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पानीपत में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आदेशों की अनदेखी, चिकित्सक नहीं कर रहे क्लीनिकल ड्यूटी

पानीपत में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आदेशों की अनदेखी की जा रही है। क्लीनिकल ड्यूटी नहीं करते प्रशासनिक कार्य करने वाले चिकित्सक। अनिल विज ने दिए थे क्लीनिकल ड्यूटी करने के आदेश। चिकित्सकों की कमी को पूरा करने की थी कवायद।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 03:52 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 03:52 PM (IST)
पानीपत में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज  के आदेशों की अनदेखी, चिकित्सक नहीं कर रहे क्लीनिकल ड्यूटी
पानीपत में क्लीनिकल ड्यूटी नहीं कर रहे डाक्टर।

पानीपत, जागरण संवाददाता। सरकार ने वर्ष 2018 में आदेश जारी किए थे कि प्रशासनिक कार्यों में लगे चिकित्सक भी क्लीनिकल ड्यूटी करेंगे। जिला अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया था। बात पानीपत की करें तो सिविल सर्जन, डिप्टी सिविल सर्जन, सिविल अस्पताल के एमएस, डिप्टी एमएस सहित प्रशासनिक कार्यों में लगे चिकित्सक ओपीडी नहीं कर रहे हैं। कुछ अधिकारी माह में चंद घंटे मरीज देखकर, महज औपचारिता निभा रहे हैं।

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दरअसल, प्रशासनिक कार्यों में लगे चिकित्सकों की क्लीनिकल ड्यूटी के लिए सरकार ने ड्यूटी शेड्यूल भी जारी किया था। सिविल सर्जन एवं समकक्ष अधिकारियों को सप्ताह में एक दिन चिकित्सीय कार्य करना था। प्रधान चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधीक्षक, डिप्टी सिविल सर्जन, एसएमओ और समकक्ष अधिकारियों को भी सप्ताह में दो दिन ओपीडी में बैठना था। स्वास्थ्य महानिदेशालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, एड्स कंट्रोल सोसाइटी में कार्यरत उपनिदेशक (सीनियर स्केल), उपनिदेशक, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारियों तथा दंत चिकित्सकों को सप्ताह में दो दिन क्लीनिकल ड्यूटी करनी थी। आयुष विभाग के जिला आयुर्वेदिक अधिकारियों को भी सप्ताह में दो दिन चिकित्सीय कार्य करना था।

चंद माह ही चला ओपीडी में बैठने का सिलसिला

तत्कालीन सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने उस समय ड्यूटी चार्ट तैयार कर, ओपीडी में बैठने का सिलसिला शुरू किया था। यह सिलसिला चंद माह ही चला। अधिकारियों ने प्रशासनिक कार्य का अधिक भार बताकर,ओपीडी से किनारा कर लिया था। अप्रैल 2020 में कोरोना ने दस्तक दी तो तमाम चिकित्सकों की ड्यूटी कोविड-19 में लग गई थी।

यह है सिविल अस्पताल की स्थिति

तकरीबन 14 लाख की आबादी पर लगभग 42 करोड़ की लागत से 200 बेड का सिविल अस्पताल बना है। यूं तो मेडिकल आफिसर के 55 पद स्वीकृत हैं, लेकिन 34 ही भरे हैं। बाकी 21 पद वर्षों से रिक्त चले आ रहे हैं। रूटीन में ड्यूटी की बात करें तो 15-16 डाक्टर ही दिखते हैं। बाकी साप्ताहिक अवकाश, चाइल्ड केयर लीव, मैटरनिटी लीव या फिर नाइट ड्यूटी होने के कारण दिन में छुट्टी पर रहते हैं।पोस्टमार्टम, हेल्थ चेकअप शिविर या वीआइपी के साथ भी ड्यूटी लगती है। कोर्ट केस में गवाही के लिए भी चिकित्सकों का जाना होता है। एक-दो डाक्टर एमडी कोर्स भी कर रहे हैं।

आगामी 12 माह में दो डिप्टी होंगे सेवानिवृत्त

आगामी 12 माह के अंतराल में दो डिप्टी सिविल सर्जन सेवानिवृत्त हो जाएंगे। दिसंबर-2022 में डा. नवीन सुनेजा और अप्रैल-2023 में डा. निशि जिंदल सेवानिवृत्त होंगी। नए डिप्टी नहीं मिले तो जिन प्रोग्राम के ये नोडल हैं, उनकी जिम्मेदारी अन्य को मिलनी तय है। उस स्थिति में कागजी वर्क और बढ़ जाएगा।


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