पराली प्रबंधन प्रोत्साहन राशि लेनी है तो पोर्टल पर पंजीकरण कराना है जरूरी, जानें क्या है प्रक्रिया
कृषि विभाग की ओर से पराली प्रबंधन को लेकर अक्टूबर माह में किसानों को प्रोत्साहन राशि जारी करने के योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत बेलर से पराली की गांठ बनाने वाले किसानों को 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जानी है।
कुरुक्षेत्र, जेएनएन : पराली प्रबंधन को लेकर 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दिए जाने की योजना का लाभ लेने के लिए किसान का मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण होना जरूरी है। इस योजना को दो दिन पहले ही मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल से जोड़ दिया गया है। इससे पहले प्रोत्साहन राशि के लिए कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण किया जा रहा था। इस पोर्टल पर कुछ ऐसे किसानों की ओर से भी पंजीकरण कर दिया गया, जिन्होंने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण नहीं करवा रखा था। ऐसे में जिला स्तरीय कमेटी को इनकी निगरानी करने में दिक्कत झेलनी पड़ रही थी। अब इस समस्या के समाधान के लिए योजना को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल से जोड़ दिया गया है। इसके बाद अब वही किसान योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकेंगे, जिन्होंने पहले से इस पोर्टल पर फसल का पंजीकरण कर रखा था।
गौरतलब है कि कृषि विभाग की ओर से पराली प्रबंधन को लेकर अक्टूबर माह में किसानों को प्रोत्साहन राशि जारी करने के योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत बेलर से पराली की गांठ बनाने वाले किसानों को 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि दी जानी है। इसके लिए किसान को पहले पराली बेचने, गोशाला में देने या पंचायत के पास स्टोर करने की रसीद कृषि विभाग के पोर्टल पर अपडेट करनी थी। पोर्टल पर अपडेट करने के बाद जिला स्तरीय कमेटी की ओर से इसकी निगरानी कर प्रोत्साहन राशि जारी की जानी थी। लेकिन इस योजना के लिए कई ऐसे किसानों ने भी कृषि विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर दिए , जिन्होंने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर आवेदन नहीं किए थे। ऐसे में निगरानी कमेटी के सामने समस्या आन खड़ी हुई। निगरानी कमेटी इसकी जानकारी जुटाने में ही कड़ी मशक्कत करनी पड़ी कि आवेदनकर्ता ने किस जगह पर और कितने एकड़ धान की बिजाई कर रखी थी।
मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल के साथ जोड़ी योजना
कृषि उपनिदेशक डा. प्रदीप मिल ने बताया कि अब इस योजना को मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल से जोड़ दिया है। ऐसे में पोर्टल पर मोबाइल नंबर लिखते ही संबंधित किसान की पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इससे कमेटी को निगरानी करने में आसानी होगी। इससे पहले ठेके पर खेती करने वाले कई ऐसे किसानों ने भी आवेदन कर दिए थे, जिनके नाम से मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर धान का पंजीकरण ही नहीं है।