पति-पत्नी के शक से रिश्तों में दरार
पति-पत्नी के शक से रिश्तों में दरार
राजेश कुमार, यमुनानगर :
पति और पत्नी के बीच बढ़ता शक का दायरा उनके रिश्तों को खत्म कर रहा है। पिछले 15 माह में 754 महिलाओं ने जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी के कार्यालय में शिकायत की है, यानी हर माह औसतन 50 महिलाएं अत्याचार सहती हैं। ज्यादातर शिकायतें ऐसी हैं, जिनमें पति-पत्नी की एक दूसरे से नहीं बन रही। उनमें शक का दायरा इतना बढ़ गया है कि उनके रिश्तों में आई दरार को पाटना इतना आसान नहीं है।
कार्यालय में अब तक जितनी शिकायतें आई हैं उनमें सबसे ज्यादा पति का अपनी पत्नी पर शक करना है। कोई पति अपनी पत्नी के चरित्र पर शक करता है तो किसी को पत्नी से ये शिकायत है कि वो दूसरों से हंस कर बात क्यों करती है। इसके अलावा हमारी रोजमर्रा ¨जदगी का हिस्सा बन चुका मोबाइल फोन भी गृहस्थी उजाड़ने का काम कर रहा है। जैसे महिला किसी के साथ फोन पर बात करती है। काम पर गए पति ने घर पर पत्नी के मोबाइल पर कॉल की और फोन व्यस्त आया। इसके अलावा पति द्वारा पत्नी को घर चलाने के लिए खर्च नहीं देना, शादी में दहेज नहीं मिलना आदि शिकायतें अधिकारियों के पास पहुंच रही है। गत वर्ष आई थी 599 शिकायतें :
वर्ष 2017-18 में उक्त कार्यालय में घरेलू ¨हसा के 599 मामले आए थे। इस साल अप्रैल में 45, मई में 63 व जून में 47 महिलाओं ने शिकायत की है। इसी तरह दहेज उत्पीड़न के मामले भी कहीं न कहीं इसी से संबंधित है। क्राइम डायरी में शायद ही कोई ऐसा दिन जाता होगा कि उसमें एक या दो मामले दहेज उत्पीड़न के दर्ज न होते हों। गत वर्ष युवतियों व महिलाओं से दुष्कर्म के 55 केस पुलिस ने दर्ज किए थे। घरेलू ¨हसा के सात बड़े कारण :
- महिलाओं में शिक्षा का अभाव।
- आर्थिक तौर पर परिवार का कमजोर होना।
- पति का शराबी या कोई और नशे की लत।
- दहेज की कुप्रथा का होना।
- बार-बार बेटी का जन्म होना
- ससुराल में दुर्व्यवहार का विरोध करना।
- पुरुष का महिला के चरित्र पर शक करना। ये हैं ¨हसा के तरीके :
शारीरिक ¨हसा: मारपीट करना, धकेलना, ठोकर मारना, लात, मुक्का मारना यानि शारीरिक पीड़ा या क्षति पहुंचाना।
यौन ¨हसा : दुष्कर्म, अश्लील साहित्य या कोई अन्य अश्लील सामग्री दिखाना, दुर्व्यवहार, अपमानित करना, पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा आहत करना।
भावनात्मक ¨हसा : चरित्र पर सवाल खड़े करना, पुत्र न होने पर अपमान, दहेज कम लाने पर अपमान, नौकरी छोड़ने को विवश, इच्छा के विरुद्ध विवाह, गाली गलौज आदि।
आर्थिक ¨हसा : बच्चों के लालन-पालन के लिए धन उपलब्ध न कराना। बच्चों के लिए खाना, कपड़े और दवाइयां उपलब्ध न कराना। सैलरी अथवा पारिश्रमिक से खर्चा लेना। ऐसा हो तो शायद दिखेगा असर :
- छात्राओं को शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे घरेलू ¨हसा की शिकार न हों। उन्हें काउंसि¨लग तथा कानूनी ज्ञान की जानकारी देनी चाहिए।
- गांव में यह पता लग जाता है कि किसके घर में समस्या चल रही है जबकि शहर में यह पता नहीं लगता है। इस कारण वहां हर स्तर पर बात करने की आवश्यकता है।
शहर में समस्याग्रस्त महिलाओं के संदर्भ में पुरुषों पर काउंसि¨लग का असर नहीं होता। इसी कारण पुरुष छात्रों के साथ भी काउंसि¨लग का सिलसिला स्कूल-कालेज के स्तर से ही शुरू हो जाना चाहिए।
- शिक्षा के साथ-साथ लड़कियों में आत्मविश्वास पैदा हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए। यह काम शिक्षकों का है। शिक्षकों के प्रशिक्षण में इस मुद्दे को शामिल किया जाना चाहिए।
संपत्ति में लड़कियों को पूरा अधिकार होना चाहिए। घर का वातावरण लड़की को आत्मविश्वासी बनाता है। उसको मजबूत करने की आवश्यकता है। फोटो : 11
शिकायतों का समाधान करते हैं : अर¨वद्रजीत कौर
जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी अर¨वद्रजीत कौर का कहना है कि हमारा प्रयास रहता है कि आपसी बातचीत एवं काउंसि¨लग से समझौता करवा दिया जाए। यदि समझौता नहीं होता है तो महिला की शिकायत पर कानूनी कार्रवाई के लिए भेज दिया जाता है। यह महिला पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार से मामला दर्ज करवाती है। महिलाओं को घरेलू ¨हसा का शिकार नहीं होना पड़े, इसके लिए लोगों के साथ बैठकों का आयोजन किया जाता है।