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बड़े तस्कर पर करवाई से नाखुश सरकार ने मनोज यादव को भेजा था डेपुटेशन पर, अब खुद जताई आइबी में इच्छा

बड़े तस्‍कर पर कार्रवाई से नाखुश होकर सरकार ने मनोज यादव को डेपुटेशन पर भेजा था। अब खुद ही आईबी में इच्‍छा जाहिर कर रहे हैं। नशीले पदार्थों की तस्करी पर कार्रवाई के कारण अंबाला से हो गया था तबादला फिर सीधे डीजीपी की कुर्सी संभाली।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 05:08 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 05:08 PM (IST)
बड़े तस्कर पर करवाई से नाखुश सरकार ने मनोज यादव को भेजा था डेपुटेशन पर, अब खुद जताई आइबी में इच्छा
डीजीपी मनोज यादव ने आईबी में इच्‍छा जाहिर की।

अंबाला, [दीपक बहल]। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मनोज यादव करीब 18 साल पहले अंबाला में बतौर एसपी तैनात थे। यहां नशीले पदार्थों की तस्करी के एक चर्चित मामले में उन्होंने बड़ी मछली पर कानूनी शिकंजा कस दिया था। उस समय दिवाली से कुछ दिन पहले ही मनोज यादव का कार्यकाल पूरा होना था, लेकिन कार्रवाई से नाखुश सरकार ने उन्हें दिल्ली इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) में डेपुटेशन पर भेज दिया। इसके बाद वह फरवरी 2019 में बतौर डीजीपी बनकर आए। अब उन्होंने गृह सचिव को पत्र लिखकर खुद ही आइबी में डेपुटेशन पर जाने की इच्छा जाहिर की है।

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बता दें करीब 18 साल पहले मनोज यादव अंबाला में एसपी थे। उस समय उन्होंने अंबाला-दिल्ली नेशनल हाईवे पर पड़ाव थाना क्षेत्र में करीब 20 किलो अफीम पकड़ी थी। पुलिस की दर्ज एफआइआर में कुरुक्षेत्र जिले के एक बड़े तस्कर का नाम भी दर्ज किया गया था। पुलिस पर दबाव आया कि मुख्य आरोपित का नाम एफआइआर से बाहर निकाल दिया जाए। पुलिस मुख्यालय ही नहीं बल्कि राज्य सरकार तक से दबाव बढ़ता गया, लेकिन मनोज यादव टस से मस नहीं हुए। बाद में इस मामले की जांच का जिम्मा अंबाला पुलिस से ही छीन लिया गया था। मुख्य आरोपित का नाम एफआइआर से निकालने के लिए मामले की तफ्तीश सीएम फ्लाइंग को सौंप दी गई। लंबी जांच के बाद सीएम फ्लाइंग ने अंबाला पुलिस की जांच को झुठलाते हुए मुख्य आरोपित का नाम एफआइआर से बाहर निकालने की सिफारिश कर दी थी।

जांच का आलम यह रहा कि तस्कर का नाम मुकदमे से बाहर करने के लिए कागजों में ग्राउंड बना कर डिस्चार्ज की अर्जी भी कोर्ट में दायर कर दी गई। हाई प्रोफाइल हुए इस मामले में हरियाणा पुलिस की दोनों जांचें विरोधाभास हो गई थीं। अंबाला छावनी की दर्ज एफआइआर में जहां तस्कर को मुख्य आरोपित बनाया गया था वहीं, सीएम फ्लाइंग की जांच में उसे क्लीन चिट दे दी गई थी। इन दोनों विरोधाभास रिपोर्ट पर कोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया था। कोर्ट ने अंबाला छावनी की पुलिस पर भरोसा जताते हुए डिस्चार्ज की अर्जी को ठुकरा दिया था। इस मुकदमे में 1988 बैच के आइपीएस मनोज यादव अंत तक अपनी ही रिपोर्ट पर अडिग रहे थे। इसके बाद उनकी डेपुटेशन पर ही पदोन्नति होती रही। वर्ष 2019 में बतौर डीजीपी मनोज यादव की हरियाणा में वापसी हुई।

हरियाणा पुलिस पर लिखी थी किताब

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले मनोज यादव ने हरियाणा पुलिस पर एक किताब भी लिखी थी जिसमें कौन-कौन अधिकारी प्रदेश का पुलिस प्रमुख रहा है उनके नाम व तस्वीरें प्रकाशित की गई थी। इसके अलावा हरियाणा पुलिस के इतिहास पर प्रकाश डालती यादव की किताब में उल्लेख किया गया था कि पहले आइजी रैंक का अधिकारी ही डीजीपी होता था।

हरियाणा में पहली बार ऐसा हुआ

अंबाला में एसपी रहते मनोज यादव का तबादला हो गया था। इसके बाद डेपुटेशन पर जाने के बाद वह एसएसपी, डीआइजी, आइजी और एडीजीपी रैंक तक पहुंच गए। हरियाणा में ऐसा पहली बार हुआ होगा कि एसपी के बाद डीजीपी बनने पर किसी आइपीएस की हरियाणा में वापसी हुई थी। अन्यथा हरियाणा में ही अधिकारियों की पदोन्नित के बाद उन्हें डीजीपी बनने का अवसर मिलता रहा है।


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