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तीन तलाक से मुक्ति का मतलब सैंकड़ों वर्षों की बेड़ियों से आजादी

मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक मंगलवार को उच्च सदन राज्यसभा में पास हो गया। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया। इसका अर्थ यह कि अभी भी बड़ा वर्ग विधेयक को लागू होता नहीं देख सकते।

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 10:04 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 10:04 AM (IST)
तीन तलाक से मुक्ति का मतलब सैंकड़ों वर्षों की बेड़ियों से आजादी
तीन तलाक से मुक्ति का मतलब सैंकड़ों वर्षों की बेड़ियों से आजादी

जागरण संवाददाता, पानीपत

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मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक को अपराध करार देने वाला ऐतिहासिक विधेयक मंगलवार को उच्च सदन राज्यसभा में पास हो गया। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसके विरोध में मतदान किया। इसका अर्थ यह कि अभी भी बड़ा वर्ग विधेयक को लागू होता नहीं देख सकते। सही दिक्कत कानून बनने के बाद उसके पालन कराने भी आएगा। समुदाय विशेष की महिलाओं को सैंकड़ों वर्ष बाद बेड़ियों से मुक्ति मिलती दिख रही है, अब शिक्षा-आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना होगा। इसी विषय पर प्रस्तुत हैं शहर की बुद्धिजीवी महिलाओं के विचार। अब जेल जाने का डर रहेगा : फोटो 31

तीन तलाक विधेयक पर राज्य सभा में होती बहस और पास होने की प्रक्रिया को टीवी पर देखा है।मुस्लिम समाज में साक्षरता की दर बहुत कम और बेरोजगारी अधिक है। खासकर, महिलाएं तो बुरके से बाहर ही नहीं निकल पा रही हैं। तीन तलाक से मुक्ति का विधेयक ऐसी महिलाओं के लिए बहुत मददगार होगा। ऐसा नहीं कि तलाक के मामले कम हो जाएंगे, गुस्से में बिना ठोस कारण के तलाक-तलाक-तलाक कहकर पत्नी से संबंध विच्छेद करने पर पुरुष को कानून का डर रहेगा।

एडवोकेट पदमा रानी, चेयरपर्सन-बाल कल्याण समिति पानीपत कानून की पालना कराना रहेगा चुनौती : फोटो 32

एक महिला पति के साथ कई वर्ष बिताती है, बच्चों को जन्म देती है। एक दिन अचानक तीन बार तलाक कह देने से वह पराई हो जाती है। तलाक के बाद इद्दत और हलाला की प्रक्रिया तो बहुत भयावह है। ये ऐसी बेड़ी थी जिसमें शिक्षित महिलाएं भी जकड़ी हुई थीं। राष्ट्रपति से कानून बनने की मंजूरी मिलने के बाद उसका पालन कराना भी सरकार और प्रशासन के लिए चुनौति होगा। सरकार को मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा और आत्मनिर्भरता की ओर भी ध्यान देना होगा।

रजनी शर्मा, प्रधानाचार्या-अपोलो इंटरनेशनल स्कूल, समालखा मुस्लिम महिलाओं में खुशी : फोटो 33

तीन तलाक का विधेयक बिना किसी विरोध के बिना राज्य सभा में पास होता तो और अच्छा होता।खैर,भाजपा इसे लेकर आई और पास भी कराया। इससे मुस्लिम महिलाओं में बहुत खुशी है। पहले सोशल मीडिया पर भी तलाक दे देते थे।अब महिलाओं को एक सुरक्षा मिली है कि उनके शौहर ने तीन तलाक दिया तो वह कानूनी लड़ाई लड़ सकती हैं। अभी तक तो महिलाएं तीन तलाक के बाद या तो मायके चली जाती थी या एक कोठरी में कैद होती रही हैं।

नूरजहां, समाजसेविका गुजारा भत्ता को क्लीयर करना चाहिए : फोटो 34

इस्लाम में भी किसी महिला को एक साथ तीन तलाक के लिए कोई जगह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन तलाक के गलत बता चुका है। इससे मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार होगा। अब वे तीन तलाक मामले में कोर्ट की शरण ले सकती है। विधेयक में गुजारा भत्ता को क्लीयर करते और ठीक होता। महिलाएं पहले भी खुला के सात बिदुओं को आधार बनाकर शौहर से तलाक ले सकती थी।

मोमिन मलिक, एक्टविस्ट-मानवाधिकार आयोग अच्छी सोच वालों ने किया स्वागत : फोटो 35

मुस्लिम समाज में जो अच्छी सोच रखने वाले लोग हैं वे पहले भी एक साथ तीन तलाक को ठीक नहीं मानते थे। अब कानून बन गया तो ऐसे लोग खुश है। कुछ लोग ऐसे हैं जो इसका विरोध भी कर रहे होंगे। उन्हें समझ आना चाहिए कि तलाक के बाद महिला को किस पीड़ा से गुजरना पड़ता है। अब यह कानून की शक्ल में धरातल पर लागू हो जाए, तब इसे पूरा मना जाएगा।

मतलूब, जिला प्रधान-अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन।

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