विजय दिवस 2021 : भारत-पाक युद्ध 1971 में अंबाला से एयर अटैक ने उड़ा दी थी पाकिस्तान की नींद
आज विजय दिवस है। भारत-पाक युद्ध 1971 में खड्गा कोर ने बांग्लादेश गठन में अहम भूमिका निभाई थी। अंबाला से एयर अटैक ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी थी। मेजर विजय रतन हुए थे शहीद। खड्गा कोर ने पूर्वी पाकिस्तान के कई इलाकों पर किया था कब्जा।
अंबाला, [कुलदीप चहल]। भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग में जहां बांग्लादेश का गठन हुआ, वहीं इस जीत में खड्गा कोर की भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। बंगाल में इसी खड्गा कोर की स्थापना हुई थी, जिसने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) के कई इलाकों पर कब्जा भी किया। महज दो माह के गठन के बाद ही इस कोर ने युद्ध में अपनी छाप छोड़ी थी। इसके अलावा अंबाला से वायु वीरों ने अमृतसर एयरबेस से पाकिस्तान पर एयर अटैक किया था, जिसमें दुश्मनों को काफी नुकसान हुआ था। अंबाला के मेजर विजय रतन इसी युद्ध में शहीद हुए थे, जिनकी याद में अंबाला कैंट में विजय रतन चौक भी बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर 1971 को युद्ध शुरु हुआ था, जिसमें पाकिस्तान की एयफोर्स ने अंबाला एयरबेस पर अटैक किया था। यह टैक पूरी तरह से नाकामयाब रहा, जबकि इसके बाद चार दिसंबर और नौ दिसंबर को भी पाकिस्तान ने एयर अटैक किया था, जिसमें अंबाला एयरबेस पूरी तरह से सुरक्षित रहा। इसके बाद अंबाला एयरबेस से 32 स्क्वाड्रन के विंग कमांडर एचएस मांगट ने अमृतसर एयरबेस से उड़ान भरी और दुश्मन देश के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया। यह युद्ध चौदह दिनों तक चला, जिसके बाद बांग्लादेश का गठन हुआ। दूसरी ओर इस युद्ध में अंबाला के मेजर विजय रतन भी शहीद हुए थे। युद्ध के दौरान दुश्मनों द्वारा बिछाई गई माइन की चपेट में आने से वे शहीद हो गए थे। उनकी याद में अंबाला कैंट में विजय रतन चौक का निर्माण भी किया गया है।
यह है खड्गा कोर
खड्गा कोर की स्थापना अक्टूबर 1971 में तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल टीएन रैना ने कृष्णा नगर बंगाल में की थी। सिर्फ दो माह बाद ही यह कोर युद्ध में उतरी और पाकिस्तानी सेना के पांव उखाड़ दिए। इस काेर ने पूर्वी पाकिस्तान के खुलना, जैसोर, झेनिदा, मगुरा, फरीदपुर सहित कई क्षेत्रों पर कब्जा किया था। इस युद्ध के बाद खड्गा कोर को पश्चिम थिएटर चंडीमंदिर में शिफ्ट कर दिया गया। चंडीमंदिर से जनवरी 1985 यह कोर अंबाला कैंट आ गई, जो अभी भी यहीं पर है।