Move to Jagran APP

International Museum Day: देश का एकमात्र श्रीकृष्ण संग्राहलय, जहां रखे हैं द्वारका नगरी के अवशेष

International Museum Day हरियाणा में देश का इकलौता श्रीकृष्ण संग्रहालय है। यहां द्वारका मथुरा और 48 कोस कुरुक्षेत्र का संग्रह रखा गया है। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा ने 13 अप्रैल 1987 को कुरुक्षेत्र में लघु श्रीकृष्ण संग्रहालय स्थापित किया था।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 03:54 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 03:54 PM (IST)
International Museum Day: देश का एकमात्र श्रीकृष्ण संग्राहलय, जहां रखे हैं द्वारका नगरी के अवशेष
International Museum Day: श्रीकृष्ण संग्रहालय में द्वारका से लाया गया संग्रह।

कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र, भगवान श्रीकृष्ण ने यहां धर्म की जीत के लिए अर्जुन को नीमित कर गीता का उपदेश दिया था। इसी धरती पर उनके नाम से देश का इकलौता श्रीकृष्ण संग्रहालय स्थापित है। यहां न केवल कुरुक्षेत्र और महाभारत, बल्कि मथुरा और द्वारका का भी संग्रह है। श्रीकृष्ण संग्रहालय में कुरुक्षेत्र, मथुरा और द्वारका के संग्रह से पूरा एक गैलरी बनाई कई है। इसका नाम भी पुरातात्विक गैलरी रखा है। इस गैलरी में आकर कुरुक्षेत्र के साथ मथुरा और द्वारका के बारे में भी जान सकते हैं।

loksabha election banner

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा ने 13 अप्रैल 1987 को कुरुक्षेत्र में लघु श्रीकृष्ण संग्रहालय स्थापित किया था। इसके बाद संग्रह बढ़ गए तो नई बिल्डिंग की जरूरत पड़ी। 28 जुलाई 1991 में नई बिल्डिंग में संग्रहालय शिफ्ट किया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने इसका उद्घाटन किया था। 1995 में दूसरा ब्लाक और 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने तीसरे ब्लाक का उद्घाटन किया। श्रीकृष्ण संग्रहालय में तीन ब्लाक और नौ गैलरी हैं। इसमें देश की करीब पांच हजार वर्ष पुरानी कला, चित्रकला शैली और पुरातत्व गैलरी को संजोकर रखा गया है। मथुरा और द्वारका से श्रीकृष्ण से जुड़ा संग्रह भी है।

चार स्थान श्रीकृष्ण से जुड़े

श्रीकृष्ण संग्रहालय के आर्टिस्ट बलवान सिंह नेे बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन मथुरा, उज्जैन द्वारका और कुरुक्षेत्र से जुड़ा हुआ है। मथुरा उनका बाल्यकाल रहा। उन्होंने उज्जैन के संदीपनी आश्रम में शिक्षा दीक्षा ग्रहण की। उनका आगे का जीवन द्वारका में बीता। महाभारत के 18 दिन कुरुक्षेत्र में रहे। उन्होंने मोह में फंसे अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। बताया जाता है कि श्रीकृष्ण का यह जीवन करीब 120 वर्ष था।

श्रीकृष्ण के देवलोक में जाते ही डूब गई थी द्वारका

पुरात्वविद राजेंद्र सिंह राणा ने बताया कि दुर्योधन का वध होने के गांधारी ने श्राप दिया था कि उसके कुल की तरह उनकी नगरी में ध्वस्त होगी। बताया जाता है कि श्रीकृष्ण भगवान देवलोक चले गए तो उनके जाते ही द्वारका नगरी समुद्र में समा गई। श्रीकृष्ण और द्वारका नगरी के बारे में सवाल उठने लगे तो यहां समुद्र और धरती पर उत्खनन किया गया।

मुहर और भांड मिले थे

समुद्र उत्खनन में शंख की चूड़ी, टुकड़े, दो लंगर (नांव रोकने के लिए पत्थर के विशेष रूप से तलाशे टुकड़े), मुहर और भांड मिले थे। मुहर मिलने पर उस समय भी व्यापार के सबूत मिले हैं। इसके अलावा 15-20 मीटर नीचे पत्थरों की दीवर मिली है। यह काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक एसआर राव की देखरेख में किया गया था। इसमें से कुछ संग्रह श्रीकृष्ण संग्रहालय में लाया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.