श्रमिकों को फ्लाइट से आने का ऑफर, टिकट के पैसे भेज रहे हरियाणा के उद्यमी
हरियाणा के उद्यमी कामगाराें और श्रमिकों को वापस आने के लिए एयर फ्लाइट से आने का ऑफर दे रहे हैं। इसके लिए वे श्रमिकाें को टिकट का पैसा भेज रहे हैं।
पानीपत, [महावीर गोयल]। अनलॉक के बाद उद्योग चलना शुरू हो गए हैं। अब उद्यमी रफ्तार देने में जुटे हैं। उद्यमियों ने श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें फ्लाइट से आने तक के ऑफर दिए। एडवांस में टिकट भेजी जा रही हैं। श्रमिक लौटना भी शुरू हो गए थे लेकिन अफवाहों ने उनको रोक दिया है। इससे पानीपत का मिंक कंबल व धागा उद्योग सकते में है।
मिंक कंबल व धागा कारोबारियों की परेशानी बढ़ी, ङ्क्षमक कंबल उत्पादकों के परेशानी बढ़ी
इन दिनों मिंक कंबल बनाने का काम जोरों पर होता है। सर्दियों के लिए माल बनाया जाता है। श्रमिकों की कमी से उद्योग पूरी तरह से चल नहीं पा रहे हैं। धागे की डिमांड भी अच्छी चल रही है। पानीपत में रोजाना 1000 टन से अधिक ओपनएंड धागा बनता है। यह धागा पुराने कपड़ों के रि-साइकिल से बनने वाली रुई व कांबर से बनाया जाता है। धागा बनाने के कई प्रोसेस होते हैं।
इनमें अलग-अलग श्रमिक एक्सपर्ट रखे जाते हैं। लॉकडाउन में यहां से श्रमिकों के जाने से उद्योगों को संकट झेलना पड़ रहा है। उत्पादन मांग से कम हो रहा है। उद्योगों को रफ्तार देने के लिए उद्यमियों ने लेबर लाने के लिए गाडिय़ां उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल भेजना शुरू कर दिया है।
सर्दी के सीजन को देखते हुए जून से ही मिंक कंबल का उत्पादन शुरू हो जाता है। ठंड से पहले उद्यमी तथा थोक व्यापारियों के बीच सौदे हो जाते हैं। उसी के मुताबिक कंबल का उत्पादन होता है। अग्रिम राशी लेकर बुकिंग होती है। सीजन में भाव न बढ़ जाए, इसीलिए अन्य प्रदेशों को व्यापारी इन दिनों सौदे कर लेते हैं। डिलीवरी सर्दियों में लेते हैं। श्रमिकों की कमी से उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसीलिए उद्यमी श्रमिकों को तरह-तरह की ऑफर दे रहे हैं।
कामगारों को समझाना मुश्किल
कंबल मैन्युफैक्चर्स प्रीतम सचदेवा का कहना है कि कामगारों को समझाना बड़ा मुश्किल हो रहा है। पटना के आसपास रह रही लेबर को फ्लाइट की ऑफर कर चुके हैं। पानीपत से पूरे देश में मिंक कंबल का निर्यात होता है। पहले ङ्क्षमक कंबल चाइना से मंगाया जाता था, लेकिन पानीपत के कंबल क्वालिटी अच्छी और सस्ती होने के कारण यहां की मांग अधिक चल रही है।
खाते में भेज रहे पैसे
रोटर स्पिनर्स एसोसिएशन के धनराज बंसल का कहना है कि फिलहाल श्रमिक कम होने के कारण उत्पादन कम हो रहा है। उम्मीद है कि अगले महीने तक श्रमिक लौट आएंगे। उद्यमी उनके संपर्क में हैं। उद्यमी मुकेश बंसल का कहना है कि 25 फीसद लेबर से काम हो रहा है। श्रमिकों के खातों में भी पैसे भेज रहे हैं। 15 जून के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। कुछ कामगार आने थे। राजस्थान में बार्डर सील होने के कारण नहीं आ पाए।
धागा का भाव तेज हुआ
मांग व उत्पादन कम होने से भाव एक से दो रुपये किलो तक ओपनएंड धागे के बढ़ चुके हैं। 25 फीसद कामगारों से ही काम चल पा रहा है। उद्यमी कामगारों को लाने के लिए हर प्रकार से प्रयास कर रहे हैं। गाडिय़ां, टिकट, अग्रिम राशि के साथ-साथ फ्लाइट की ऑफर दे रहे हैं।
कैसे बनता है मिंक कंबल
-पोलियस्टर से ताना बनाया जाता है।
-ताना से कपड़ा बनता है।
-कपड़े की कटिंग होती है, उसे पॉलिश किया जाता है।
-फिर प्रिंटिंग का काम होता है। प्रिंटिंग के बाद सुखाने (ड्राई) करने का काम होता है।
-इसके बाद कलर पक्का किया जाता है। फिर फिनिशिंग का कार्य होता।
-इसी प्रकार धागा बनाने में मिक्सिंग, बलोरिंग, कार्डिंग, ड्राई, ओपन एंड पर धागा तैयार होता है।
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