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निर्दलीयों की पूंडरी सीट, 25 साल से राजनीति दल के प्रत्याशी को जीत की तलाश Panipat News

पूंडरी विधानसभा सीट में अब तक हुए 12 चुनाव में छह बार निर्दलीय विधायक बन चुके हैं। दिनेश कौशिक ने तीन चुनाव लड़े दो बार निर्दलीय विधायक बने।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 04:40 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 01:56 PM (IST)
निर्दलीयों की पूंडरी सीट, 25 साल से राजनीति दल के प्रत्याशी को जीत की तलाश Panipat News
निर्दलीयों की पूंडरी सीट, 25 साल से राजनीति दल के प्रत्याशी को जीत की तलाश Panipat News

पानीपत/कैथल, [संजय तलवाड़]। निर्दलीय उम्मीदवारों की पहली पसंद पूंडरी विधानसभा क्षेत्र है, यहां पिछले 25 सालों से किसी भी राजनीतिक दल का प्रत्याशी नहीं जीत पाया। 2005 में कांग्रेस की लहर की बात हो या 2014 में भाजपा में मोदी लहर हो, इसके बावजूद यहां से निर्दलीय प्रत्याशियों ने ही चुनाव जीतने का काम किया, लेकिन इस बार हालात इस सीट पर विपरित नजर आ रहे हैं। 

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लोकसभा चुनाव के अंदर जो परिणाम निकलकर सामने आए है, उससे देखते हुए इस बार निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों की नींद उड़ गई है। वर्तमान में निर्दलीय चुनाव जीतकर भाजपा में शामिल होने वाले विधायक दिनेश कौशिक दो माह पहले सीएम मनोहर लाल के मंच पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। इस दौरान सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि दूसरे दलों को छोड़कर भाजपा मेें शामिल होने वालों में भाजपा देरी से आती है, लेकिन दिनेश कौशिक में भाजपा पहले आ गई और ये पार्टी में बाद में आए हैं। कौशिक लोकसभा चुनाव में भी करनाल लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर दावेदार थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। अब विधानसभा में भाजपा की टिकट पर पूंडरी से दावेदारी जता रहे हैं। कौशिक सहित करीब 8 से 10 दावेदार भाजपा की टिकट पर हैं। 

इस हलके में सबसे ज्यादा इनेलो को हुआ नुकसान

पूंडरी हलके में सबसे ज्यादा नुकसान इनेलो को हुआ है। इस लोकसभा चुनाव में इनेलो पांचवे स्थान पर रही। इनेलो को मात्र चार हजार 361 वोट मिले। जजपा-आप गठबंधन को पांच हजार 709 वोट मिले। बसपा-लोसपा को 11 हजार 802 व कांग्रेस को 24 हजार 209 वोट मिले। भाजपा ने यहां भारी बढ़त बनाई और 78 हजार 356 वोट मिले। पिछले लोकसभा चुनाव में इनेलो यहां तीसरे नंबर पर रही थी, लेकिन इस चुनाव में पांचवें पायदान पर खिसक गई है। विस चुनाव में भी इनेलो का इतना खराब प्रदर्शन नहीं था। वर्ष 1987 में इनेलो इस सीट को जीतने में सफल रही थी, लेकिन इसके बाद आज तक भी यहां से इनेलो का विधायक नहीं बना है। चार बार कांग्रेस का यहां विधायक बना, लेकिन भाजपा का आज तक भी खाता नहीं खुला है। इस चुनाव में मिली भारी बढ़त के बाद भाजपाईयों में उत्साह बढ़ा है कि इस बार यहां कमल खिल सकता है।

अब तक छह विधायक बने हैं निर्दलीय

इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों का रिकॉर्ड कायम रहा है। अब तक कुल 12 विस चुनाव हुए हैं। पिछले चुनाव में कौशिक ने 19 प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया था। पहली बार 1968 में ईश्वर सिंह 438 वोट के अंतर से निर्दलीय के रूप में जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद लंबे समय 1972 से 1991 तक सीट पर किसी न किसी दल का कब्जा रहा और निर्दलीय इस सीट से अछूते रहे। कौशिक ने पिछला चुनाव 4821 वोटों से जीता था। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे कौशिक को 34 हजार 878 वोट मिले थे। सुल्तान सिंह जड़ौला 38 हजार 929 वोट लेकर विजयी रहे। भाजपा उम्मीदवार रणधीर सिंह गोलन को 33 हजार 289 मत मिले थे।

  • कब कौन बना यहां से विधायक बना
  • वर्ष      नाम          पार्टी 
  • 1967   आरपी सिंह     कांग्रेस
  • 1968   ईश्वर सिंह      निर्दलीय
  • 1972   ईश्वर सिंह        कांग्रेस
  • 1977  अग्निवेश        जेएनपी
  • 1982  ईश्वर सिंह       कांग्रेस
  • 1987  मक्खन सिंह      लोकदल
  • 1991  ईश्वर सिंह        कांग्रेस
  • 1996  नरेंद्र शर्मा        निर्दलीय
  • 2000  तेजबीर सिंह      निर्दलीय
  • 2005  दिनेश कौशिक     निर्दलीय
  • 2009  सुल्तान जड़ौला     निर्दलीय
  • 2014  दिनेश कौशिक      निर्दलीय।

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