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धान बेचने के बावजूद किसानों के खाते में नहीं आ रही पेमेंट, पोर्टल पर डाटा मिसमैच से बढ़ी समस्‍या

किसानों को मेरी फसल मेरा ब्‍यौरा पोर्टल पर विवरण देना था। इस पोर्टल पर किसानों को समस्‍या आ रही है। धान बेचने के दो माह बाद भी डाटा मिसमैच होने की वजह से किसानों के खाते में पेमेंट नहीं आ पा रही है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 09:33 AM (IST)
धान बेचने के बावजूद किसानों के खाते में नहीं आ रही पेमेंट, पोर्टल पर डाटा मिसमैच से बढ़ी समस्‍या
किसानों को धान बेचने के बावजूद नहीं मिल रही पेमेंट।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। धान बेचने के दो माह बाद भी किसानों के खाते में पेमेंट नहीं आई है। कारण कुछ और नहीं बल्कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर बैंक खाते का विवरण गलत होना बताया जा रहा है। खाते मिसमैच हो रहे हैं। इसको दुरुस्त करवाने के लिए किसान एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर काट रहे हैं। जिले की 15 अनाज मंडियों में धान बेच चुके सैकड़ों किसान ऐसे हैं जो यह दर्द लिए घूम रहे हैं। अकेले जगाधरी अनाज मंडी से जुड़े करीब 200 किसान हैं। इन किसानों की 10 करोड़ से अधिक पेमेंट अटकी पड़ी है।

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ई-खरीद पोर्टल पर नहीं हो रहा समाधान

किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने ई-खरीद पोर्टल बनाया हुआ है। इस पर किसान पेमेंट से संबंधित जानकारी ले सकते हैं। लेकिन जो समस्याएं किसानों को आ रही हैं, उनका समाधान इस पोर्टल पर भी नहीं हो पा रहा है। किसी का बैंक खाता अपडेट नहीं है तो किसी का आइएफएससी कोड गलत है। किसी केस में मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर मालिक कोई है तो खाता नंबर किसी और को दे दिया गया। किसान आढ़तियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन आढ़ती कृषि एवं किसान कल्याण विभाग व मार्केट कमेटी के अधिकारियों की जिम्मेदारी बताकर टरका रहे हैं। ऐसे में किसान परेशान हैं।

ब्याज मिलने की संभावना भी कम

दरअसल, सरकार ने फसल बेचने के 72 घंटे में किसानों की पेमेंट करने का दावा किया था। यदि पेमेंट बाद में होती है तो उनको रकम का ब्याज भी मिलता है। लेकिन इन केसों में रकम के ब्याज की संभावना भी कम हो गई है। क्योंकि इसे किसान की गलती बताकर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। उधर, किसानों का कहना है कि दो माह से चक्कर लगाने के बावजूद इन गलतियों को दूर नहीं किया जा रहा है।

किसानों का दर्द उनकी जुबानी

पांसरा के किसान जसविंद्र सिंह ने बताया कि उसने 10 अक्टूबर को धान की फसल जगाधरी अनाज मंडी में बेची थी। उसका कहना है कि पोर्टल उसके नाम है जबकि खाता विवरण उनके पिता का दिया गया है। इस गलती को दुरुस्त करवाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और मार्केट कमेटी के चक्कर लगा हूं। करीब 10 लाख रुपये की पेमेंट है। पेमेंट न होने के कारण उसको आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है।

दूसरा, किसान सचिन कुमार ने बताया कि उन्होंने 10 अक्टूबर को फसल बेची थी। हालांकि उसका खाता पिता के साथ ज्वाइंट है। बावजूद इसके पेमेंट नहीं हुई है। जबकि ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जिनकी पेमेंट ऐसे केस में हो चुकी है। करीब साढ़े तीन लाख रुपये की पेमेंट अटकी हुई है। अधिकारियों को इस बारे संज्ञान लेना चाहिए।

करवा रहे समाधान

पेमेंट न होने संबंधित दो-तीन शिकायतें हर दिन आ रही हैं। ऐसे किसानों को सलाह दी जाती है कि खंड कृषि अधिकारी से एप्लीकेशन पर हस्ताक्षर करवाकर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कार्यालय में जमा करवा दें। यहां से मेल डायरेक्टर आफिस में भेजी जाती है ताकि समाधान हो सके। हमारा प्रयास रहता है कि इस तरह की शिकायतों का समाधान जल्द हो।

जसविंद्र सैनी, उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग


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