Move to Jagran APP

हमने खेत में कूदकर बचाई जान..वो तीन दोस्तों को ले गए

ब्लीच हाउस के श्रमिक लगातार बच्चों के संबंध में कोई जानकारी न होने की बात कहते रहे। शुक्रवार सुबह गुम हुए तीनों बच्चों के शव गांव के पास रजवाहे में मिले।

By Edited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 10:22 AM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 10:22 AM (IST)
हमने खेत में कूदकर बचाई जान..वो तीन दोस्तों को ले गए
हमने खेत में कूदकर बचाई जान..वो तीन दोस्तों को ले गए

पानीपत, [कपिल पूनिया]। बिंझौल गांव के तीन बच्चों ने तो भागकर अपनी जान बचा ली। वे भी पकड़ में आ जाते या पीछे छूटते तो इनकी भी जान जा सकती थी। बिंझौल गांव के वंश, अरुण, लक्ष्य, सावन, सागर और सचिन मंगलवार शाम चार बजे पतंग उड़ाने के लिए गांव के पास स्थित ब्लीच हाउस पर डोर लेने पहुंचे। सावन ने दैनिक जागरण को बताया कि ब्लीच हाउस पर सड़क किनारे सभी डोर ढूंढने लगे। तभी दो श्रमिक और एक महिला उनकी तरफ दौड़ पड़े। डरकर उन्होंने गांव की तरफ दौड़ लगा दी।

loksabha election banner

सड़क पर दौड़ते हुए पकड़े जाने के डर से उसने, सागर और सचिन ने पानी से भरे खेत से छलांग लगा दी। अरुण, वंश और लक्ष्य खेत में कूदने से डर गए और सीधे सड़क पर ही भागते रहे। श्रमिकों ने कुछ दूरी पर तीनों मासूमों को पकड़ लिया। यह घटनाक्रम वे दूर से उन्हें देख रहे थे। कमची व थप्पड़ से तीनों के साथ मारपीट की। एक महिला और मजदूर ने तीनों को पकड़ लिया। एक मजदूर बाइक लेकर आया। आशंका जताई जा रही है कि दो बच्चों को श्रमिक बाइक पर बैठाकर और एक बच्चे को महिला ब्लीच हाउस लेकर गई। सावन ने बताया, उन्होंने घर पहुंचकर अरुण की मां को सब कुछ बताया। सागर ने कहा कि यदि वह भी सड़क पर ही भागते रहते तो श्रमिक उन्हें भी पकड़ लेते। उनका भी हाल अरुण, लक्ष्य और वंश जैसा ही होता।

मांझे के पैसे नहीं थे तो पहुंचे ब्लीच हाउस

सावन ने बताया कि वे अभी तक मांझे से ही पतंग उड़ाते थे। मंगलवार को सभी के पास मांझा लेने के पैसे नहीं थे। ब्लीच हाउस से डोर लाने का प्लान बनाया। हालांकि बारिश में भीगने के कारण डोर भी पतंग उड़ाने के लायक नहीं बची। वो सब सूखी डोर खोज रहे थे।

रोने लगी महिला श्रमिक तो शक बढ़ गया

मृतक लक्ष्य के चचेरे भाई अनुज ने बताया कि महिलाओं से पहले वह अपने दोस्तों के साथ ब्लीच हाउस पर छोटे भाई व उसके साथियों को खोजने गया था। तब ब्लीच हाउस के श्रमिकों ने उन्हें तीनों बच्चों के वहां न आने की बात कही। इसके बाद मुहल्ले की महिलाएं मौके पर पहुंचीं और बच्चों की खोज शुरू की। श्रमिकों ने महिलाओं को कमरों में नहीं घुसने दिया। वहां से जाने को कहा। ज्यादा खोजबीन करने पर महिला श्रमिक अन्य महिलाओं के साथ अभद्रता करने लगी। इस पर अरुण की मां ने महिला श्रमिक से कहा कि या तो उनके बच्चों का पता बता दे, नहीं तो तेरे बच्चों को उठा लेंगे। इससे महिला श्रमिक डर गई और रोने लगी। इसके बाद स्वजनों का शक गहरा गया।

सारी रात रजवाहे में टोहते फिरोगे

पड़ोसी रामफल ने बताया कि जब मुहल्ले के लोग ब्लीच हाउस पर पहुंचे तो महिला श्रमिक बच्चों का पता न होने की बात पर अड़ी रही। काफी खोजबीन के बाद भी बच्चों का कुछ पता नहीं लगा। लोगों के सवालों और शक से गुस्साई महिला श्रमिक बोली कि अब सारी रात रजवाहे में टोहते फिरोगे। इसके बाद लोगों ने रजवाहे में खोजबीन शुरू की, लेकिन रजवाहे में पानी अधिक होने के कारण सफलता नहीं मिली।

होदी में छुपाए शव

रामफल ने बताया कि ग्रामीणों ने बच्चों की तलाश में होदी छोड़कर ब्लीच हाउस का कोना-कोना छान मारा, लेकिन बच्चे नहीं मिले। इसके बाद कुछ देर के लिए सभी लोग ब्लीच हाउस से गांव आ गए। उन्हें शक है कि इसी दौरान बच्चों के शवों को रजवाहे में फेंका गया। रामफल ने कहा कि बच्चों के शवों को होदी में छिपाकर रखा गया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.