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ईएनटी ओपीडी पर विद्यार्थियों के कानों की हुई विशेष जांच

ाष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)के तहत मंगलवार को सिविल अस्पताल में शून्य से 1

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 09:41 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 06:29 AM (IST)
ईएनटी ओपीडी पर विद्यार्थियों के कानों की हुई विशेष जांच
ईएनटी ओपीडी पर विद्यार्थियों के कानों की हुई विशेष जांच

जागरण संवाददाता, पानीपत : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)के तहत मंगलवार को सिविल अस्पताल में शून्य से 18 साल की आयु के विद्यार्थियों की जांच की गई।चार विद्यार्थियों के परदे में छेद मिला, चार को जन्म से ही कम सुनाई देता था।

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नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉ. भूपेश चौधरी ने विद्यार्थियों की जांच के बाद बताया कि कान के परदे में जन्म से छेद होना गंभीर बीमारी नहीं है। परदे में एक चौथाई हिस्से में छेद है तो उम्र बढ़ने के साथ यह भर जाता है। इसके लिए कान का सूखा रहना जरूरी है। नहाते, मुंह धोते समय काम में साबुन-शैंपू का पानी बिल्कुल न जाने दें। छेद न भरे तो विद्यार्थियों को सर्जरी के लिए खानपुर या रोहतक पीजीआइ भेजा जाता है। आरबीएसके के जिला नोडल अधिकारी डॉ. ललित वर्मा ने बताया कि शून्य से 18 वर्ष के बच्चों का विभिन्न बीमारियों में फ्री इलाज किया जाता है। उनका नाम आंगनबाड़ी या सरकारी स्कूल में दर्ज होना चाहिए। विद्यार्थियों को ओपीडी स्लिप और दवा के लिए कतार में लगने की जरूरी नहीं है।

बता दें कि आरबीएसके के तहत स्कूल हेल्थ टीमों वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1 लाख 62 हजार 125 बच्चों-किशोरों के स्वास्थ्य की जांच की थी। इनमें से 61 हजार 814 विभिन्न बीमारियों से पीड़ित मिले थे। इन आंकड़ों को भी देखें :

61 हजार 814 बच्चों-किशोरों की जांच में 6 हजार 769 की नजर कमजोर, 8329 एनिमिक, 503 अत्यधिक एनिमिक, 12 हजार 265 त्वचा रोगी, 11 हजार 707 दंत रोगी, 52 के पैर मुड़े हुए और 448 को बोलने-सुनने में दिक्कत थी।


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