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हाकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ को देख मां के छलके आंसू, चूम लिया माथा, देवी-देवताओं से मांगा ये आशीर्वाद

टोक्यो ओलिंपिक में ब्रांज मेडल विजेता सुरेंद्र पालड़ करनाल पहुंचे। यहां नीलोखेड़ी के गांव बराना में उनका पैतृक घर है। माता नीलम देवी और पिता मलखान सिंह ने बेटे का माथा चूम लिया। सुरेंद्र बोले कि अब पेरिस में गोल्ड मेडल जीतना ही मकसद है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 07:41 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 07:41 PM (IST)
हाकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ को देख मां के छलके आंसू, चूम लिया माथा, देवी-देवताओं से मांगा ये आशीर्वाद
पैतृक गांव पहुंचने पर बेटे सुरेंद्र पालड़ को आशीर्वाद देती मां।

जागरण संवाददाता, करनाल। नीलोखेड़ी के गांव बराना का नाम विश्व में रोशन करने वाले ओलिंपियन हाकी खिलाड़ी सुरेंद्र कुमार पालड़ के गांव में पहुंचने पर खुशी का माहौल रहा। माता नीलम देवी और पिता मलखान सिंह ने बेटे का माथा चूमा और महिलाओं ने गीत गाकर स्वागत किया।

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गांव पहुंचने पर सुरेंद्र के स्वागत को हजारों की संख्या में आसपास के ग्रामीण इक्ट्ठा होकर रोड शो के दौरान झूमते दिखाई दिए। हाकी खिलाड़ी का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। सुरेंद्र पालड़ ने गांव में देवी-देवताओं की पूजा करके अगले ओलिंपिक में बेहतर प्रदर्शन की कामना की। युवाओं ने बताया कि सुरेंद्र की बदौलत आज विश्व में नीलोखेड़ी के गांव बराना का नाम चमका हुआ है और ग्रामीण युवक हाकी को पसंद करने लगे हैं।

करनाल के नीलोखेड़ी के गांव बराना पहुंचने पर सुरेंद्र के स्वागत में ग्रामीण डांस करने लगे।

बेटे को देख छलके खुशी के आंसू

सुरेंद्र जब गांव में पहुंचे तो सबसे पहले मां के पैरों को हाथ लगाया। इतने में ही मां ने बेटे का माथा चूम लिया। इस दौरान नीलम देवी आंखों में खुशी के आंसू थे। मां नीलम देवी ने बताया कि बेटे ने परिवार का सिर ऊंचा किया है और यह खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती है। पिता मलखान सिंह, भाई नरेंद्र कुमार ने भी सुरेंद्र की मेहनत को सराहा और भविष्य में बेहतर खेल का प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया।

सुरेंद्र ने देवी-देवताओं की पूजा कर पेरिस ओलिंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने की कामना की।

खुद के लिए नहीं, देश के लिए जीता मेडल : सुरेंद्र

एक तरफ ग्रामीण सुरेंद्र की कामयाबी पर खुशी से झूम रहे थे तो दूसरी तरफ सुरेंद्र अपने खेल को संवारने की बात कर रहे थे। पत्रकारों से बातचीत में सुरेंद्र ने बताया कि 17 सालों की मेहनत और गुरु गुरविन्द्र सिंह के आशीर्वाद से देश के लिए मेडल जीता है। द्रोणाचार्य स्टेडियम की मिट्टी में खेलकर संकल्प लिया था कि एक दिन देश के लिए मेडल जीत कर लाना है। यह मेडल खुद के लिए न होकर परिवार व देश के लिए है। गुरु गुरविंद्र सिंह का कभी कर्ज नहीं उतार पाएंगे। अब पेरिस ओलम्पिक-2024 में गोल्ड मेडल जीतकर सपना पूरा करेंगे।

गांव की चौपाल में सम्मान समारोह

पैतृक गांव बराना में सम्मान समारोह के दौरान ग्रामीणों ने सुरेंद्र की हौसला अफजाई की। इससे पहले गांव पहुंचने पर जीटी रोड़ पर ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया और गांव में परिवार के साथ-साथ गांव की अन्य महिलाओं ने परम्परागत गीत गाकर और नृत्य करके अपनी खुशी का इजहार किया। सुरेंद्र ने देवी-देवताओं की पूजा कर अगले ओलिंपिक में अच्छे खेल का प्रदर्शन करने की कामना की। गांव में समाज की चौपाल में आयोजित कार्यक्रम में समाज के साथ-साथ गांव के गणमान्य लोगों ने ओलिंपियन सुरेंद्र कुमार पालड़, पिता मलखान सिंह, माता नीलम देवी, भाई नरेन्द्र कुमार का पगड़ी पहनाकर और पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया।

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