कुश्ती में देश का रोशन किया नाम, कैश अवार्ड के लिए दर-दर भटक रही पहलवान बेटियां
कुश्ती में देश का नाम रोशन करने वाली करनाल की दो पहलवान बहनें कैश अवार्ड के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। चार बार जिला स्तर पर दस्तावेजों को दुरुस्त करके मुख्यालय में भेजा गया। लेकिन फिर भी इन्हें अब तक कैश अवार्ड नहीं दिया गया। जानिए पूरा मामला...
करनाल, [यशपाल वर्मा]। खेलों में बेटियों को प्रोत्साहित करने वालों को खेल विभाग की कार्यप्रणाली निराश कर रही है। गांव बड़ौता की कुश्ती पहलवान बहनों का खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग मुख्यालय के कर्मचारी तीन साल से कैश अवार्ड नहीं दे रहे हैं। गोल्ड मेडल जीतने के बाद बेटियां अपने अधिकार को पाने के लिए कभी कर्ण स्टेडियम तो कभी मुख्यालय के चक्कर लगा रही हैं। चार बार जिला स्तर पर दस्तावेजों को दुरुस्त करके मुख्यालय में भेजा गया लेकिन प्रतिद्वदियों को धूल चटाने वाली पहलवान बहनों को कर्मचारियों की सुस्ती पटकनी दे रही है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रतिद्वदियों को हार का चेहरा दिखाने वाली जिले के गांव बड़ौता की संजू देवी और सृष्टि जरूरतमंद परिवार से हैं और काफी संघर्ष के बाद कुश्ती में अपनी पहचान बनाई है।
पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा भेजी लिस्ट में बहनों का अवार्ड रोका
डिजिटल युग में जहां प्रदेश सरकार मिनटों में आवेदन और प्रमाण के दावे कर रही है, लेकिन इसके उलट सभी औपचारिकाताएं पूरी करने बावजूद इन पहलवान बहनों के खाते में ईनाम की राशि नहीं डाली गई है। वर्ष 2016-17 में कैश अवार्ड के लिए मुख्यालय भेजी गई लिस्ट में अन्य खिलाड़ियों के साथ पहलवान संजू देवी पुत्री बजिंद्र पाल और सृष्टि पुत्री बजिंद्र पाल का नाम भी शामिल किया गया था। जिला खेल विभाग की पांच सदस्यीय चयन कमेटी के नेतृत्व में लिस्ट तैयार की गई थी, जिसमें से अधिकतर खिलाड़ियों को राशि ट्रांसफर कर दी गई है। लेकिन अभी तक मुख्यालय में दोनों बहनों का कैश अवार्ड रुका हुआ है।
सब-जूनियर और जूनियर मुकाबलों में जीता था गोल्ड
12 फरवरी 2017 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर में आयोजित 20वीं महिला सब जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में संजू देवी ने गोल्ड मेडल हासिल किया था। इसी तरह सृष्टि ने 20-23 जनवरी 2017 को बिहार के पटना में 19वीं महिला जूनियर नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। पहलवान संजू और सृष्टि के पिता बजिंद्रपाल ने बताया कि मेडल लाने पर कैश अवार्ड से नवाजने के सरकार के दावों को खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग मुख्यालय के कर्मचारी ग्रहण लगा रहे हैं।बेटियों के कुश्ती में अभ्यास में व्यस्त रहने के कारण जिला स्तर से लेकर खेल विभाग मुख्यालय के कई चक्कर काट चुके हैं। कोरोना के दौरान जब लोग घरों में सुरक्षित बैठे थे तब मुख्यालय के कर्मचारी उनके चक्कर कटवा रहे थे।
आसान नहीं होता मुकाम हासिल करना : पहलवान संजू
जिला के गांव बड़ौता की पहलवान बहनें बचपन से कुश्ती खेल रही हैं और कामयाबी के लिए दिन-रात मेहनत की है। जिला, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कोई मुकाबला नहीं जिसमें इन बहनों ने हिस्सा न लिया हो। मेहनत के बलबूते पर सृष्टि और संजू देवी ने अनेकों मुकाबले जीत कुश्ती में पहचान बनाई है। आर्थिक तौर पर कमजोर सृष्टि और संजू के अनुसार अपने अभ्यास को जारी रखने के लिए ईनाम की राशि पर निर्भर हैं। कुश्ती में जीत के स्वाद के लिए दिन-रात गांव की मिट्टी में पसीना बहाया है। प्रतिद्वदियों को धूल चटा गोल्ड मेडल हासिल किया लेकिन खेल विभाग मुख्यालय के कर्मचारियों के कारण अभी तक उन्हें उनके कैश अवार्ड से वंचित रखा गया है।
मामला जल्द सुलझाएगा
खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग के निदेशक पंकज नैन ने बताया कि वर्ष-2017 तक के अटके आवेदनों की राशि जारी करने के लिए जिला कार्यालयों से नाम मांगे गए थे और लगभग अधिकतर खिलाड़ियों का कैश अवार्ड खाते में भेजा गया है। यह मामला वर्ष-2017 से पहले का है। दोनों पहलवान खिलाड़ियों का कैश अवार्ड उनका हक है और इसे जल्द सुलझाने का प्रयास किया जाएगा।