हरियाणा विधानसभा में बजट 2020-21: उद्योग नगरी मांगे मोर
कुछ ही देर में हरियाणा विधानसभा में बजट 2020-21 पेश किया जाएगा। पानीपत के कारोबारियों को इस बजट को काफी उम्मीदें हैं। यहां 20000 छोटे बड़े उद्योग लगे हैं।
पानीपत, जेएनएन। कुछ ही देर में विधानसभा में आज हरियाणा का बजट पेश किया जाएगा। उद्योग जगत से लेकर मध्यम वर्गीय लोगों को इस बजट का इंतजार रहता है। बजट में टैक्स कितना बढ़ाया गया। विकास के बड़े प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की कौन कौन सी योजना है। सरकार इन योजनाओं पर कितना खर्च करेगी। इन पर सकी निगाहें होती हैं। सीएम ने बजट प्रस्तुत करने से पहले विधायकों से अपने क्षेत्र के लोगों से बातचीत कर सुझाव भी लिए। विधानसभा सदन में इन सुझावों को रखा गया। वित्त विभाग सीएम मनोहर लाल के पास होने से पानीपत के लोगों को काफी अपेक्षाएं हैं। दैनिक जागरण की टीम ने बजट पेश होने से पहले प्रत्येक सेक्टर की जरूरतों के बारे में लोगों से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश:-
औद्योगिक विकास के लिए बजट में 828 करोड़ का इंतजार
टेक्सटाइल नीति के लिए बजट में 828 करोड़ का प्रावधान होना है। उद्यमियों को उम्मीद है कि टेक्सटाइल पॉलिसी के लिए सीएम बजट का प्रावधान जरूर करेंगे। इससे नए उद्योग लगाने का रास्ता साफ होगा। उद्योगों को ऋण के ब्याज पर 8 प्रतिशत तक छूट का प्रावधान टेक्सटाइल पॉलिसी में किया गया है। दो करोड़ तक के इसेंटिव उद्योग को मिल सकेंगे। बजट नहीं मिलने के कारण वर्ष 2019 में टेक्सटाइल नीति लागू नहीं हो सकी। पानीपत टेक्सटाइल का हब है। इसीलिए सबसे बड़ा फायदा यहां के उद्योगों को होगा। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
पानीपत में 20,000 छोटे बड़े उद्योग लगे हैं। यहां का निर्यात कारोबार 10 हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। टेक्सटाइल पॉलिसी के लागू होने से निर्यात दोगुना होने व घरेलू मार्केट का कारोबार भी बढ़ेगा। वर्तमान समय में चीन में कोरोना वायरस होने के कारण यहां के टेक्सटाइल उद्योगों की बढऩे की उम्मीद भी अधिक है। बजट में टेक्सटाइल पॉलिसी के फंड की घोषणा की जानी चाहिए।
पावर टैरिफ में मिलेगी राहत
बिजली निगम प्रॉफिट में है। लाइन लॉस 21 फीसद से भी कम हो चुका है। ऐसे में बजट में बिजली की दरें कम होने की उम्मीद है। अभी उद्योग को 7.80 रुपये प्रति यूनिट बिजली का चार्ज देना होता है। उद्यमियों की मांग है कि इसे सात रुपये हो। अन्य राज्यों की अपेक्षा प्रदेश में उद्योगों को बिजली महंगी मिल रही है। बिजली की दरें कम होने से उद्योगों का बढ़ावा मिलेगा। बिजली की दरें कम होने से उत्पादन सस्ता होगा। यहां मांग बढ़ेगी। अधिक उत्पादन का रास्ता खुलने से रोजगार में इजाफा होगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए होगा बजट में प्रावधान
उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत होना जरूरी है। खस्ताहाल सड़कें बनने से उत्पादित माल की आवाजाही में आसानी होगी। स्टेट बजट से उम्मीद है कि औद्योगिक शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बजट में प्रावधान होगा। औद्योगिक सेक्टर 25-29 में सड़के गड्ढे बन चुकी है। ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया में भी सड़कें टूटी पड़ी है। विदेशों में औद्योगिक सेक्टर में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत है। सड़के अच्छी होने से तेजी से माल की आवाजाही होगी। पानीपत में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया जाना चाहिए। टेक्सटाइल मशीनरी व हैंडलूम कलस्टर पानीपत में बनाया जाना है। इनके लिए भी बजट नहीं मिल रहा है। पानीपत में टेक्सटाइल मशीनरी क्लस्टर के निर्माण के लिए बिङ्क्षल्डग बनकर तैयार हो चुकी है। 50 करोड़ के बजट का इंतजार है। टेक्सटाइल पार्क के लिए भी बजट में प्रावधान होने की उम्मीद है।
जेडएलडी से पर्यावरण सुरक्षा
स्टेट बजट में पानीपत में पर्यावरण सुरक्षा, भूजल दोहन रोकने के लिए अलग से प्रावधान होगा। उद्योगों में पानी को री-साइकिल करने के लिए 800 करोड़ का जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) लगाया जाना है। फाइनेंस की कमी में यह प्रोजेक्ट लंबित है। प्रोजेक्ट की डीपीआर हशविप्रा विभाग ने तीन साल पहले स्वीकृति के लिए भेजी थी। उम्मीद है कि जेडएलडी के लिए घोषणा की जाएगी। विदेशों से आने वाले खरीदार दिल्ली तक आते हैं। माल डिस्पले करने के लिए कई वर्षों से एग्जीबिशन हॉल बनाने की मांग को भी मंजूरी मिल सकती है।
जर्जर स्कूलों के लिए 50 करोड़ का प्रावधान हो सकता है
पानीपत में 428 सरकारी स्कूल हैं। कक्षा प्रथम से आठवीं तक की संख्या 222 है। इन स्कूलों में कहीं भवन जर्जर हैं, कहीं बच्चों के बैठने की सुविधाएं नहीं हैं। इन भवनों के लिए 50 करोड़ से अधिक बजट में प्रावधान किए जाने की जरूरत है। वर्ष 2015-19 के बजट में शहर में एक सरकारी गल्र्स कॉलेज बनाने की मांग पूरी नहीं हुई है। शिक्षा जगत को उम्मीद है कि इस बार के बजट में सीएम उनकी अपेक्षाओं पर खड़े जरूर उतरेंगे।
स्टेडियमों को मिलें कोच, रुकेगा खिलाडिय़ों का पलायन
पांच एकड़ में फैले शिवाजी स्टेडियम में महज नौ कोच हैं और एक हजार से अधिक खिलाड़ी। स्टेडियम में साइकिल ट्रैक नहीं है। एथलेटिक्स ट्रैक पर धूल उड़ती है। क्रिकेट मैदान भी बदहाल है। बैडङ्क्षमटन हॉल में बॉङ्क्षक्सग का अभ्यास होता है। एक कमरे में वेट लिङ्क्षफ्टग की खिलाड़ी अभ्यास करते हैं। स्टेडियम से लेकर मिनी स्टेडियमों में कोचों की कमी है। इसी कारण खिलाड़ी सोनीपत, पंचकूला और हिसार में अभ्यास करने को मजबूर हैं। खिलाडिय़ों को उम्मीद है कि बजट में कोच और खेल के सामानों के लिए 30 से 50 करोड़ रुपये का प्रावधान होना चाहिए।
आबादी 14 लाख, रोडवेज बेड़े में 120 बसें
परिवहन की सुविधा के लिए 120 बसें उपलब्ध है। शहर की जनसंख्या 14 लाख पार कर चुकी है। एक दशक पहले हुए सर्वे के आधार पर बेड़े में 160 बसों को शामिल करने की मंजूरी मिली थी। बसों की संख्या बढऩे की बजाए घटती जा रही है। बस स्टैंड को शहर से बाहर शिफ्ट करने और सेक्टर 13-17 में बनने वाले डिपो के लिए बजट की जरूरत होगी। किलोमीटर स्कीम के तहत बेड़े में शामिल हुई 20 बसों को लोग विभाग के निजीकरण की पहली सीढ़ी मान रहे हैं। लोकल रूटों के लिए मिलने वाली मिनी बसों की मांग अधूरी है। सरकार इस बजट में 1000 मिनी बसें खरीदने का प्रावधान करेगी। पानीपत को 30 बसें मिलने की उम्मीद है।
मरीजों के जख्मों पर मरहम
200 बेड का सामान्य अस्पताल बन गया। लेकिन सुविधाओं का अभाव है। चिकित्सकों की कमी है। स्वास्थ्य क्षेत्र में भारी भरकम बजट मिलने से ही सुधार होने की उम्मीद है। ओपीडी में यहां प्रतिदिन औसतन 400-500 मरीज उपचार कराने आते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कवि, सींक, इसराना, मांडी, चुलकाना, पट्टीकल्याणा, आट्टा, सिवाह, उझा, उग्राखेड़ी, काबड़ी और रेरकलां में डॉक्टरों की कमी है। समालखा में 100 बेड के अस्पताल में नाम मात्र की सुविधाएं है।
मेडिकल कॉलेज भी खुले
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी नवंबर 2017 में इस प्रकार की घोषणा कर चुके हैं। ये मेडिकल कॉलेज उन जिलों में खुलने हैं जहां पहले से 200 बेड का जिला अस्पताल है। पानीपत का सिविल अस्पताल 200 बेड का है लेकिन घोषणा पर अभी कोई पहल नहीं की गई है।
आय दोगुनी करने की आस
पानीपत के 58 हजार किसानों को भी इस बजट से आस लगाएं हैं। सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है। उम्मीद है कि बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए खास प्रावधान किया जाए। कृषि कार्यों के लिए बिजली की सस्ती दरों का बजट में प्रावधान जरूरी है।
गो सेवा के लिए अलग से फंड
बेसहारा गोवंशों को गोशाला में संरक्षण देने के लिए बजट चाहिए। पानीपत के नैन गांव में 52 एकड़ में गो अभ्यारण्य बनाया गया है। गायों की संख्या 4-5 हजार है। लेकिन अभ्यारण्य में इन गायों को खिलाने के लिए चारा व मौसम की मार से बचाने के लिए शेड नहीं है। बिजली पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। बीमार पशुओं के उपचार का संकट है। बजट में गोशालाओं के लिए अलग से फंड का इंतजाम किया जा सकता है।