पिता का संघर्ष देखा तो ली ईमानदारी से काम करने की सीख, बन गए हरियाणा पुलिस के हीरो, मिला राष्ट्रपति पदक
हरियाणा पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए राजेश कुमार एसआई बन चुके हैं। बेहतर काम के लिए अब उन्हें राष्ट्रपति पदक के लिए सम्मानित किया गया। पिता कारपेंटर का काम करते थे। उनके संघर्ष को देखकर ईमानदारी से काम करने का संकल्प लिया।
करनाल, [सेवा सिंह]। कारपेंटर पिता को संघर्ष करते देखा तो बेटे ने जीवन में ईमानदारी व निष्ठा से काम करने की सीख ली। स्कूल-कालेज में इसी सीख पर चलते हुए दूसरे बच्चों से कुछ अलग कर दिखाया। बाद में हरियाणा पुलिस में सिपाही के तौर पर भर्ती होने के बाद एएसआई पद तक पहुंचे और अपनी सेवाएं यूनाइटेड नेशन में भी दी। अब राजेश को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया।
मूलरूप से राजस्थान के रहने वाले हैं राजेश
राजेश ने ईमानदारी व काम के प्रति निष्ठा के चलते पुलिस विभाग का गौरव बढ़ाया और बेहतर जवान होने का तमगा हासिल किया। यह कहानी हरियाणा पुलिस अकादमी में 2018 से तैनात एसआई राजेश सुथार की है, जिन्हें बेहतर सेवा देने पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति पदक के लिए चयन किया गया है। मूल रूप से राजस्थान के चुरू जिले के गांव पडि़हारा के राजेश को सम्मानित किए जाने से न केवल परिवार बल्कि विभाग में भी खुशी की लहर है।
यूएनओ में बेहतर काम करने पर मिला था मेडल
2000 में राजेश हरियाणा पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। वह कमांडो के अलावा रोहतक व अन्य जगह भी सेवाएं दे चुके हैं। ड्यूटी के प्रति गंभीर राजेश ने हर मोर्चे पर बेहतर कर दिखाया। 2017-18 में उन्हें यूनाइटेड नेशन आर्गेनाइजेशन में चुनौतीपूर्ण काम करने का मौका मिला तो वहां भी बेहतर जवान साबित हुए। उन्हें यूनाइटेड नेशन पीस किपिंग अवार्ड से नवाजा गया। विभाग की ओर से उन्हें 100 से अधिक प्रशंसापत्र मिले हैं। उनकी अधिकतर सेवाएं पुलिस अकादमी में रहींं, जहां उन्होंने हिस्ट्री आफ हरियाणा पुलिस ट्रेनिंग से लेकर गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन पर भी बेहतर रिसर्च कार्य किए, जो पुलिस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किए जाते हैं।
गणतंत्र दिवस परेड में कर चुके हरियाणा का प्रतिनिधित्व
राजेश करनाल के दयाल सिंह कालेज में पढ़ते समय एनसीसी के बेहतर जवान रहे। उन्होंने सी सर्टिफिकेट हासिल किया तो गणतंत्र दिवस परेड में उन्होंने एनसीसी जवान के तौर पर हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया था। उस दौरान उन्हें तत्कालीन राज्यपाल ने सम्मानित किया था।
पिता का संघर्ष आज भी याद
राजेश बताते हैं कि पिता राम लाल कारपेंटर थे। वह राजेश को बेहतर शिक्षा देने के लिए राजस्थान के चुरू के गांव पडि़हार से करनाल आए थे। यहां उन्होंने परिवार को संभाला तो अपना काम भी पूरी लगन व ईमानदारी से करते रहे। इसी की बदौलत उनके अलावा दो अन्य भाईयों व एक बहन को बेहतर शिक्षा दे सके। उन्होंने दयाल सिंह कालेज से पढ़ाई पूरी की। उनके दो भाई नवीन व विनोद करीब आठ साल से न्यूजीलैंड में हैं। राजेश कहते हैं कि जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो उन्हें राष्ट्रपति पदक मिलना सौभाग्य है। ये क्षण पूरी जिंदगी में अहम होंगे। सबको अपनी ड्यूटी निष्ठा व ईमानदारी से करनी चाहिए। ऐसी मेहनत का फल अवश्य मिलता है।