कम है। जबकि भिवानी व तोशाम की तरफ जमीन में रेडोन गैस की मात्रा सामान्य से कुछ अधिक है। यह सब चट्टानों की वजह से है।


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