Haryana Monsoon Update News : मानसून में बार-बार बदलाव से मौसम विज्ञानी भी हैरान, जानिए क्यों बढ़ता गया इंतजार
Haryana Weather Forecast हरियाणा में मानसून की शुरुआत हल्की बारिश से हो गई है। पानीपत करनाल जींद हिसार सहित कई शहरों में देर शाम से बूंदाबांदी शुरू हो गई है। वहीं मानसून में बार-बाद बदलाव से वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
करनाल, [प्रदीप शर्मा]। हरियाणा में मानसून की बारिश शुरू हो चुकी है। हरियाणा के कई हिस्से पानीपत, अंबाला, कैथल, जींद, करनाल, यमुनानगर में भी देर शाम से बूंदाबांदी शुरू है। वहीं, समय से पहले मानसून की आहट के बावजूद बारिश का न होना मौसम वैज्ञानिकों के लिए चिंता बनी है।
जानिए कैसे हो रहा मौसम परिवर्तन
इस समय कम दबाव का क्षेत्र उत्तर आंध्र प्रदेश और दक्षिण ओडिशा तट से सटे पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी पर बना हुआ है। संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण औसत समुद्र तल से 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला हुआ है। राजस्थान के पश्चिमी भाग से पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, दक्षिण छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के उत्तरी तट से होते हुए एक निम्न दबाव की रेखा पश्चिमी मध्य बंगाल की खाड़ी पर बने हुए निम्न दबाव तक जा रही है। राजस्थान के मध्य भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तरी पाकिस्तान और इससे सटे क्षेत्र पर बना हुआ है।
इसलिए मानसून का इंतजार बढ़ा
इस समय हवाओं के पूर्व की ओर मुड़ने, आर्द्रता में वृद्धि और सुबह के समय हल्की हवा के साथ लगातार कम बादलों के साथ वातावरण में परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। लेकिन ये परिवर्तन बरसात के रूप में प्रकट होने के लिए कम पड़ रहे हैं, जो सबसे महत्वपूर्ण है, और इसलिए समय सीमा फिसल रही है। ये स्थितियां मानसून की कसौटी को मामूली रूप से पूरा करने के लिए पर्याप्त हो सकती हैं, बूंदाबांदी के अलावा कुछ ज्यादा राहत मिलने वाली नहीं है।
समय से पहले थी मानसून की दस्तक
समय से पहले मानसून की आहट के बाद भी हरियाणा के हिस्से में मानसून की बरसात ना के बराबर ही हुई है। जून के दूसरे पखवाड़े में मानसून के प्रदर्शन ने निराश किया, अब जुलाई माह के पहले पखवाड़े में भी मानसून से निराशा ही हाथ लगी है। प्रदेश में जुलाई माह में अब तक सामान्य से 80 प्रतिशत बरसात कम हुई है, यानि प्रदेश सूखा ग्रस्त होने की तरफ धीरे-धीरे बढ़ रहा है। मानसून लुका-छिपी का खेल, खेल रहा है। हरियाणा में मानसून की हल्की शुरूआत हुई है। किसान उम्मीद लगाए बैठे थे कि जून माह में बरसात की जो कमी रही है वह जुलाई में संभवत: दूर हो जाएगी। लेकिन इस माह में स्थिति ओर भी गंभीर हो गई है। जुलाई माह में प्रदेश में मानसून की महज एक बरसात हुई है। पूरे प्रदेश के किसान त्राही-त्राही कर रहे हैं।
इन जिलों के हालात मानसून पर काफी निर्भर
वैसे तो मानसून की बरसात पूरे प्रदेश को जरूरत है। लेकिन धान बाहुल्य जिले विशेषकर यमुनानगर, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और सोनीपत को ज्यादा जरूरत है। उम्मीद के अनुरूप बरसात नहीं होने के कारण धान रोपाई का काम पूरा नहीं हो पाया है। पिछले साल हरियाणा में 38.97 लाख एकड़ में धान की खेती हुई थी। बरसात कम रही तो यह आंकड़ा कम हो सकता है। जिन किसानों ने धान की रोपाई की हुई है, वहां पर पानी की कमी होने के कारण फसलें सूख रही हैं। जो किसान मानसून की बरसात के इंतजार में बैठे हुए थे, वह आज भी ऐसे ही इंतजार कर रहे हैं, लेकिन बरसात नहीं हो पा रही है।