तोड़ रही लड़कियों की हिचक, मासिक धर्म पर कर रही जागरूक
2016 में टेडेक्स टॉक में आइडिया शेयर करने पर मिला अवसर असम, महाराष्ट्र व दिल्ली प्रात क
2016 में टेडेक्स टॉक में आइडिया शेयर करने पर मिला अवसर
असम, महाराष्ट्र व दिल्ली प्रात की नजरिया टीम से जुड़ी है अनवी
अरविन्द झा, पानीपत
सोशल मीडिया पर एक टॉक शो ने अनवी की जिंदगी बदल दी। उसने मैन्सट्रुअल साइकल (मासिक धर्म) के दौरान महिलाओं की पीड़ा को कम करने का बीड़ा उठाया है। नजरिया फाउंडेशन की टीम से जुड़ कर सोसाइटी की उन महिलाओं तक पहुंच बना ली है जो संकोचवश मासिक धर्म पर कभी खुल कर बोलने को तैयार नहीं होती हैं। अनवी का नजरिया महिलाओं की परेशानियों को कम करने का माध्यम बनेगा। महिलाएं स्वस्थ होंगी तो समाज खुशहाल होगा।
यमुना एंक्लेव निवासी अनवी दिल्ली पब्लिक स्कूल में 11 वीं कक्षा की छात्रा है। भाई भव्य ने टेडेक्स टॉक का आइडिया उससे शेयर किया। इस टॉक शो में मासिक धर्म के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिलता है। यू ट्यूब के सहारे इस टॉक शो से जुड़ गई। मेन्स्ट्रूपीडिया कॉमिक की फाउंडर अदिति गुप्ता का शो देखने के बाद उसे ग्लोबल प्लेटफार्म भी मिल गया। दिल्ली में टेडेक्स टॉक प्लेटफार्म पर 2016 में आइडिया शेयर करने के लिए तीन लोगों को बुलाया गया। सबसे छोटी उम्र (15) की अनवी की आइडिया ने एक महिला व एक पुरुष को पीछे छोड़ दिया। इस फील्ड में वह पहचान बनाने लगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस कॉलेज में इस टॉपिक पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में अनवी के विचारों से सब प्रभावित होने लगें। मशहूर हंसराज कॉलेज में एक स्टॉल लगा कर सैकड़ों छात्राओं को मासिक धर्म के बारे में जागरूक किया।
ब्लॉग से सूचना का शेयर
दैनिक जागरण से बातचीत में अनवी ने बताया कि दिल्ली में 25 से ज्यादा वर्कशॉप व इवेंट कर चुकी है। असम, महाराष्ट्र व दिल्ली सहित अन्य प्रातों की नजरिया टीम से जुड़ी हुई है। ब्लॉग के सहारे मासिक धर्म पर सूचना शेयर करती है। फेसबुक व इंस्टाग्राम से जुड़ी महिलाओं को इस बारे में बताती है। काउंसलर मा मनीषा व पिता हरीश आहूजा से उसे पूरा सपोर्ट मिलता है। अनवी का कहना है कि काम करने का जज्बा होना चाहिए। बाधाएं तो अपने आप दूर हो जाती हैं। मेरे उम्र के लोगों को ऑपरच्यूनिटी कम मिलती है। मेरी सोच है कि इस टॉपिक पर महिला व पुरुष दोनों खुल कर बातें करें। सोसाइटी का नजरिया इससे बदल जाएगा। समाज में बदलाव की उम्मीद
मा मनीषा आहूजा ने बताया कि उनकी बिटिया ने जब इस टॉपिक को चुना तो समाज की कुछ महिलाओं ने किसी दूसरे विषय को चुनने की सलाह दे डाली। यह तर्क देकर कि सोसाइटी में इस टॉपिक पर चर्चा करने में लज्जा महसूस करते हैं। जब तक खुल कर बात नहीं करेंगे समाज में बदलाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है।