चाइल्ड प्रोटक्शन कार्यालय के कर्मचारियों को हाई कोर्ट से मिली राहत
जागरण संवाददाता, पानीपत : महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन इंटीग्रेटिड चाइल्ड प्रोटक्शन सर्विस को राहत मिली है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन इंटीग्रेटिड चाइल्ड प्रोटक्शन सर्विसेज के अनुबंधित कर्मचारियों को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट की जज रितु बाहरी ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि अनुबंधित कर्मचारियों को हटाकर, आउट सोर्सिग पर नए सिरे से भर्ती अनुचित है। कोर्ट ने कर्मचारियों को 20 फरवरी 2019 तक का स्टे देते हुए, सरकार को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।
हाई कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट जसबीर मोर ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2012-13 में इंटीग्रेटिड चाइल्ड प्रोटक्शन सर्विसेज के तहत कर्मचारियों की इंटरव्यू और मेरिट के आधार पर नियुक्ति की थी। उस समय प्रदेश में 21 जिले थे और हर जिले में चाइल्ड प्रोटक्शन अधिकारी, अकाउंटेंट, प्रोटक्शन ऑफिसर नॉन इंस्टीट्यूशनल, लीगल कम प्रोबेशन ऑफिसर, काउंसलर, सोशल वर्कर, सोशल वर्कर महिला, डाटा ऑपरेटर सहित करीब 40 पदों पर नियुक्ति की गई थी। पहले इनका अनुबंध तीन साल के लिए था, बाद में हर साल अनुबंध रिन्यूअल होने लगा। केंद्र सरकार ने इनका अनुबंध वर्ष 2019 तक कर दिया था। प्रदेश सरकार ने सितंबर 2018 में अनुबंध में अड़चन लगा दी।
इतना ही नहीं दिसंबर 2018 को डेडलाइन बताकर ऑस्कर सिक्योरिटी कंपनी को आउट सोर्सिंग पर भर्ती का ठेका दे दिया।
एडवोकेट मोर ने बताया कि सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में करीब 188 कर्मचारी प्रभावित हो हो रहे थे। इस संबंध में करनाल की डीसीपीओ रीना की ओर से हाई कोर्ट में 10 दिसंबर को याचिका दायर की गई थी।
ये रखा गया कोर्ट में पक्ष
अनुबंधित कर्मचारियों के स्थान पर आउट सोर्सिंग भर्ती अनुचित है।
अनुबंधित कर्मचारियों का आउट सोर्सिंग में विलय अनुचित है।
स्कीम खत्म होने तक कर्मचारियों को हटाना अनुचित है।