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तीन माह बाद घर पहुंचीं हॉकी कप्‍तान रानी रामपाल, शेयर किया कोरोना से जुड़ा अनुभव

तीन माह बाद अपने परिवार के पास भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल पहुंची। उन्‍होंंने कहा भारतीय खिलाडिय़ों को कोरोना का यह दौर नया अनुभव दे गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 12:31 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 12:31 PM (IST)
तीन माह बाद घर पहुंचीं हॉकी कप्‍तान रानी रामपाल, शेयर किया कोरोना से जुड़ा अनुभव
तीन माह बाद घर पहुंचीं हॉकी कप्‍तान रानी रामपाल, शेयर किया कोरोना से जुड़ा अनुभव

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [जितेंद्र सिंह चुघ]। भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा कि कोरोना का यह तीन माह का दौर भारतीय टीम को नया अनुभव दे गया है। एक खिलाड़ी विषम परिस्थितियों का बेहतर तरीके से सामना कर सकता है। कोरोना की इन गंभीर स्थितियों का भी खिलाडिय़ों ने फायदा उठाया है। वह तीन माह बाद बेंगलुरु से वीरवार को अपने परिवार के पास पहुंची हैं। 

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उन्होंने कहा कि इन तीन महीनों में एक ही जगह सेंटर में रहकर अभ्यास किया और अपने खेल को तराशने का काम किया है। रानी रामपाल ने कहा कि टीम के खिलाड़ी बेशक अपने परिवारों से दूर रहें, लेकिन इस त्याग व समर्पण से उन्होंने बहुत कुछ नया सीखा है। विशेषकर इन तीन महीनों में फिटनेस पर ध्यान दिया और व्यक्तिगत अभ्यास किया। करीब तीन महीने पहले खिलाड़ी ओलंपिक के अभ्यास के लिए बेंगलुरु सेंटर गई थी, वहां पहुंचते ही लॉकडाउन शुरू हो गया और कोरोना के कारण ओलंपिक खेल भी स्थगित हो गए। ऐसे में खिलाडिय़ों ने स्वयं को मजबूत किया। अपने घरों व परिवारों से दूर रहकर खिलाड़ी अपने अभ्यास पर केंद्रित रहे यह बड़ी बात है। टीम के सभी खिलाडिय़ों ने दिखा दिया कि विषम परिस्थितियों में वह हौसले से काम ले सकती है। यही एक सफल खिलाड़ी की पहचान भी है। 

 

अभ्यास के लिए टीम को मिला एक साल 

रानी रामपाल ने कहा कि अब ओलंपिक अगले वर्ष जुलाई में होंगे। ऐसे मेें टीम को अभ्यास के लिए एक साल का अतिरिक्त समय मिल गया है। खिलाड़ी इस समय का भरपूर फायदा उठाकर अभ्यास करेंगे। टीम के सभी खिलाड़ी साकारात्मक सोच लेकर आगे बढ़ रहे हैं और निश्चित रूप से आने वाले समय में बेहतरीन परिणाम दिए जाएंगे। इस समय टीम के सभी खिलाड़ी अपने घर पहुंच गए हैं। खिलाड़ी की विशेषता होती है कि वह समय को व्यर्थ नहीं जाने देता। 

 

मां के हाथ के परांठे खाकर आया सुकून 

रानी रामापाल ने कहा कि बचपन से वह अपनी मां के हाथ के परांठे खाने की शौकीन थी। लेकिन खेल में व्यस्त होने के बाद कभी-कभी ही मौका मिल पाता है। तीन महीने के बाद वह अपने परिवार की बीच लौटी है। उसे मां के हाथ के परांठे खाकर सुकून मिला है। 

 

जूनियर खिलाड़ी वो करें जो अब तक नहीं किया 

जूनियर खिलाडिय़ों को सीख देते हुए उन्होंने कहा कि वह इस समय को व्यर्थ न गवाएं, बल्कि अभ्यास को समय दें। यह समय खिलाडिय़ों के लिए खजाने की तरह और इसका भरपूर फायदा उठाया जा सकता है। 


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