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ज्यादा देर तक जीटी रोड पर रुके तो हो सकता है बहरापन

गौरव शर्मा, पानीपत शहर में शोर का स्तर सामान्य से ऊपर जा रहा है। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण का क

By Edited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 02:19 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 02:19 AM (IST)
ज्यादा देर तक जीटी रोड पर रुके तो हो सकता है बहरापन

गौरव शर्मा, पानीपत

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शहर में शोर का स्तर सामान्य से ऊपर जा रहा है। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण का कारण निर्माण कार्य, सामूहिक आयोजन, लाउडस्पीकर के साथ-साथ बढ़ता यातयात भी है। आवाज का सामान्य स्तर जहां 60 डेसीबल माना जाता है, वहीं जीटी रोड पर यह 90 से 100 डेसीबल तक भी चला जाता है। ऐसे में यदि मनुष्य ज्यादा देर तक जीटी रोड पर रहे तो वह बहरा भी हो सकता है। इसके साथ-साथ शोर से स्वास्थ्य पर और भी विपरीत असर पड़ते हैं।

एक्सपर्ट कमेंट

नागरिक अस्पताल के ऑडियोलॉजिस्ट अश्रि्वनी परमार के अनुसार मानव मस्तिष्क तेज शोर के लिए नहीं है। 60 से 80 डेसीबल तक शोर सहन तो हो सकता है लेकिन ज्यादा देर तक नहीं। इससे अधिक शोर से कानों को तो नुकसान होता ही है। इसके अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, बहरापन, उच्च रक्तचाप जैसी परेशानियां भी होने लगती हैं। जहां तक संभव हो सके, अधिक शोर में नहीं जाना चाहिए। ऐसे माहौल में रहने वाले बच्चों में पढ़ने, बोलने, एकाग्रता की कमी संबंधी दिक्कतें भी आ सकती है।

यह है स्तर :

एरिया : सीमा: बढ़ा हुआ स्तर

इंडस्ट्रियल एरिया: 70-75 : 90-100

कॉमर्शियल एरिया: 55-65: 70-80

रेजिडेंशियल एरिया: 45-55: 60-70

साइलेंस जोन: 40-50: 60-70

ऐसे करें बचाव :

प्रेशर हॉर्न का प्रयोग कम से कम करें। पेड़-पौधे शोर को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं। घर के आसपास पौधरोपण करना चाहिए। अधिक शोर में रहने वाले व्यक्ति को हर दो घंटे में 15 मिनट के लिए शांत स्थान पर जाएं। मेडिटेशन यानि ध्यान क्रिया से शोर के असर से कानों व मस्तिष्क का बचाव किया जा सकता है।

फोटो- 75

अधिक शोर से बचें :

कोई भी आवाज कान के बाहरी, मध्य और आंतरिक भाग से होते हुए मस्तिष्क तक जाती है। 60 डेसीबल से अधिक आवाज में ज्यादा समय तक नहीं रहा जा सकता। ऐसे माहौल में लंबे समय तक रहने वाले व्यक्ति को कानों में इयरप्लग का इस्तेमाल करना चाहिए। ट्रैफिक पुलिसकर्मी इयरप्लग को ढीला कर प्रयोग कर सकते हैं।

- अश्वनी परमार, ऑडियोलॉजिस्ट, नागरिक अस्पताल, पानीपत।

फोटो- 76

बोर्ड को कर सकते हैं शिकायत :

लंबे समय तक ज्यादा शोर की तरंगों से इमारत व अन्य ठोस वस्तुओं को नुक्सान हो सकता है। पर्यावरण एवं वन विभाग ने विभिन्न क्षेत्रों में ध्वनि स्तर को कम रखने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हुए हैं। प्रदूषण नियंत्रण विभाग इस पर नजर भी रखता है। व्यक्ति ज्यादा शोर की शिकायत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दे सकता है।

- डॉ. राजेंद्र कुमार, पर्यावरण विशेषज्ञ, एन्वायरोकैम टेस्टिंग लैब, पानीपत।


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