खुशखबरी, गन्ने के बिजाई प्रदर्शन प्लांट पर किसानों को मिलेगा अनुदान, इन किसानों को नहीं मिलेगा योजना का लाभ
हरियाणा में गन्ने की सिफारिश की गई किस्मों की विभाग द्वारा सुझाई विधियों से बिजाई करते हुए प्रदर्शन प्लांट लगाने के लिए सहायक गन्ना विकास अधिकारी यमुनानगर शाहबाद करनाल असंध भादसों पानीपत रोहतक कैथल रोहतक सोनीपत जींद पलवल भूना गोहाना व महम क्षेत्र के किसानों को अनुदान दिया जाएगा।

जींद, जागरण संवाददाता। कृषि एवं कल्याण विभाग द्वारा गन्ना तकनीकी उद्देश्य परियोजना के तहत गन्ने की सिफारिश की गई किस्मों की विभाग द्वारा सुझाई विधियों से बिजाई करते हुए प्रदर्शन प्लांट लगाने के लिए सहायक गन्ना विकास अधिकारी यमुनानगर, शाहबाद, करनाल, असंध, भादसों, पानीपत, रोहतक, कैथल, रोहतक, सोनीपत, जींद, पलवल, भूना, गोहाना व महम क्षेत्र के किसानों को अनुदान दिया जाएगा। विभाग द्वारा सुझाई विधियों से गन्ने की बिजाई के प्रदर्शन प्लाट लगाने के इच्छुक किसान डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट एग्री हरियाणा डाट जीओवी डाट इन पर 31 अक्टूबर तक आवेदन कर सकते हैं।
वेबसाइट से ले सकते है जानकारी
इस योजना का कौन लाभ ले सकता है और नियमों व शर्तों के बारे में इस वेबसाइट पर विस्तृत जानकारी ले सकते हैं। विभाग द्वारा सुझाई अलग-अलग विधि से गन्ने की बिजाई के लिए मशीन के किराये, कृषि सामग्री की खरीद सहित खर्च राशि और अनुदान राशि किसानों को दी जाएगी। गड्ढा विधि से बिजाई के प्रदर्शन प्लांट लगाने के लिए बिजाई में प्रयोग आने वाली मशीन का किराया, मजदूरी तथा कृषि सामग्री की खरीद के लिए प्रति एकड़ किसान को 10 हजार रुपये अनुदान सहायता राशि दी जाएगी। बीज नर्सरी लगाने के लिए प्रति एकड़ पांच हजार रुपये अनुदान राशि दी जाएगी। इसके लिए बीज के गन्ने को उपचारित किया जाना आवश्यक है। उक्त गन्ने की बिजाई संबंधित क्षेत्र के कृषि वैज्ञानिक, सहायक गन्ना विकास अधिकारी या गन्ना प्रबंधक की उपस्थिति में की जाएगी। आवेदन स्वीकार होने के बाद संबंधित किसान को 10 दिन के अंदर कृषि सामग्री की खरीद करनी होगी। संबंधित एरिया के लिए कितने किसानों को लाभ मिलेगा, इसका लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
फसल अवशेष जलाने वालों को नहीं मिलेगा लाभ
जो किसान फसल अवशेष जलाते हैं। वे किसान इस योजना के लाभार्थी नहीं होंगे। गाइडलाइन में लिखा गया है कि किसान फसल अवशेष जलाने का दोषी ना हो। गौरतलब है कि काफी किसान धान की कटाई के बाद फसल अवशेष जलाते हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। वहीं इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान मृदा स्वास्थ्य कार्ड धारक होना चाहिए। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर लाभ मिलेगा।

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