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सरकार के विरोध में हरियाणा राइस मिल एसोसिएशन, कई अहम फैसले लेकर दी चेतावनी

कुरुक्षेत्र में हरियाणा राइस मिल्‍स एसोसिएशन की प्रदेश स्तरीय बैठक हुई। इसमें कई अहम फैसले लेकर सरकार को चेताया गया। एसोसिएशन ने किसान आढ़ती और राइस मिलों की समस्याएं समान बताई।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 10:38 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 10:38 AM (IST)
सरकार के विरोध में हरियाणा राइस मिल एसोसिएशन, कई अहम फैसले लेकर दी चेतावनी
सरकार के विरोध में हरियाणा राइस मिल एसोसिएशन, कई अहम फैसले लेकर दी चेतावनी

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। राइस मिल मालिकों ने किसान, आढ़तियों और मिल मालिकों की समस्याओं को एक बताते हुए कुरुक्षेत्र की धरती से सरकार के साथ लड़ाई का बिगुल बजा दिया है। खास बात यह है कि अब तक अलग-अलग लड़ाई लड़ रही राइस मिलों का नेतृत्व कर रही दोनों यूनियन एक मंच पर आ गई हैं। मिल मालिकों ने किसानों व आढ़तियों के साथ मिल मालिकों की समस्याओं का समाधान होने तक कस्टम मिलिंग न करने का फैसला लिया है। इसके साथ कस्टम मिलिंग को लेकर सिक्योरिटी राशि 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने समेत कई नए नियमों को भी गलत बताया है। 

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हरियाणा राइस मिल्‍स एसोसिएशन और प्रदेश की दूसरी यूनियन की संयुक्त बैठक सोमवार को कुरुक्षेत्र के पर्ल मार्क होटल में हुई। इसकी अध्यक्षता यूनियन के प्रधान हंसराज सिंगला और संचालन चेयरमैन ज्वैल सिंगला ने की। इसमें हर पहलू पर बारीकी से चर्चा की और फैसले लिए गए। मिल मालिकों ने कस्टम मीलिंग के लिए दी गई धान की फिजिकल वेरिफिकेशन करने के तरीके को गलत बताया। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों पुलिस के पहरे में फिजिकल वेरिफिकेशन की गई थी। अधिकारियों ने अपनी कमियों को छुपाते ही मिल मालिकों को दोषी करार देने का प्रयास किया। इस मौके पर उप प्रधान राजेंद्र रहेजा, वरिष्ठ सदस्य अशोक खुराना, दूसरी यूनियन के सलाहकार अमरजीत छाबड़ा व महासचिव राजेंद्र गर्ग मौजूद रहे। 

बैठक ये लिए फैसले 

प्रशासन ने कस्टम मीलिंग में शत प्रतिशत चावल की रिकवरी के लिए सिक्योरिटी राशि 10 से 50 लाख और धान की कीमत के बराबर प्रॉपर्टी रखने का नियम बनाया है। मिल मालिकों का कहना है कि वे कस्टम मीलिंग में सरकार और विभाग का सहयोग करते हैं। उन पर इस तरह की शर्त लगाना गलत है। मिल मालिक 50 लाख की सिक्योरिटी और पूरी प्रॉपर्टी नहीं रख सकते। पहले मिल मालिकों को 50 फीसद बारदाना देना होता था। अब उनसे शत प्रतिशत बारदाने की मांग की जा रही है। यह भी गलत है। मिल मालिक पहले जिला स्तर पर ही अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते थे, लेकिन अब मुख्यालय पर कर दिया है। यह भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है।


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