पढ़ें राष्ट्रपति पुलिस पदक विजेता की कहानी, भारत-पाक युद्ध में दादा ने दिया बलिदान, उन्हीं के पदचिन्हों पर चले SI मनोज कुमार
एसआई मनोज कुमार को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है। मनोज कुमार के दादा ने भारत पाक युद्ध में बलिदान दिया। अब एसआई मनोज कुमार उन्हीं के पद चिन्हों पर चले। सिपाही के तौर पर हुए थे भर्ती।
करनाल, जागरण संवाददाता। सेना में सिपाही रहे पानीपत के अटावला के रहने वाले दरिया सिंह ने 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में वीरता दिखाई। उनकी वीरता ने आगे की पीढिय़ों में देश सेवा का जज्बा भर दिया। दरिया सिंह ने इस युद्ध में बलिदान दिया। आगे की पीढ़ी उन्हीं के पदचिन्हों पर चल पड़ी। पहले दादा दरिया सिंह को सेना में तो फिर चाचा सुखवीर सिंह को हरियाणा पुलिस व भाई देवेंद्र को दिल्ली पुलिस में तैनाती के साथ देश सेवा करते देखा तो कर्मठता व ईमानदारी के चलते राष्ट्रपति पुलिस पदक हासिल कर दूसरे कर्मियों के लिए आदर्श बन चुके मनोज कुमार भी पीछे नहीं रहे।
मनोज दिसंबर 2003 में बतौर सिपाही हरियाणा पुलिस में भर्ती हुए तो अपनी काबिलियत, ड्यूटी के प्रति ईमानदारी व निष्ठा के बल पर 2012 में हवलदार बन गए। दो साल बाद 2014 में एएसआई पदोन्नत हुए। जून 2021 में वह एसआई बने और आजादी के अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक मिला है। इससे पूरे विभाग व परिवार में खुशी का माहौल है। मनोज कुमार लंबे समय से हरियाणा पुलिस अकादमी में रहे हैं और फिलहाल आइजी वाई पूर्ण कुमार के रीडर होने के साथ आईटी सैल इंचार्ज का जिम्मा भी संभाले हुए हैं।
हर जिम्मेदारी निभाई : मनोज
एसआई मनोज कुमार बताते हैं कि सामान्य हालात हो या फिर कोरोना काल जैसी आपदा, हर मोर्चे पर उन्होंने पूरी ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा से ड्यूटी की। कोरोना काल में तत्कालीन आईजी के साथ वह कैथल में तैनात रहे, जहां लोगों को महामारी से बचाने के हरसंभव प्रयास किए। यह उनकी डयूटी के प्रति ईमानदारी और लगन का ही परिणाम है कि 165 प्रशंसापत्र मिल चुके हैं। उनका कहना है कि उच्चाधिकारियों के दिखाए सही रास्ते और दूसरे कर्मियों के सहयोग के चलते हरसंभव बेहतर परिणाम देते रहे हैं।