कोरोना संक्रमित बच्ची को अकेला छोड़ने के मामले में हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
समिति सदस्यों के मुताबिक रिपोर्ट दे दी गई है। दरअसल 16 नवंबर 2020 की शाम जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की सदस्य मालती अरोड़ा को सूचना मिली थी कि सिद्धार्थ नगर स्थित सीसीआइ में एक बच्ची बंद है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : सिद्धार्थ नगर स्थित बाल देखरेख केंद्र (सीसीआइ) में साढ़े सात साल की मानसिक दिव्यांग, कोरोना पॉजिटिव बच्ची को अकेला छोड़ने के मामले में हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट ने सेशन जज, डीसी पानीपत और महिला एवं बाल विकास विभाग की महानिदेशक रेनू फूलिया से घटना व कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की है।
विभाग की महानिदेशक, सेशन जज और डीसी धर्मेद्र सिंह ने बाल कल्याण समिति से रिपोर्ट मांगी थी। समिति सदस्यों के मुताबिक रिपोर्ट दे दी गई है। दरअसल, 16 नवंबर 2020 की शाम जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की सदस्य मालती अरोड़ा को सूचना मिली थी कि सिद्धार्थ नगर स्थित सीसीआइ में एक बच्ची बंद है। वह तेज आवाज में चीख रही है। देखरेख के लिए कोई नहीं है, भोजन पड़ोसी खिला रहे हैं। चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम और माडल टाउन पुलिस के साथ वे मौके पर पहुंची। बच्ची को सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया था।
घटना की जांच हरियाणा राज्य बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बेंदा, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण अधिकारी निधि गुप्ता ने की थी। तीनों ने अपनी रिपोर्ट में संचालक, एक स्टाफ की चूक मानते हुए, सीसीआइ का लाइसेंस निरस्त करने और ग्रांट रोकने की सिफारिश की थी।
हाई कोर्ट को यह भेजी है रिपोर्ट
समिति के सदस्य डा. मुकेश आर्य के मुताबिक सीसीआइ संचालक तेजराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है। लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की गई थी। कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट आने पर बच्ची को सिरसा के विशेष बच्चे देखरेख केंद्र में भेज दिया है। सीसीआइ में इस समय कोई बच्चा नहीं है और न भेजे जा रहे हैं।
लाइसेंस निरस्त पर संशय
राज्य बाल आयोग की चेयरपर्सन, जिला बाल संरक्षण अधिकारी और समिति के सदस्यों ने सीसीआइ का लाइसेंस निरस्त करने, ग्रांट रोकने संबंधी रिपोर्ट विभाग की महानिदेशक को ई-मेल कर दी थी। समिति सदस्यों की मानें तो कार्यवाही क्या हुई, यह रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है।