हरियाणा के हुनरबाज ने किया साबित, आम के आम गुठलियों के भी दाम, इस तरह बनातें कलाकृतियां
हरियाणा के जींद के रहने वाले गुलशन भारद्वाज और उनकी पत्नी प्रमोद रानी आम की गुठलियों से अनोखी कलाकृतियां बनाते हैं। दोनों छोटी से छोटी वेस्ट मैटैरियल को भी बेशकीमती बना देते हैं। पति गुठली को कृति का रूप देते हैं और उनकी पत्नी रंग भरती हैं।
जींद, [धर्मवीर निडाना]। हुनर किसी का मोहताज नहीं होता। जब व्यक्ति के अंदर हुनर होता है तो वह छोटी से छोटी चीज को बेश कीमती रूप दे देता है। यही कर दिखाया है जींद के हाउसिंग बोर्ड निवासी 74 वर्षीय गुलशन भारद्वाज व उनकी पत्नी प्रमोद रानी ने। दोनों बुजुर्ग दंपति ने आम की गुठलियों से ऐसी कलाकृतियां बनाई हैं कि देखने वाला देखता ही रह जाए।
यूं तो गुलशन भारद्वाज ऐतिहासिक वस्तुओं के संग्रहण का शौक रखते हैं। उनके पास पुराने सिक्कों, जींद रियासत से जुड़े दस्तावेजों का भंडार है। अब उनके कलेक्शन में अब एक और नायाब चीज जुड़ गई है। यह है आम की गुठलियों की कलाकृतियां। उन्होंने आम की गुठलियों से सांप, चूहा, गिलहरी, मोर सहित अन्य पशु-पक्षियों सहित कुल 50 कृतियां बनाई हैं। गुलशन भारद्वाज कहते हैं कि यूं तो हर साल ही मौसम में आम खाते हैं, लेकिन इस बार उनके घर में जब आम की गुठलियां रखी थी तो उन्होंने ऐसे ही एक गुठली के अंदर दूसरी गुठली फंसा दी। तीन-चार गुठलियां फंसाने पर यह सांप की शक्ल बन गई। ऐसे में उन्होंने गुठलियों से कृतियां बनाना शुरू कर दिया।
पति बनाते हैं कृति, पत्नी भरती है रंग
गुलशन भारद्वाज की पत्नी प्रमोद रानी के अनुसार जब उन्होंने आम की गुठलियाें से यह पशु-पक्षी व अन्य आकृतियां बनी देखी तो खुद ही इनमें रंग भरने का मन हुआ। इसके बाद वे आम की गुठलियों को फैंकते नहीं हैं। हर गुठली से कुछ न कुछ आकृति बनाते हैं।
रानी तालाब का माडल भी हाथ से बनाया
गुलशन भारद्वाज ने शुरुआत में जोहरी का काम किया है। ऐसे में उन्हें बारीक से बारीक काम करने में भी माहरत है। कई साल पहले उन्होंने अपने घर जींद के प्रसिद्ध रानी तालाब का माडल बनाया था। इससे उन्हें काफी उत्साह मिला। जिला प्रशासन ने भी उनसे माडल बनवाया है, जो जींद के लघु सचिवालय में रखा है।
गुलशन भारद्वाज के पास उनके निजी संग्राहलय में विभिन्न रियासतों के सिक्के, उनके समय के स्टांप पेपर, मुद्राएं, विभिन्न युगों के सिक्के, समझौते और सरकारी आदेशों के दस्तावेजों के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण अवसरों पर होने वाले कार्यक्रमों के फोटो का भी भंडार है। वे अलग-अलग महत्वपूर्ण अवसरों पर इनकी प्रदर्शनी लगाते रहते हैं। गुलशन भारद्वाज बताते हैं कि यह सामान जुटाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है। जहां भी उन्हें पता चला, वहीं जाकर सामग्री जुटाई है।