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डेंगू और मलेरिया रोग का भी फ्री इलाज, जब आयुष्‍मान है साथ Panipat News

पैनल वाले प्राइवेट अस्पताल में फ्री इलाज करा सकता है मरीज। सरकारी में सामान्य मलेरिया और डेंगू का इलाज होगा।

By Edited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 07:58 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 10:00 AM (IST)
डेंगू और मलेरिया रोग का भी फ्री इलाज, जब आयुष्‍मान है साथ Panipat News
डेंगू और मलेरिया रोग का भी फ्री इलाज, जब आयुष्‍मान है साथ Panipat News

पानीपत, [राजसिंह]। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के पैनल वाले प्राइवेट अस्पतालों में पात्र मरीज हेमरेजिक डेंगू फीवर और खतरनाक मलेरिया रोग का इलाज फ्री करा सकता है। सामान्य मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, टायफाइड का इलाज सरकारी अस्पताल में ही कराना पड़ेगा। किसी मरीज को इलाज मिलने में दिक्कत आती है तो वह कोड संख्या बताकर लाभ प्राप्त कर सकता है। 

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आयुष्मान भारत योजना के पैनल में शामिल कुछ प्राइवेट अस्पतालों में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया,टायफाइड का फ्री इलाज से इंकार के मामले सामने आए। दैनिक जागरण ने आयुष्मान भारत की वेबसाइट पर बीमारियों के कोड खंगाले तो स्थिति साफ होती दिखी। हेमरेजिक डेंगू और मलेरिया का इलाज योजना के पात्र पैनल वाले अस्पतालों में फ्री कराया जा सकता है। मलेरिया (कोड संख्या एम100014), डेंगू (कोड संख्या एम100015), चिकुनगुनिया (कोड संख्या एम100016) और टायफाइड (कोड संख्या एम100018) का इलाज सरकारी अस्पतालों में करा सकते हैं। अस्पतालों को बीमारियों के पैकेज के हिसाब से कोड दिए हुए हैं। हेमरेजिक डेंगू फीवर और कॉम्पि्लकेटेड मलेरिया का इलाज एम-2 में शामिल हैं।

हेमरेजिक डेंगू फीवर-कॉम्प्लिकेटेड मलेरिया
हेमरेजिक डेंगू फीवर खतरनाक है। इसमें प्लेटलेट्स और श्वेत रक्त कणिकाएं की संख्या कम होने लगती हैं। नाक और मसूड़ों से खून आने लगता है। शौच या उल्टी में खून आता है। स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे-बड़े चकत्ते पड़ जाते हैं। मलेरिया के साथ डेंगू होना बहुत खतरनाक होता है। हीमोग्लोबिन कम हो जाता है, प्लेटलेट्स तेजी से कम होने लगती हैं। यह भी जानिये जिले में 75 हजार 392 पात्र परिवार हैं। 54 हजार 99 के गोल्डन कार्ड बने हैं। प्राइवेट अस्पतालों में अब तक 1401 मरीज 2 करोड़ 24 लाख 20 हजार 382 रुपये का इलाज करा चुके हैं। सिविल अस्पताल में 50 मरीज करीब पांच लाख रुपये तक का इलाज करा चुके हैं। 

प्राइवेट अस्पतालों को समय-समय पर दिशा-निर्देश दिए जाते रहे हैं। मरीज को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए पारदर्शिता रखनी होगी। मरीज को कोड संख्या सहित बताया जाए कि किस रोग का इलाज प्राइवेट अस्पताल और सरकारी अस्पताल में हो सकेगा। 
डॉ. नवीन सुनेजा, जिला नोडल अधिकारी, आयुष्मान भारत।


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