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मौत को मात दे हॉकी के पूर्व कप्‍तान बने राजनीति के सूरमा, पहली बार में ही मंत्री पद Panipat News

कुरुक्षेत्र जिले के पिहोवा विधानसभा सीट से जीत दर्ज कर हॉकी के पूर्व कप्‍तान संदीप सिंह पर मनोहर सरकार ने भरोसा जताया। उन्‍हें भी मंत्री बनाया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 12:21 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 12:21 PM (IST)
मौत को मात दे हॉकी के पूर्व कप्‍तान बने राजनीति के सूरमा, पहली बार में ही मंत्री पद Panipat News
मौत को मात दे हॉकी के पूर्व कप्‍तान बने राजनीति के सूरमा, पहली बार में ही मंत्री पद Panipat News

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। पिहोवा सीट को जीत कर पहली बार भाजपा की झोली में डालने वाले संदीप सिंह सूरमा अब राजनीति के कैप्टन बन गए हैं। पिहोवा से जीत दर्ज करवाते ही इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी, संदीप सिंह को मंत्री पद मिल सकता है। इस सीट के इतिहास को देखते हुए भी राजनीतिक विशेषज्ञ यही भविष्यवाणी कर रहे थे। इसके बाद जातीय समीकरण ने उनकी इस राह को और आसान कर दिया। ऐसे में वह बगैर किसी बाधा के सीधे मंत्री पद पर पहुंच गए।

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हॉकी के पूर्व कैप्टन पहली ही पारी में बने राजनीति के कप्तान

भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान रहे संदीप सिंह ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने पूरे विश्व को अपने खेल का तो कायल कर ही रखा था अब राजनीति की पारी में भी उन्होंने गोल निशाने पर दागा है। पहली ही पारी में संदीप सिंह ने राजनीति की कप्तानी हासिल कर ली है। उनका नाम विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले ही पिहोवा की जनता को सुनने में मिला। इसके बाद पार्टी ने उन्हें टिकट दिया और बदले में संदीप सिंह सूरमा ने सीट जीत कर उनकी झोली में डाल दी। वह एक युवा हैं, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं और सबसे बड़ी बात मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पसंद भी हैं। इन सब बातों ने उन्हें आसानी से मंत्री पद तक पहुंचा दिया।

2006 में मौत के मुंह से लौटे संघर्ष की कहानी पर बनी फिल्म

13 साल पहले 22 अगस्त 2016 को संदीप सिंह को कमर में गोली लगी थी। वह जर्मनी में आयोजित सीनियर हॉकी वल्र्ड कप खेलने के लिए शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन से जा रहे थे। इसी दौरान गलती से गोली चली और वह सीधे उनकी रीढ की हड्डी में धंस गई। उस समय वह कौमा में चले गए थे। इसके बाद 12 सितंबर को कौमा से बाहर आए और दो साल लंबे उपचार के दौर से गुजरे। गोली लगने के बाद उन्होंने जिंदगी के हर रंग को करीब से देखा है। संदीप ने अपनी मेहनत के दम पर बुलंदियों को छुआ। इसके बाद उनके जीवन पर सूरमा फिल्म बनी। इस फिल्म में संदीप सिंह के संघर्ष के दिनों की कहानी को बारिकी से दिखाया गया है।


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