भाजपा की सरकार, पैसा बरसा कांग्रेसियों के वार्ड में, ऐसा क्यों हो गया
सियासत में कोई पास, कोई फेल, इन नेताओं के वार्ड में बरसा पैसा। मेयर और डिप्टी मेयर ले गए सबसे अधिक बजट, कई मलते रह गए हाथ। निवर्तमान मेयर के वार्ड में 21.23 करोड़ खर्च हुए।
पानीपत, जेएनएन। नगर निगम चुनाव का मतदान 16 दिसंबर को है। प्रत्याशी विकास कार्यों का दावा कर रहे हैं और अपनी योजनाओं को जनता के बीच रख रहे हैं। हर कोई उनके पिछले कार्यों के बारे में जानने को उत्सुक है। भाजपाई पार्षद अपनी सरकार में रहकर भी कांग्रेस व अन्य पार्षदों से ज्यादा काम नहीं करा पाए। जबकि कांग्रेस के मेयर विकास कार्यों में सबसे ज्यादा बजट खर्च कर 24 पार्षदों में टॉप पर रहे। निवर्तमान मेयर सुरेश वर्मा इन चार वर्षों में 21.23 करोड़ की लागत से 166 काम करा गए। डिप्टी मेयर सीमा पाहवा 13.83 करोड़ में 102 काम कराकर दूसरे नंबर पर रहीं। भाजपा के दुष्यंत भट्ट ने अपने वार्ड में 11.89 करोड़ के 73 काम कराए।
भाजपा के वार्डों में 800 कार्य पर 98.49 करोड़ खर्च
भाजपा व इसके समर्थित 11 पार्षद थे। इन वार्डों में 800 कार्य कराए गए। जिनकी लागत 98.49 करोड़ रुपये है।
कांग्रेस व अन्य 13 में 93.03 करोड़ खर्च
कांग्रेस व इसके समर्थित और निर्दलीय 13 पार्षद थे। कांग्रेस समर्थित 11 पार्षदों में 691 काम कराए गए। इन पर 78.73 करोड़ रुपये की लागत आई। वहीं दो निर्दलीय वार्डों में 108 कार्यों पर 14.3 करोड़ रुपये खर्च आया। इन वार्डों में 799 कामों पर 93.03 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
वार्ड काम अनुमानित राशि (करोड़ में)
1 44 4.47
2 45 5.67
3 103 9.95
4 102 13.83
5 56 6.50
6 59 9.00
7 166 21.23
8 54 6.78
9 50 7.23
10 69 7.48
11 63 6.47
12 53 8.65
13 56 7.62
14 72 7.28
15 52 7.80
16 27 2.82
17 80 7.67
18 10 10.85
19 77 8.16
20 45 5.65
21 56 4.60
22 49 6.43
23 48 5.91
24 73 11.89
कुल 1919 2.53 अरब
(नोट : राशि नगर निगम के रिकॉर्ड पर आधारित हैं। )
बराबर काम कराया - सुरेश वर्मा
पूर्व मेयर सुरेश वर्मा का कहना है कि अपने तीन साल के कार्यकाल में सभी वार्डों में बराबर काम कराया है। किसी भी वार्ड से पक्षपात नहीं किया। चुनाव लडऩा या न लडऩा पार्टी व संगठन का फैसला था। उन्होंने अपनी पुत्रवधू सोनिया वर्मा का नामांकन दाखिल करा दिया था।
सबका साथ, सबका विकास - दुष्यंत
भाजपा के पूर्व पार्षद दुष्यंत का कहना है कि भाजपा सरकार सबका साथ सबका विकास के सिद्धांत पर काम कर रही है। निगम में पहली बार पक्ष और विपक्ष के वार्डों में बराबर कार्य कराकर शहर ही नहीं प्रदेश में नया उदाहरण पेश किया है।
इसलिए हो गया ऐसा
दरअसल, भाजपा के पार्षद कभी एकजुट नहीं रहे। यहां तक की भाजपा के पार्षद दो बार मेयर का चुनाव तक हार गए। दूसरी, तरफ कांग्रेस के पार्षद हमेशा साथ रहे। मेयर तक अपना लिया। इस वजह से निगम में इनकी चलती रही।