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प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग अब नहीं बचेंगे भारी जुर्माने से, धूल भी उड़ी तो होगी मुसीबत Panipat News

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण पर अंकुश के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान तैयार की गई है। जो उद्योग प्रदूषण फैला रहे हैं उन पर एक करोड़ का जुर्माना होगा।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 05:08 PM (IST)
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग अब नहीं बचेंगे भारी जुर्माने से, धूल भी उड़ी तो होगी मुसीबत Panipat News
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग अब नहीं बचेंगे भारी जुर्माने से, धूल भी उड़ी तो होगी मुसीबत Panipat News

पानीपत, [अरविन्द झा]। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली एनसीआर के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया है। प्रदूषण का अलग-अलग ग्रेड निर्धारित कर उसी के हिसाब से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की राशि तय कर दी है। सीपीसीबी के मानकों का उल्लंघन करने पर उद्योगों को अधिकतम एक करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति राशि बोर्ड कार्यालय में जमा करानी होगी।

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सीपीसीबी के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदूषण घटने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। एनसीआर में पड़ते पानीपत, सोनीपत, बहादुरगढ़, गुरुग्राम और फरीदाबाद में तमाम प्रयासों के बावजूद पीएम 2.5, पीएम 10 और एयर क्वालिटी इंडेक्स में कोई खास सुधार नहीं हो रहा है। सीपीसीबी ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के लिए ग्रेडिंग रिस्पांस सिस्टम एक्शन प्लान (जीआरएसएपी) तैयार किया है। 

रखेंगे नजर 

स्टेट पॉल्यूशन बोर्ड के अधिकारी इन जिलों में संचालित उद्योगों पर नजर रख प्रदूषण गतिविधियों का साक्ष्य जुटाएंगे। एक्शन प्लान के अनुरूप पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि जमा कराने का नोटिस भेजेंगे। यह राशि अधिकतम एक करोड़ और न्यूनतम 10 लाख रुपये है।

इस तरह तय होगा जुर्माना

सीपीसीबी मुख्यालय से जारी निदेर्शों के मुताबिक ऐसी औद्योगिक इकाइयां जिनसे उत्सर्जित होने वाले प्रदूषित पदार्थ से पर्यावरण में आपातकाल जैसे हालात पैदा होने की संभावना बनती है, उन पर क्षतिपूर्ति राशि एक-एक करोड़ रुपये होगी। सामान्य से थोड़ा अधिक (पूअर श्रेणी) होने पर 10 लाख रुपये, उससे थोड़ा अधिक होने पर 25 लाख और कई गुणा ज्यादा प्रदूषण होने पर 50 लाख रुपये देना होगा। आयल कंपनियों के आउटलेट पर वैपर रिकवरी सिस्टम (वीआरएस) इंस्टाल न होने पर एक करोड़ जुर्माना लगेगा। बीस हजार वर्ग मीटर से अधिक वाले निर्माणाधीन साइटों पर प्रदूषण पाए जाने पर इसी तरह अधिकतम एक करोड़ से न्यूनतम दस लाख रुपये जुर्माना देना होगा। 

पानी का छिड़काव न करने पर जुर्माना 25 लाख 

औद्योगिक एरिया में कच्ची सड़कों पर उडऩे वाले धूल भी प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारक हैं। स्मॉग के दौरान सांस के मरीजों के लिए ये परेशानी पैदा करते हैं। सीपीसीबी के एक्शन प्लान में कहा गया है कि फैक्ट्रियों के सामने कच्ची सड़क पर जहां ज्यादा धूल (हॉट स्पॉट) उड़ते हैं पानी का छिड़काव न करने पर 25 लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है। अन्य जगहों पर यह राशि न्यूनतम 10 लाख रुपये होगी। 

पर्यावरण क्षतिपूर्ति फंड में जमा कराएंगे राशि 

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान में दिए शर्तों का उल्लंघन करने पर औद्योगिक इकाइयों से ली गई जुर्माने की राशि पर्यावरण क्षतिपूर्ति फंड में जमा कराई जाएगी। पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए इस राशि का उपयोग किया जा सकेगा। 


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