छह माह से रोडवेज बसें न तो एंबुलेंस में काम आईं और न ही यात्रियों को मिलीं
छह माह पहले रोडवेज की पांच मिनी बसों को एंबुलेंस में तब्दील किया गया था।
जागरण संवाददाता, पानीपत : छह माह पहले रोडवेज की पांच मिनी बसों को एंबुलेंस में तब्दील किया गया था। इन बसों को इमरजेंसी सेवा के लिए रोडवेज ने तीन दिन में ही तैयार कर दिया था। न तो यह बसें स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस के रूप में काम में आई और न ही रोडवेज के काम आ रही हैं। पानीपत डिपो में पहले की बसों की कमी है और इससे लोकल रूट भी काफी प्रभावित हो रहे हैं।
मिनी बसों को जब एंबुलेंस में तब्दील किया गया था, उस समय कोरोना केस कम होने शुरू हो गए। इसके बाद धीरे-धीरे केस घटते गए और रोडवेज की एंबुलेंस सेवा काम में नहीं ली जा सकी। इसके बाद जब कोरोना के केस न के बराबर हो गए तो रोडवेज भी उलझन में फंस गया कि इन बसों को अब फिर से सवारी गाड़ी में तब्दील करें या नहीं। इसको लेकर भी मुख्यालय से कोई नोटिफिकेशन नहीं आया। पानीपत डिपो में ही मिनी बसें खड़ी हैं। इन बसों को इसीलिए भी खड़ा किया गया है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आई तो इनका प्रयोग एंबुलेंस में किया जा सके। छात्राओं के लिए चलती थी यह मिनी बसें
यह मिनी बसें छात्राओं के लिए चलाई जाती थी। इसमें सनौली-बापौली के लिए अधिकतर बसें चलती थी। अब यह बसें कब चलेगी किसी को नहीं पता। रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इन बसों को लेकर निर्णय लिया जाएगा। बसें नहीं चलने के कारण रोडवेज को काफी नुकसान हो रहा है। इसमें बसों की बैटरी भी खराब होने लगी है और साथ ही बसों से उतारी गई सीट भी अब खराब हो रही है। इससे अब आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। अभी नहीं आई कोई गाइडलाइन
पानीपत डिपो के ट्रैफिक मैनेजर पंकज पूनिया ने जागरण से बातचीत में बताया कि मिनी बसों को लेकर मुख्यालय की तरफ से कोई गाइडलाइन नहीं आई है। अगले सप्ताह तक गाइडलाइन आने की उम्मीद हैं।