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करनाल में यूं सहेजा जा रहा इतिहास, नए साल में दिखेगी नई तस्वीर

करनाल को स्मार्ट सिटी की आकर्षक रंगत में ढालने के लिए अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत शहर की आठ अलग-अलग सीमाओं यानि प्रवेश पर विशाल गेट बनाए जा रहे हैं। ऐसे में नए साल में करनाल की नई तस्वीर हमें देखने को मिलेगी।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 31 Dec 2021 06:16 PM (IST)Updated: Fri, 31 Dec 2021 06:16 PM (IST)
करनाल में यूं सहेजा जा रहा इतिहास, नए साल में दिखेगी नई तस्वीर
करनाल में सहेजा जा रहा है इतिहास।

करनाल, जागरण संवाददाता। नए वर्ष में करनाल आने वालों को चारों तरफ इतिहास से संवाद की अनुभूति होगी। सड़क से आने पर उन्हें करनाल शहर की अलग अलग दिशाओं में आठ स्वागत द्वारों पर उकेरे गए चित्रों को देखकर इतिहास के झरोखे में झांकने का अवसर मिलेगा तो वहीं रेलवे स्टेशन पर बनने वाले संग्रहालय में वे पुरातत्व से जुड़ी निशानियों को निहार सकेंगे।  

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ये द्वार कराएंगे इतिहास का सफर

करनाल को स्मार्ट सिटी की आकर्षक रंगत में ढालने के लिए अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत शहर की आठ अलग-अलग सीमाओं यानि प्रवेश पर विशाल गेट बनाए जा रहे हैं। इनमें बलड़ी बाइपास पर श्रीमद्भगवद गीता द्वार तथा नमस्ते चौक पर महाराजा कर्ण के नाम से विशाल गेट बन चुके थे। तीसरा गेट शहर की मेरठ रोड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से बना है। जबकि इंद्री रोड पर श्री आत्म मनोहर जैन मुनि को समर्पित घंटाकर्ण द्वार बनाया गया है। कुंजपुरा रोड पर ज्ञान एवं विद्यादायिनी मां सरस्वती के नाम से गेट निर्माणाधीन हैं। शेष तीन गेटों पर भी काम हो रहा है।

करनाल-कैथल रोड पर गुरुनानक देव, मूनक रोड पर अंतरिक्ष वैज्ञानिक और करनाल की बेटी कल्पना चावला तथा करनाल-काछवा रोड पर भी एक स्वागत द्वार बनेगा। नए गेटों की ऊंचाई करीब 22 फुट और चौड़ाई मौजूदा सड़क के मुताबिक ली गई है। इनके निर्माण में करीब दो करोड़ रुपये की लागत आएगी

स्टेशन पर बन रहा अनूठा म्यूजियम 

सड़कों पर इतिहास के दर्शन करने के साथ ही करनाल आने वालों को रेलवे स्टेशन पर भी अलग अनुभूति होगी। इसके तहत यहां उत्तर रेलवे की ओर से रेलवे के इतिहास को उकेरने की तैयारी है। स्टेशन पर प्रवेश द्वार के साथ पारदर्शी म्यूजियम बनाया जा रहा है। करनाल रेलवे स्टेशन ब्रिटिश शासन यानि 1891 में तैयार हुआ था। तब दिल्ली-अंबाला सिंगल रेल लाइन थी। आजादी के बाद रेल लाइन का दोहरीकरण हुआ। स्टेशन भवन का एक हिस्सा ब्रिटिश शासन के समय की वास्तुकला के प्रतीक के रूप में आज भी यथावत है।

इन उपकरणों को रखा जाएगा

पुराने वाटर टैंक व माल यार्ड सहित कुछ एतिहासिक निशानियां समय के साथ विलुप्त हो चुकी हैं। ऐसे में यहां बनने वाले संग्रहालय में रेलवे की पुरानी घड़ी, पुराने इंजन की कलाकृति, लालटेन, सिग्नल में प्रयोग की जाने वाली पुराने जमाने की लाइट इत्यादि उपकरणों को रखा जाएगा। इससे रेलवे के अतीत का पता लगेगा। स्टेशन में लगे पुराने उपकरण सहेजे जाएंगे। रेलवे इंजीनियर हरप्रीत सभरवाल ने बताया कि गत अगस्त में दिल्ली मंडल के डीआरएम ने निरीक्षण के दौरान स्टेशन की ऐतिहासिक विरासतों को सहेजने के लिए कहा था। इसके बाद यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया।


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