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नीरज पर नाज, कभी फेंकने के लिए भाला नहीं था, अब पीएमओ तक पहुंचेगी उनकी डाॅक्यूमेंट्री

पानीपत का ये खिलाड़ी किसी पहचान का मोहताज नहीं है। बात कर रहे हैं अंतरराष्‍ट्रीय जैवलिन प्‍लेयर नीरज चोपड़ा की। कभी खेलने के लिए भाला तक नहीं था। अब उनकी डॉक्‍यूमेंट्री पीएमओ तक पहुंचेगी। ओलंपिक से पहले जारी कर युवाओं को प्रेरित करेंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 11:44 AM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 11:44 AM (IST)
नीरज पर नाज, कभी फेंकने के लिए भाला नहीं था, अब पीएमओ तक पहुंचेगी उनकी डाॅक्यूमेंट्री
अंतरराष्‍ट्रीय जैवलिन प्‍लेयर नीरज चोपड़ा पर डॉक्‍यूमेंट्री।

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। पानीपत के खंडरा गांव के नीरज चोपड़ा देश के स्टार जैवलिन थ्रोअर हैं। ओलंपिक में पदक के मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उनकी उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की ओर से उन पर डाक्यूमेंट्री बनाई जा रही है। साई की मुंबई से आई सात सदस्यीय टीम ने अर्जुन अवार्डी नीरज के गांव और शिवाजी स्टेडियम में फोटो शूट किए।

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नीरज के बचपन की शरारतों की तस्वीरें, परिवार के संघर्ष और सफलता हासिल करने के दृश्यों को कैमरे में रिकार्ड किया। ये डाक्यूमेंट्री प्रधानमंत्री कार्यालय भेजी जाएगी। जुलाई में जापान में होने वाले ओलंपिक खेलों से पहले डाक्यूमेंट्री प्रसारित की जाएगी। इसके जरिये युवाओं की खेलों के प्रति, खासकर एथलेटिक्स में रूचि बनाने का प्रयास किया जाएगा।

इस मुकाम तक पहुंचने के लिए नीरज व उनके परिवार को आर्थिक दिक्कत का भी सामना करना पड़ा है। 2011-12 में नीरज शिवाजी स्टेडियम में अभ्यास के लिए पहुंचे तो जैवलिन नहीं थी। किसान पिता सतीश चोपड़ा की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि 50 हजार रुपये की जैवलिन खरीद सकें। इसलिए बेटे के लिए सात हजार रुपये की जैवलिन खरीदी ताकि अभ्यास में टूट भी जाए तो ज्यादा परेशानी न हो। बेटे को भी परिवार की हालत के बारे में बखूबी जानकारी थी। इसलिए दिन-रात कड़ा अभ्यास किया। चोट से भी जूझा। अब उनके नाम अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप, एशियन और कामनवेल्थ गेम्स के स्वर्ण पदक सरीखे पदक हैं। इंडिया के जूनियर, यूथ से लेकर सीनियर तक सभी रिकार्ड नीरज के नाम हैं। आज नीरज के पास अभ्यास के लिए तीन से पांच लाख रुपये की कीमत की जैवलिन हैं।

कोच जीतू ने दी ट्रेनिंग

जैवलिन थ्रो के ट्रेनर और नीरज चोपड़ा के सबसे पहले कोच माडल टाउन के जितेंद्र कुमार उर्फ जीतू जागलान से साई की टीम शिवाजी स्टेडियम में मिली। यहां पर जीतू ने नीरज के डमी (बालरूप) खिलाड़ी को जैवलिन की ट्रेनिंग दी। बार-बार सिखाने के बावजूद खिलाड़ी को फटकार भी लगाई। तकनीक में सुधार भी कराया।

कंधे की मजबूती और स्पीड है नीरज की सफलता का मंत्र

ट्रेनर जितेंद्र जागलान ने बताया कि नीरज शिवाजी स्टेडियम में पहली बार आए थे तो उम्र के हिसाब से वजन ज्यादा था। फिटनेस पर ध्यान देने और जैवलिन करने की सलाह दी थी। बास्केटबाल खेलते हुए दूसरे खिलाड़ी ने धक्का दिया तो पर कलाई में फ्रेक्चर आ गया था। कई महीने ट्रेनिंग से दूर रहे। कंधे की मजबूती, स्पीड और जंप नीरज की ताकत है।

बेटे ने नाम रोशन कर दिया

साई की टीम ने खेत में नीरज के पिता सतीश चोपड़ा के बुग्गी से खेत में जाते और घास काटने का वीडियो शूट किया। सतीश बताते हैं कि बेटे ने खेल में कामयाबी हासिल कर उनका व परिवार का नाम रोशन कर दिया है। बेटा इसी तरह से मेहनत करे और ओलंपिक में पदक जीते। बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनके तीनों भाइयों व कोचों का अहम योगदान रहा है।

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