हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा, आज भी बेटियों के लिए समाज में बंदिशों की बेड़ियां Panipat News
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा कि प्रदेश में खिलाड़ियों की सुविधाएं मिल रही हैं। यही कारण है कि हरियाणा खेलों में नंबर वन है। लेकिन समाज में लड़कियों पर बंदिशें।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। टोक्यो ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम का टिकट कटाने वाली कप्तान एवं अनुभवी स्ट्राइकर रानी रामपाल ने कहा कि अब ओलंपिक की तैयारी व पदक जीतने के मकसद को हासिल करने के लिए पर्याप्त वक्त है। अभ्यास के लिए बेंगलुरू में भारतीय महिलाओं के राष्ट्रीय शिविर की शुरुआत कुछ दिनों में होने जा रही है। दो नवंबर को महत्वपूर्ण हॉकी मुकाबले की जीत का श्रेय लेने के बाद बुधवार को करनाल के शाखा ग्राउंड में खेल मुकाबलों की शुरुआत करने पहुंची कप्तान रानी रामपाल ने महिला खिलाड़ियों को आत्मनिर्भर होने के लिए प्रेरित किया। दैनिक जागरण ने रानी रामपाल से बातचीत की, प्रस्तुत हैं इसके प्रमुख अंश :
अमेरिका के खिलाफ आप द्वारा किया गोल निर्णायक रहा?
मुकाबले को टीम भावना से खेला जाता है और इसके लिए साथी खिलाड़ियों को भी पूरा श्रेय जाता है। दो नवंबर को कलिंगा स्टेडियम में मुकाबले के दौरान मुझे अपने खेल पर पूरा भरोसा था और एक-एक सेकेंड कीमती थी। ऐसे में पहली कोशिश केवल गोल दागना था। हां, गेंद को ग्रिप करके स्ट्राइक करने का मौका मुझे मिला, जिसमें सफलता हासिल हुई। मुकाबले के अंतिम क्षणों में मेरे हाथ से गोल होना टीम के लिए महत्वपूर्ण रहा और उसी गोल के कारण हमने 6-5 के अंतर से आगे रह कर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया। अमेरिका के खिलाफ दूसरे मैच में जीतते तो यह उपलब्धि और खास होती। अब एक सप्ताह बाद ओलंपिक के लिए बेंगलुरू कैंप में तैयारी शुरू करनी है।
हॉकी खिलाड़ियों के लिए एस्ट्रोटर्फ कितना जरूरी है?
आज के दौर में ग्रास मैदान की हॉकी का समय पुराना हो गया है। हॉकी खिलाड़ियों के लिए एस्ट्रोटर्फ पहली जरूरत है क्योंकि अधिकतर मुकाबले एस्ट्रोटर्फ पर खेले जाते हैं। करनाल में एस्ट्रोटर्फ न होने पर मुझे हैरानी हो रही है। ग्रास मैदान देखकर मुझे अपने पुराने दिनों की याद आई है लेकिन बेहतर हॉकी तैयार करने के लिए एस्ट्रोटर्फ बेहद जरूरी है। खेलों में सुविधाओं के मामले में आज हरियाणा नंबर एक पर है, जिसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
महिला खिलाड़ियों के लिए कोई संदेश?
मेरा जन्म गरीब परिवार में हुआ है और आज इस मुकाम तक पहुंचने के लिए अपने संघर्षों भूली नहीं हूं। हमारे समाज में आज भी लड़कियों को बंदिशों की बेड़ियों में बांधा जाता है, बावजूद माता-पिता ने मुझे खेलने की इजाजत दी। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए हॉकी द्रोण कोच बलदेव सिंह का विशेष योगदान है, जिन्होंने प्रशिक्षण देकर खिलाड़ियों को देश की टीम तक पहुंचाया है। हॉकी खेल साधना की तरह है, इसलिए अगर इस खेल में सफल मुकाम हासिल करना है तो पूरी तरह से फोकस खेल पर करना होगा। मेरा मानना है कि महिला के जीवन में काफी संघर्ष है, लेकिन खेल में भविष्य बनाने के लिए लड़कियों को आगे आकर भविष्य संवारना है ताकि आत्मनिर्भर बन सकें।