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शिक्षा विभाग और विद्यालय संघ में ठनी, इसलिए हाईकोर्ट में होंगे आमने-सामने

प्रति विद्यार्थी तीन से चार सौ रुपये दिए जाने के मामले में विद्यालय संघ अब शिक्षा विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा। वहीं शिक्षा विभाग ने फीस से जुड़े दस्तावेज जमा करने के निर्देश दिए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 01:16 PM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 01:16 PM (IST)
शिक्षा विभाग और विद्यालय संघ में ठनी, इसलिए हाईकोर्ट में होंगे आमने-सामने
शिक्षा विभाग और विद्यालय संघ में ठनी, इसलिए हाईकोर्ट में होंगे आमने-सामने

पानीपत,[जगमहेंद्र सरोहा]। 134-ए के तहत दाखिलों में फंसे शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों को फीस की प्रतिपूर्ति के बिलों की नई गाइडलाइन जारी की है। विभाग ने 2015 से 18 तक प्रति विद्यार्थी फीस की प्रतिपूर्ति 300 से 400 रुपये करने का फैसला किया है। हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ ने इसे कम बताते हुए हाईकोर्ट में अवमानना का केस दायर करने की चेतावनी दी है। 

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शिक्षा विभाग के आदेश के मुताबिक स्कूलों को 134-ए के तहत सोमवार शाम चार बजे फीस की प्रतिपूर्ति के लिए बिल जमा कराना है। निदेशालय स्तर के अधिकारियों की शनिवार शाम चंडीगढ़ में हुई बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। विभाग ने 2015 और अब तक की फीस की प्रतिपूर्ति के बिल नए सिरे से भेजने का फैसला लिया। 

आय प्रमाणपत्र और दूसरे बिंदुओं का समाधान 

134-ए के दाखिलों में अधिकतम आय राशि दो लाख रुपये तय की गई है। यह 2019-20 के लिए भी लागू होगी। विभाग ने स्पष्ट किया कि सरकार के अधिकृत अधिकारी का जारी आय प्रमाण पत्र मान्य होगा। 134-ए के अंतर्गत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को अगले वर्ष किसी स्क्रीनिंग प्रकिया या टेस्ट में शामिल नहीं किया जाएगा। यह दाखिला स्कूल की उच्चतम कक्षा के लिए मान्य होगा। इधर कुछ स्कूल संचालकों का कहना है कि कुछ अभिभावकों का आय प्रमाण पत्र और उसकी वास्तविक आय में अंतर है। 

एनसीएफडब्ल्यू और एनसीइआरटी के विषय और पुस्तक 

विभाग ने विद्यार्थियों के विषयों और पुस्तकों के बारे में भी स्पष्ट किया है। विद्यार्थी केवल राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार परिभाषित विषयों या फिर एनसीइआरटी की ओर से अनुमोदित पुस्तकें खरीदने के लिए जिम्मेदार होगा। स्कूल विद्यार्थी पर अन्य पुस्तकों की खरीद का दबाव नहीं बना सकता। ऐसा होता है तो विभाग कार्रवाई करेगा। 

ये नियम लागू किए हैं

1. स्कूल को इसका अलग से बैंक खाता खोलना होगा। 

2. स्कूल को विभाग की ओर से बच्चों के दाखिलों के लिए वर्ष के आरंभ में स्पोंसर सूची को साथ लगाना होगा।

3. वर्ष 2015 से 17-18 तक में दाखिल विद्यार्थियों की बिल प्रतिपूर्ति की दर दूसरी से पांचवीं कक्षा की 300 रुपये और छठी से आठवीं कक्षा की 400 रुपये होगी। 

4. वर्ष 2018-19 के लिए बिल प्रतिपूर्ति दूसरी से पांचवीं कक्षा के लिए 300 से 500 और छठी से आठवीं कक्षा के लिए 500 से 700 रुपये होगी। 

5. वर्षभर पढ़े बच्चों की हाजिरी 80 प्रतिशत रहनी चाहिए। 

6. ऐसे बच्चे सालभर स्कूल में पढ़कर परीक्षा में बैठे हों। 

7. क्या पाठ्य क्रियाओं में भेदभाव हुआ है? 

8. विद्यार्थियों से कोई अन्य फंड जैसे डेवलेपमेंट फंड, कंपीटिशन फीस, मेंटेनेंस फीस या वार्षिक फंड लिया है या नहीं। 

स्कूलों को 134-ए के तहत फीस की प्रतिपूर्ति के लिए रिपोर्ट सोमवार शाम तक ऑफिस में देनी होगी। निदेशालय के नियमों के आधार पर ही प्रति विद्यार्थी प्रतिपूर्ति राशि दी जाएगी। प्रबंधन को नए दाखिलों के लिए गंभीरता से काम करना होगा। 

धर्मबीर कादियान, डीईईओ, पानीपत।

आज के समय में एक बच्चे की मासिक फीस 300 से 500 रुपये न्यायसंगत नहीं है। सरकारी स्कूल के एक बच्चे पर करीब 70 हजार रुपये वार्षिक खर्च आता है। सरकार कम से कम सरकारी स्कूलों के हिसाब से ही फीस की प्रतिपूर्ति करे। स्कूलों को 134-ए के तहत बच्चों को पढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन विभाग को भी फीस के बारे में विचार करने की जरूरत है। वे हाईकोर्ट में अवमानना का केस दायर करेंगे। संघ सभी स्कूलों से इस विषय में बातचीत भी करेगा। इसके आधार पर ही आगामी कदम उठाएंगे। 

विजेंद्र मान, प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ।

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