ऑनलाइन नक्शे एप्लाई करने का रिस्पांस नहीं मिला तो निकाय विभाग ने बदली शर्ते
शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने भवनों के ऑनलाइन नक्शे पास करने के नियमों को चार माह में ही बदलना पड़ा। इसका बड़ा कारण इन शर्तो के भवन मालिकों और आर्किटेक्टों के पूरा न कर पाना रहा। ऐसे में पानीपत समेत प्रदेश की निकाय प्रकोष्ठ में 20 से 25 नक्शे ही जमा हो पाए हैं।
जागरण संवाददाता, पानीपत : शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने भवनों के ऑनलाइन नक्शे पास करने के नियमों को चार माह में ही बदलना पड़ा। इसका बड़ा कारण इन शर्तो के भवन मालिकों और आर्किटेक्टों के पूरा न कर पाना रहा। ऐसे में पानीपत समेत प्रदेश की निकाय प्रकोष्ठ में 20 से 25 नक्शे ही जमा हो पाए हैं। इनकी भी अब तक परमिशन नहीं मिल पाई है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने अब नियमों व शर्तो में कुछ बदलाव किया है।
आरटीआइ कार्यकर्ता पीपी कपूर की ओर से मांगी गई सूचना में यह जानकारी मिली है। कपूर ने बताया कि 13 फरवरी को शहरी स्थानीय निकाय विभाग के महानिदेशक से आरटीआइ एक्ट के तहत नियमों की जानकारी ली थी। इसमें पूछा गया था कि ऑनलाइन नक्शे स्वीकृत कराने वाले निजी आर्किटैक्ट, भवन मालिकों व नगर निकाय के कर्मचारियों के दायित्व की जानकारी ली थी। लाल डोरा, आबादी देह एवं हाउसिग कॉपरेटिव सोसाइटियों की संपत्तियों के नक्शों को ऑनलाइन स्वीकृत कराने का प्रावधान नहीं रखने के बारे में निर्णय की कॉपी भी मांगी थी।
10 निगमों, 18 नपा और 54 नगरपालिकों में नए आदेश लागू
शहरी निकाय विभाग के महानिदेशक समीरपाल सरो ने गत 8 मार्च को प्रदेश की सभी 54 नगरपालिकाओं, 10 नगर निगमों व 18 नगर परिषदों को सर्कुलर भिजवाकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें ऑनलाइन नक्शे पास कराने वाले भवन मालिकों, नक्शा बनाने वाले निजी आर्किटैक्स व शहरी निकाय के अधिकारियों के दायित्व तय किए गए हैं।
प्रमुख नए दिशा निर्देश :-
-भवन मालिकों को स्वीकृत नक्शे के विपरीत निर्माण करने पर निजी आर्किटैक्ट की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। यह जिम्मेदारी भवन मालिक की खुद की होगी। इसका निरीक्षण निजी आर्किटैक्ट की होगी।
-निजी आर्किटैक्ट भवन मालिक को सभी औपचारिकताओं को पूरा कराएगा।
-डीपीसी लेवल तक निर्माण करने पर भवन मालिक को ऑनलाइन सिस्टम से निर्माणाधीन भवन के मौके की फोटो व सेल्फ सर्टिफिकेशन रिपोर्ट देनी होगी। यह निर्माण स्वीकृत नक्शे अनुसार ही होगा।
-स्वीकृत नक्शा दो वर्ष के लिए वैध होगा। भवन मालिक को ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट देना होगा नहीं तो भवन निर्माण अवैध माना जाएगा। एक्सटेंशन फीस अदा कर भवन मालिक अपने नक्शे की वैधता एक वर्ष और भी बढ़वा सकता है।
-लाल डोरा आबादी में संपत्ति होने पर तहसीलदार भवन मालिक की संपत्ति की पुष्टि करने का प्रमाण पत्र मान्य होगा। लाल डोरे का विक्रय पत्र या रजिस्ट्री भी मान्य होगी। लाल डोरा आबादी की संपत्ति की मलकियत का सबूत न होने पर प्रॉपर्टी टैक्स असेसमेंट की कॉपी भी मान्य होगी।
-भवन मालिक को ऑनलाइन सिस्टम से स्वीकृत कराया गया नक्शा उसकी मलकियत का प्रमाण नहीं होगा।
-शहरी निकाय के स्टाफ को यूजर्स आइडी व पासवर्ड दिया गया है। वह एचओबीपीएएस के पोर्टल पर कार्य देख व कर सकता है।
-शहरी निकाय विभाग के कर्मचारी मलकीयत सुबूत, विकास शुल्क, संपत्ति कर, लेबर सैस चार्ज व स्क्रूटनी फीस बारे जिम्मेवार होगा।
-शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अधिकारी भवन कानूनों, नियमों की उल्लंघना की जांच करेंगे।
-नक्शा बनाने वाले निजी आर्किटैक्ट को भवन मालिक को किसी तरह का दस्तावेज गलत मिलने पर नक्शे को कैंसल ककर दिया जाएगा। भवन मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।