जब नीरज को कहा देश की लाठी, ललन बड़ा सुंदर हो, हमार लाठी हो
पानीपत के बेटे नीरज चोपड़ा ने पूरे देश को उत्सव मनाने का मौका दिया है। ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीत लिया। भाले के दम पर उन्होंने यह खुशी दी। अब लोग उन्हें देश की लाठी कहने लगे हैं। लाठी यानी सहारा। आप भी पढि़ए इस सप्ताह का ये विशेष कालम।
पानीपत, [रवि धवन]। पद्मश्री मालिनी अवस्थी। अवध की लोकगायिका। खंडरा के बेटे नीरज चोपड़ा ने देश को टोक्यो ओलिंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जिताया। पूरा देश झूम उठा। देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी ओलिंपिक पदक विजेताओं का स्वागत समारोह आयोजित किया। वहां नीरज को भरपूर स्नेह मिला।
मालिनी अवस्थी ने तो बेटे की तरह दुलार करते हुए नीरज को गले से लगाकर चूम लिया। मालिनी का नीरज से कुछ ही छोटा बेटा है, जो विधि का छात्र है। उन्होंने नीरज को देश की लाठी (बेटा) बताया। मालिनी नीरज के हिंदी प्रेम पर मोह गईं। उत्तर प्रदेश में बेटे को लोग बुढ़ापे की लाठी मानते हैं। हरियाणा में नीरज के घर पर चौपाल में बैठे एक बुजुर्ग से किसी ने कहा, भाला लेकर आया करो ईब। ताऊ ने कहा, बेटै। नीरज म्हारी लाठी है। उसकी लाठी में लगे भाले ने हमारा मान बढ़ाया है।
जैसे सीधे महीपाल, वैसी सीधी बात
ग्रामीण हलके से भाजपा के विधायक हैं महीपाल ढांडा। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। हरियाणा में लगातार दूसरी बार जीतने वाले पार्टी के इकलौते जाट नेता। उनके बारे में कहा जाता है कि वह सीधी बात करते हैं। गोलमोल न समझते और न कहते। सियासी खिलाड़ी उनके इसके खेल को समझ नहीं पाते। फिलहाल, मामला नगर निगम का है। प्रधानमंत्री आवास योजना सहित कई कार्यों के लिए उन्होंने राकेश कादियान को नगर निगम में नियुक्त करा दिया। शहर के विधायक प्रमोद विज ने कादियान का नाम नहीं लेते हुए कहा था कि किसी भ्रष्टाचारी अफसर को यहां नहीं रहने देंगे। विज ने ये भी कहा कि पता नहीं कैसे सेटिंग से आ गया अफसर। ढांडा ने विज को ही साफ कह दिया, मैंने कादियान को लगवाया है। आप चाहें तो हटवा दें। मेरे ग्रामीण हलके के काम अटके हैं। काम करने वाले अफसर ले आएं या इन्हें करने दें।
जोत से जोत मिलाते चलो
धार्मिक आयोजन भी कप्तानी की चाह में एक नहीं हो रहे। दरअसल, पानीपत में पहले एक सावन जोत यात्रा निकलती थी। हरिद्वार में मिलकर जोत को प्रवाहित करते। लेकिन दो गुट बन गए। एक तहसील कैंप और दूसरा माडल टाउन। दोनों अलग-अलग यात्राएं निकालते हैं। दोनों ही विधायक और सांसद को बुलाते हैं। हरिद्वार में भी दोनों अलग-अलग ही गंगा में जोत प्रवाहित करते हैं। परंपरा बदली तो हरिद्वार में चर्चा हुई। संतों ने समझाया। कप्तानों को मनाने का प्रयास किया। पर कोई टस से मस नहीं हुआ। विकल्प भी दिया है कि आप चाहें तो पानीपत में दो यात्राएं निकाल लें, हरिद्वार में एक यात्रा निकालें। जोत से जोत मिलाते चलो। एक ही जोत को मां गंगा को अर्पित करें। फिलहाल तो ये दूरियां मिटती दिखती नहीं। वैसे दोनों ही दलों के कप्तान हरिद्वार जाते रहते हैं। संतों की संगत में रहे तो जोत से जोत मिल ही जाएगी।
गब्बर जैसी ममता
गब्बर जैसी ममता। आप सोच रहे होंगे एक तो गब्बर, फिर ममता। दरअसल, नाम है ममता। काम गब्बर सिंह जैसा। यानी हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज जैसा। करनाल रेंज की आइजी हैं ममता सिंह। पानीपत की एसपी रह चुकी हैं। पानीपत को अच्छे से समझती हैं। हर थाने से वाकिफ हैं। हाल ही उन्होंने चुपचाप थानों का निरीक्षण कर डाला। हैरानी तो ये कि आधी रात के बाद सनौली थाने भी पहुंचीं। हरियाणा उत्तर प्रदेश सीमा पर निगरानी के लिए है ये थाना। आइजी की रात की ऐसी फिल्डिंग देखकर पुलिस के अच्छे अच्छे खिलाड़ियों के पसीने छूटने ही थे। ममता सिंह ने साफ कहा भी, ऐसी चेकिंग आगे भी होती रहेंगी। अपराधी बचना नहीं चाहिए। वैसे जाते जाते आइजी ने पानीपत के कई थाने की टीमों को सराहा भी। अब जिन्हें सराहा, वे एक दूसरे तक अपनी वाहवाही सुना ही रहे हैं। साथ ही कह रहे हैं, संभलकर रहना।