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कांग्रेस में टूट से पैदा हुए 70 से अधिक दल, हरियाणा में निकले तीन 'लाल', अब पंजाब के कैप्टन पर निगाहें

कांग्रेस से टूटने के बाद 70 से नए अधिक दल देश में बन चुके। इसमें हरियाणा के नेताओं का भी अहम योगदान रहा। कांग्रेस से अलग होकर देवीलाल बंसीलाल और भजनलाल ने बनाए थे। अब कैप्टन अमरिंदर सिंह भी इसी राह पर हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 10:02 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 05:10 PM (IST)
कांग्रेस में टूट से पैदा हुए 70 से अधिक दल, हरियाणा में निकले तीन 'लाल', अब पंजाब के कैप्टन पर निगाहें
पंजाब के पूर्व सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह।

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। कांग्रेस में टूटने से पैदा हुए 70 से अधिक नए दलों के बनने में हरियाणा का योगदान भी कम नहीं है। प्रदेश में स्व. देवीलाल, स्व. बंसीलाल और स्व. भजनलाल ने समय-समय पर खुद को कांग्रेस से अलग करते हुए अपनी-अपनी अलग पार्टियां बनाई। यह तीनों नेता हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हरियाणा की राजनीति की पहचान इन तीनों लालों से होती है। अब प्रदेश की राजनीति में हालांकि चौथे लाल, मनोहर लाल भी पूरी तरह से सक्रिय हैं, लेकिन वह भारतीय जनता पार्टी की राजनीति करते हैं। मनोहर लाल हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं। उन्हें दूसरी बार सरकार बनाने का मौका मिला है।

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कैप्‍टन का असर हरियाणा की राजनीति पर भी

हरियाणा के तीन लालों के बाद अब पंजाब में कांग्रेस से अलग होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह भी इसी राह पर हैं।पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलग पार्टी बनाने का असर हरियाणा की राजनीति पर पड़ना तय है। प्रदेश में कई बार ऐसे मौके आए, जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी अलग पार्टी बनाने के संकेत दिए। उन्होंने हरियाणा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डा. अशोक तंवर को पद से हटाने की मुहिम चलाई। कांग्रेस हाईकमान ने जब तंवर को नहीं हटाया तो रोहतक में रैली कर हुड्डा ने साफतौर पर अपनी अलग पार्टी बनाने का संकेत दे दिया था, लेकिन जी-२३ के नेताओं के हस्तक्षेप के चलते हुड्डा ने यह इरादा टाल दिया। राजनीतिक परिस्थितियों के चलते अशोक तंवर खुद ही कांग्रेस छोड़ गए और उन्होंने अपना अलग संगठन बनाया।

अशोक तंवर ने भी कांग्रेस से टूटकर बनाया नया दल

अशोक तंवर ने इस संगठन का नाम अपना भारत मोर्चा रखा। विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला का साथ दिया। ऐलनाबाद उपचुनाव में इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के साथ ताल से ताल मिलाई। अब अशोक तंवर पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। उनसे पहले, जब हरियाणा अलग राज्य बना था, तब प्रदेश में विशाल हरियाणा पार्टी का गठन हुआ था। यह पार्टी राव बीरेंद्र सिंह ने बनाई थी, जिनके बेटे राव इंद्रजीत पहले कांग्रेस की राजनीति करते थे और अब भाजपा की राजनीति करते हैं। गुरुग्राम से सांसद हैं तथा मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं।

ये भी चर्चा में रहा था

हरियाणा बनने के बाद वर्ष 1967 में हुए पहले आम चुनाव में राव बीरेंद्र पटौदी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए। उन्होंने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री भगवत दयाल के समर्थित प्रत्याशी दया किशन को हरा दिया। भारत के राजनीतिक इतिहास में यह अपनी तरह की पहली घटना थी। राव बीरेंद्र प्रदेश के प्रथम निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष बने। 1968 के आम चुनाव में विशाल हरियाणा पार्टी ने 39 विधानसभा सीटों में से 12 पर जीत दर्ज की। आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी के आग्रह पर राव बीरेंद्र ने अपनी पार्टी का 23 सितंबर 1978 को कांग्रेस (आई) में विलय कर लिया। वर्ष 1980 में केंद्र में कांग्रेस सरकार बनने पर इंदिरा गांधी ने राव को कृषि, सिंचाई, ग्रामीण विकास, खाद्य एवं आपूर्ति जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा सौंपा। 1996 के बाद से उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ दी थी।

1971 में चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस छोड़ी थी

सियासत में नए दल का बनना कोई नई बात नहीं है, लेकिन दल यदि किसी बड़ी पार्टी से टूटकर बने तो जरूर चर्चा का विषय बनता है। चौधरी देवीलाल ने 1971 में कांग्रेस छोड़ दी थी। 1974 में उन्होंने रोड़ी सीट से चुनाव लड़ा लेकिन 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी, देवीलाल काफी दिन जेल में रहे। आपातकाल हटा तो 1977 में चुनाव हुए और देवीलाल ने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वे सीएम बने थे। इसके बाद 1980 में संसदीय चुनाव हुए, जिसमें देवीलाल ने जनता पार्टी (समाजवादी) से चुनाव लड़ा। इसके बाद देवीलाल ने 1982 में लोकदल की स्थापना की। 1987 का विधानसभा चुनाव भी लोकदल से लड़ा और बड़ी जीत हासिल की। देवीलील सीएम बने, इसके बाद 1989 में देवीलाल केंद्र की वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उपप्रधानमंत्री बन गए। मुख्यमंत्री का पद खाली हुआ तो ओमप्रकाश चौटाला को बैठा दिया गया। 1990 तक पार्टी में इस कदर विवाद हुआ कि लोकदल टूट गई। फिर 1996 में ओमप्रकाश चौटाला और देवीलाल ने इंडियन नेशनल लोकदल की स्थापना की जो अब पारिवारिक विवाद के बाद टूट चुकी है।

बंसीलाल दो बार सीएम रहे

इसी तरह हरियाणा विकास पार्टी बनाने से पहले बंसीलाल दो बार सीएम रह चुके थे। उस समय देश की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी के साथ बंसीलाल के अच्छे संबंध थे। इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1984 में राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। राजीव गांधी के साथ हरियाणा के नेता चौधरी भजनलाल की नजदीकीयां थी। पार्टी में दरकिनार होने की वजह से 1991 में बंसीलाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से कांग्रेस से निकाल दिया गया। 1996 में बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना कर दी। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में 33 सीटें जीतकर बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया और सरकार बना ली। लेकिन 1999 में गठबंधन टूट गया और सरकार गिर गई। बंसीलाल का स्वास्थ्य खराब रहने लगा तो उन्होंने 8 साल के बाद 2004 में हरियाणा विकास पार्टी का वियल दोबारा कांग्रेस में कर दिया।

चौधरी भजन लाल तीन बार सीएम

चौधरी भजन लाल 1979, 1982, 1991 तीन बार हरियाणा के सीएम रहे। 2005 में कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव भजन लाल के चेहरे पर लड़ा था लेकिन जब मुख्यमंत्री बनाने की बात आई तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सीएम बना दिया गया। इस बात से भजनलाल काफी नाराज हुए और उन्होंने 2007 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी (हजकां) बनाई। हजकां ने पहले बीएसपी से और फिर बीजेपी से गठबंधन किया लेकिन यह गठबंधन चल नहीं पाया। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व में पार्टी ने खड़ा होने के लिए काफी संघर्ष किया लेकिन पार्टी खड़ी नहीं हो पाई। अंत में फैसला लिया गया कि पार्टी का विलय कर देना चाहिए। पार्टी के कुछ लोगों ने तो बीजेपी में विलय करने का भी सुझाव रखा था लेकिन पार्टी नेताओं का मानना था कि वे कांग्रेसी हैं तो कांग्रेस में ही विलय करेंगे। अंत में 9 साल के संघर्ष के बाद 2016 में हरियाणा जनहित कांग्रेस का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया गया।


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