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कर्ज माफी का फार्मूला नहीं सही, अगर ये नियम लागू करें तो धरतीपुत्र हो खुशहाल

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्‍यक्ष गुरनाम चढ़ूनी ने कर्ज माफी को फर्स्‍ट एड के समान बताया। कहा कि, एमएसपी फॉमूले के हिसाब से पैसा मिल जाए तो किसान को मिलेगी बड़ी राहत।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 12:39 PM (IST)Updated: Wed, 26 Dec 2018 01:21 PM (IST)
कर्ज माफी का फार्मूला नहीं सही, अगर ये नियम लागू करें तो धरतीपुत्र हो खुशहाल
कर्ज माफी का फार्मूला नहीं सही, अगर ये नियम लागू करें तो धरतीपुत्र हो खुशहाल

पानीपत, जेएनएन। किसानों की कर्ज माफी काफी नहीं है। यह तो फर्स्‍ट एड के समान है। किसानों को एमएसपी फॉर्मूले के हिसाब से पैसा मिल जाए तो स्थिति बदल जाएगी। सेक्टर-29 पार्ट-2 स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में जागण विमर्श कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए यह बात भाकियू (हरियाणा) के प्रधान गुरनाम सिंह चढूऩी ने कही। कर्ज माफी ही काफी नहीं विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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चढ़ूनी ने कहा कि हम कर्जदार नहीं हुए। सरकार की पॉलिसी ने हमें कर्जदार बना दिया। खेती के लिए पैसा चाहिए। बैंकों ने ब्याज पर कर्ज दिए। किसान इस कर्ज से तबाह हो गए। लागत के मुकाबले फसल का दाम कम मिलने से ब्याज चुकाना भी मुश्किल होने लगा। कर्ज तो लाभ कमाने के नाम पर दिया। लेकिन ब्याज वसूल कर लगातार दबा रहे हैं। किसानों के आत्महत्या करने का यही सबसे बड़ा कारण है। हरियाणा में एक एकड़ पर 2 लाख रुपये का कर्जा है। न्यूनतम दस फीसद भी ब्याज बैंक को देना पड़ा तो किसान ङ्क्षजदा कहां से रहेगा। किसानों ने कर्ज लेकर हरित क्रांति में उत्पादन बढ़ाया। बाहर से अन्न मंगाना बंद हो गया। देश का पैसा बचाया। किसानों को दिए कर्ज से ये कई गुणा ज्यादा है। इस तरह किसानों पर कर्ज बनता ही नहीं है।

जो किया अच्छा किया
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में किसानों के कर्ज माफी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने जो किया वो अच्छा है। हालांकि, कंडीशन इतनी हैं कि संपूर्ण कर्ज से किसानों को मुक्ति नहीं मिल सकती है।

स्वामीनाथन का सुझाव अमल नहीं
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने जो न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो सुझाव दिए वो लागू नहीं किया गया। किसानों को फसल का एमएसपी देने की बात कही गई लेकिन उसका कोई फार्मूला नहीं बनाया। खर्च के हिसाब से बचत को नहीं देखा गया। किसानों को इसका नुकसान उठाना पड़ा। वह कर्जदार बन गया। डेढ़ गुणा ज्यादा एमएसपी देने का सरकार का दावा सफेद झूठ है। 2014 में जारी नेशनल सैंपङ्क्षलग सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 6 फीसद फसल ही एमएसपी पर बिक रही है। 94 फीसद फसल बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के बेच रहे हैं। वो घाटा दो लाख करोड़ रुपये का है।

कर्जदार किसानों को इससे मिलेगी राहत

  • -एमएसपी में 24 के बदले सभी फसल शामिल किए जाएं।
  • -न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में फसल की खरीद को दंडनीय अपराध बनाएं। 
  • -बेरोजगार को 5 लाख रुपये का कर्जा बिना ब्याज दिया जाए।
  • -सरकार फसल खरीदने की गारंटी का कानून बनाए।
  • -सिस्टम विकसित करने की जरूरत है। 
  • कर्ज का अनुमान
  • -12.50 लाख करोड़ रुपये कृषि कर्ज है देश भर में। इसमें एग्रो इंडस्ट्रीज भी शामिल है।
  • -खेती का कर्जा 6 लाख करोड़ का है।

    परिचय
    नाम : गुरनाम सिंह चढूऩी
    आयु : 58 वर्ष
    निवासी : चढूऩी जटान, कुरुक्षेत्र
    भाकियू ज्वाइन : वर्ष 1992
    भाकियू (हरियाणा) : 2004 से प्रधान


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