नशे में अपराध करने वालों को भगवान देते हैं दंड : गोपालदास
धन पद या अन्य किसी नशे में अपराध करने वाले मनुष्य को भगवान मरणोपरांत दंडित करते है। भक्त सदैव भगवान के चरणों में शरण पाकर जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाते हैं।
जागरण संवाददाता, पानीपत : धन, पद या अन्य किसी नशे में अपराध करने वाले मनुष्य को भगवान मरणोपरांत दंडित करते है। भक्त सदैव भगवान के चरणों में शरण पाकर जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति पाते हैं। उक्त बातें सेक्टर 12 के सामुदायिक केंद्र में भागवत कथा सुनाते हुए इस्कॉन समिति कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपालदास महाराज ने कही।
उन्होंने महाराज जड़ भरत का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान ने पहला जन्म भरत के रूप में लिया था। जो आगे चलकर हमारे देश के राजा बनें। उन्हीं के नाम से देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। इस रूप के अंत समय में भगवान को एक हिरण से मोह हो गया। भगवान भरत की देह त्यागने के बाद हिरण के रूप में जन्म लिया। उन्हें अपना पुनर्जन्म याद आता रहा। हिरण रूप से मुक्ति पाने के बाद उन्होंने जड़भरत के रूप में अवतार लिया। एक
बार किसी कुलदेवी के उपासक जड़भरत को पकड़ कर बलि देने के लिए ले गए। उन्होंने हार-श्रृंगार, पूजा-अर्चना के बाद बलि देने के लिए जैसे ही तलवार उठाई तो उनकी कुलदेवी प्रकट हो गई। देवी ने भगवान जड़भरत के रूप का वर्णन किया। अपने भक्तों को भगवान की बलि देने का जिम्मेवार ठहरा कर उनके शीश उतार दिए।
कार्यक्रम में गोशाला समिति के चेयरमैन रामनिवास गुप्ता, प्रधान सुंदर लाल चुघ, आशु गुप्ता, राजकुमार माटा, जयकुमार गोयल, अशोक गोयल, हरीश, संजय, प्रदीप बंसल आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।