1975 Emergency: आपातकाल के विरोध में अंबाला में सत्याग्रह कर चार ने खुद दी थी गिरफ्तारी
1975 में लगाए गए आपातकाल के विरोध में सत्याग्रह कर चार ने खुद गिरफ्तारी दी थी। संघ ने सत्याग्रह कर जलूस निकालने का प्लान बनाया था।
पानीपत/अंबाला, [अवतार चहल]। आपातकाल के दौरान बेशक सरकार सिर उठाने वालों पर दमनकारी नीति अपना रही थी। लोगों को रात में सोने के बाद घर से उठाया जा रहा था, वहीं शहर के चार लोगों ने आपातकाल के विरोध में सत्याग्रह कर दिया था और कोतवाली थाना के सामने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी, इसके बाद ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। इस कारण इन चारों लोगों को छह माह तक अंबाला सेंट्रल जेल में बिताने पड़े थे।
गौरेलाल जैन के बेटे इंद्रपाल जैन ने बताया कि उन दिनों आपातकाल लगा दिया गया था तो संघ ने जलूस के रूप में सत्याग्रह करने का प्लान बनाया था। इसके बाद गिरफ्तारी दी थी। उनके पिता की दो बार गिरफ्तारी हुई थी। एक बार पुलिस पकड़कर ले गई थी, तो दूसरी बार सत्याग्रह कर चार लोगों ने गिरफ्तारी दी थी। वह एक बार छह माह और दूसरी बार सरकार के खिलाफ प्रचार में चार माह जेल में रहे थे।
आपातकाल में दुकानों के छज्जों पर चला दिये थे बुलडोजर
आपातकाल के दौरान सरकार जहां जबरदस्ती नसबंदी कर रही थी, वहीं बाजारों में उन दुकानदारों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही थी। जिन्होंने अपनी दुकानों को छज्जे बढ़ाए हुए थे। शहर के तंदूरा बाजार में एक बुलडोजर छज्जे गिराने के लिये आ गया था। इस पर गौरे लाल जैन बुलडोजर के आगे लेट गए थे और उन्होंने कहा था कि यह बुलडोजर आगे चला तो छाती से होकर ही गुजरेगा। इस पर तत्कालीन डीसी मौके पर आये थे और बुलडोजर को वापस भेज दिया गया था।
दुकान के कर दिये थे सर्च वारंट
गौरे लाल जैन के बेटे इंद्रपाल जैन ने बताया कि उनके पिता जेल भेज दिये गये थे। कोतवाली थाना के सामने उनकी आदर्श पुस्तक भंडार के नाम से दुकान थी। उनकी दुकान के सर्च वारंट निकाल दिये गये थे और उनकी दुकान की इंस्पेक्टर चौ.जय सिंह ने तलाशी ली थी। उन्हें कई बार परेशान किया गया।
आरएसएस से जुड़े हुए थे चारों लोग
अंबाला में सत्याग्रह कर खुद गिरफ्तारी देने वाले मास्टर सोमनाथ खुराना बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए हैं और जिला के सरसंचालक रहे हैं। वह जीआरएसडी स्कूल में अध्यापक भी रहे हैं। संतलाल स्वर्णकार हैं और बाल्यकाल से संघ से जुड़े हुए हैं। शामलाल का राशन का डिपू था और वह भी शुरू से ही संघ से जुड़े हुए थे। जबकि गौरे लाल जैन तीन बार नगरपालिका सदस्य रहे, इम्प्रूमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन और एसए जैन सभा के उत्तरी भारत के महामंत्री रहे।
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