पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बयां किया ये राज, अनुशासन को लेकर कही बड़ी बात Panipat News
बाबा रामदास विद्यापीठ स्कूल में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी विद्यार्थियों से रूबरू होने के लिए पहुंचे। यहां उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े अनुभवों को साझा किया।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वह छात्र जीवन में अनुशासित नहीं थे। कॉलेज में जाने के बाद उनका पसंदीदा विषय इतिहास और राजनीति विज्ञान बना। इसके बाद साहित्य के प्रति रुचि बढ़ी। उन्होंने अंग्रेजी और बंगाली साहित्य को भी पढ़ा। इसके अलावा कई अन्य भाषाओं के साहित्य का अनुवाद भी पढ़ा। राजनीति में आने के बाद उन्हें सरकार में काम करने का अवसर मिला। यहां उन्हें अर्थशास्त्र से जुड़े मंत्रालयों का काम मिलता रहा। वे शुक्रवार को बाबा रामदास विद्यापीठ स्कूल में विद्यार्थियों से रूबरू हुए। छात्रा दिव्या ने उनसे सवाल पूछा कि आपका पसंदीदा विषय क्या है और क्यों है। इसके जवाब में उन्होंने यह बातें कही।
पीएम मोदी से रहे अच्छे संबंध
सातवीं कक्षा की छात्रा साहिबा ने पूर्व राष्ट्रपति से पूछा कि राष्ट्रपति के रूप में आप का अनुभव कैसा रहा? इस पर मुखर्जी ने कहा कि उन्हें यह सवाल अच्छा लगा है। आपकी भी राष्ट्रपति बनने की कामना लग रही है। इसलिए मैं आपको अग्रिम बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में बहुत सक्रिय रहा हूं। सरकार के कई अहम पदों पर भी रहा। राष्ट्रपति बनने के बाद मैंने दो प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल देखा। एक पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। मोदी से भी मेरे अच्छे संबंध रहे।
मेहनती, आत्मविश्वासी और जिज्ञासु बनें
प्रणब मुखर्जी ने बच्चों को मेहनती, आत्मविश्वासी और जिज्ञासु बनने का संदेश दिया। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री सहित कई महापुरुषों के नाम लेते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने को कहा। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करके उसे हासिल करने की पूरी कोशिश करो।
विविधता में एकता ही भारत की पहचान
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विविधता में एकता ही इसे दूसरे देशों से अलग बनाती है। भारत में 29 राज्य हैं। 120 भाषाएं हैं। सात प्रमुख धर्म हैं, जो पूरी दुनिया में भी हैं। इसके बाद भी पूरा देश एक है। एक ध्वज, एक संविधान और एक कानून से चलता है। विविधता में एकता ही भारत की पहचान है।