थर्मल पावर स्टेशन में झाड़ियों में लगी भीषण आग
एक माह के अंदर थर्मल में यह तीसरी बार आग लगी है। थर्मल में सरकंडा व घास फूस की सफाई के लिए लाखों रुपये का ठेका छूटता है।
संवाद सहयोगी, थर्मल-मतलौडा : पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के मुख्य गेट पर बने सीआइएसएफ के क्राइम विभाग के कार्यालय की पिछली साइड में आग लग गई। आग इतनी भयंकर थी कि तेजी से आगे बढ़ती चली गई और विकराल रूप ले लिया। लगभग चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। आग प्लांट के अंदर खड़े सरकंडे व झाड़ियों में लगी थी।
जिस जगह पर प्लांट में आगजनी हुई, इसी जगह हर साल रहस्यमय तरीके से आग लग जाती है। कहने को थर्मल प्रशासन कारणों का पता लगाने के लिए जांच कमेटी भी बैठता है, लेकिन आग लगने का रहस्य आज तक भी सामने नहीं आया। एक माह के अंदर थर्मल में यह तीसरी बार आग लगी है। थर्मल में सरकंडा व घास फूस की सफाई के लिए लाखों रुपये का ठेका छूटता है। यहां पर सफाई न करके हर साल आग लगा दी जाती है। पिछले साल यहां पर आग लगने से थर्मल की कई कीमती बिजली की केबल जल गई थी व एक यूनिट भी चलते चलते ट्रिप हो गई थी। थर्मल को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। अगर उच्च स्तरीय कमेटी से मामले की जांच कराई जाए तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है।
एमडी ने थर्मल चीफ को लगाई थी फटकार
पिछले दिनों एचपीजीसीएल के डायरेक्टर ने पानीपत थर्मल पावर स्टेशन का दौरा किया था। उस समय भी थर्मल में बड़े-बड़े सरकंडे व झाड़ियां खड़ी थी। डायरेक्टर की रिपोर्ट के बाद आठ मार्च को एचपीजीसीएल के एमडी मोहम्मद साइन ने पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के चीफ इंजीनियर एसएल सचदेवा को नोटिस जारी कर यहां पर साफ-सफाई को दुरुस्त करने के लिए कहा था। लेकिन थर्मल चीफ ने नोटिस को दरकिनार करते हुए इसके लगभग 23 दिन बीत जाने के बाद भी यहां पर सफाई नही करवाई। सरकंडे व झाड़ियां ज्यों के त्यों खड़े थे, जिनमें फिर से आग लग गई। इस बारे में जब पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के चीफ इंजीनियर श्याम लाल सचदेवा से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।