पर्यावरण के लिए सरकार से लेकर सिस्टम तक से लड़े, फिर जो हुआ उसके दूर-दूर तक चर्चे Panipat News
पानीपत रिफाइनरी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में 17.31 करोड़ रुपये जुर्माना भर दिया है। यह जुर्माना यहां के पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करने का आदेश हैैं।
पानीपत, जेएनएन। सिठाना के सरपंच सतपाल का संघर्ष रंग लाया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) तक लड़ी जंग से अब सिठाना के ग्रामीणों को रिफाइनरी के प्रदूषण से राहत मिल जाएगी। रिफाइनरी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में 17.31 करोड़ रुपये जुर्माना भर दिया है। यह जुर्माना यहां के पर्यावरण संरक्षण पर खर्च करने का आदेश है। एनजीटी की यह कार्रवाई पानीपत प्रशासन के लिए भी सख्ती का संकेत है।
प्रशासन की दलीलें भी काम न आई
सिठाना और बोहली गांव रिफाइनरी से सटे हैं। केमिकलयुक्त पानी छोड़े जाने से इन दोनों गांवों का भूजल स्तर प्रदूषित हो गया। लोग बीमार पड़ने लगे। प्रदूषण की शिकायत लेकर जब रिफाइनरी के अधिकारियों के पास पहुंचते तो कोई सुनने को तैयार नहीं होता था। सरपंच सतपाल ने हिम्मत कर रिफाइनरी प्रबंधन के खिलाफ एनजीटी में शिकायत दी। केमिकलयुक्त जल के पुख्ता साक्ष्य भी उपलब्ध कराए। एनजीटी में केस जाने के बाद सिठाना गांव में पांच-छह अधिकारियों की टीम पहुंची। पानीपत के तत्कालीन सीटीएम शशि वसुंधरा नोडल अधिकारी बन कर सरपंच की शिकायत मामले की जांच करने गईं। टीम ने पानी के सैंपल भरे। लोगों ने अपना दर्द बयां किया। लैब में सैंपल फेल हो गए। एनजीटी ने प्रशासन को हर्जाने की कैलकुलेशन कराने को कहा। रिफाइनरी प्रबंधन सफाई देता रहा कि 17.31 करोड़ का जुर्माना गलत है, लेकिन दलील कमजोर पड़ गई।
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शिकायत की नौबत क्यों आई
रिफाइनरी की तरफ से टैंकर में रंगीन दूषित पानी भर कर खेतों में छोड़ा जा रहा था। ग्रामीणों ने इस बात की सूचना सरपंच सतपाल को दी। मौके पर पहुंचे सरपंच ने मना किया। टैंकर चालक नहीं माना तो रिफाइनरी के अधिकारियों से बातचीत की। टालमटोल करने पर मामला एनजीटी में डाल दिया।
रिफाइनरी प्रबंधन ने अपनाए हथकंडे
सरपंच के इस कदम पर बीते 2018 में रिफाइनरी के अफसरों ने आरोप लगाया कि आसपास के ग्राम सरपंच ठेका देने के लिए दबाव बनाते हैं। जब उसमें सफल नहीं होते तो जान बूझकर प्रदूषण का बहाना बना शिकायत करते हैं। एनजीटी के फैसले से अफसरों के आरोप हवाई साबित हुए।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड साधे रहा चुप्पी
औद्योगिक नगरी पानीपत में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का काम प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों पर कार्रवाई का है। बोर्ड के अधिकारी रिफाइनरी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से सांठगांठ कर शिकायतें दबाते रहे। सार्वजनिक क्षेत्र के नवरत्नों में शुमार आइओसीएल के खिलाफ एक्शन लेने में चुप्पी साधे रखी। प्रशासन के समक्ष लोग जब शिकायत लेकर जाते तो बोर्ड के अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती कर देते थे। इसका फायदा उठाकर 1998 में स्थापना के बाद से प्रदूषण फैलाने का सिलसिला चलता रहा। इसके बाद ददलाना, बोहली और सिठाना की ग्राम पंचायतें खुलकर रिफाइनरी के खिलाफ में आ गईं।
कष्ट निवारण समिति में भी पहुंचा था मामला
रिफाइनरी में सुरक्षा और प्रदूषण का मामला जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में चेयरमैन अनिल विज के समक्ष भी उठा था। शिकायतकर्ता ने ब्वॉयलर में खामियों की 81 पेज की रिपोर्ट तत्कालीन डीसी चंद्रशेखर खरे को सौंपी थी। विज ने तीन माह में जांच रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे। पानीपत प्रशासन ने उस रिपोर्ट को दबा दिया। पानीपत प्रशासन से कार्रवाई न होने पर रिफाइनरी के नियम व मानकों का उल्लंघन करते रहे।
14 पेज की रिपोर्ट पर दिए फैसला
एनजीटी के 14 पेज की रिपोर्ट को आधार मान कर ज्वाइंट कमेटी ने कंपनसेशन की गणना की। उसी आधार पर 17.31 करोड़ रुपये का जुर्माना रिफाइनरी पर लगाया गया। जुर्माने से बचने के लिए रिफाइनरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीट कोर्ट ने एनजीटी के फैसले को सही ठहराया। 15 दिनों में जुर्माना भरने के आदेश दिए। 12 जुलाई को रिफाइनरी ने 17.31 करोड़ रुपये जुर्माना भर दिया।
छह माह से पीटीए प्लांट बंद
प्रदूषण फैलानी वाली प्योरीफाइड टेरी पेथैलिक एसीड (पीटीए) प्लांट छह महीने से बंद पड़ा है। प्लांट का पानी गांव में जाता था। अब इस प्लांट को करने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन साथ ही ड्रेन में पानी नहीं डालने की शर्त भी लगाई गई है। अब रिफाइनरी को अपना सिस्टम दुरुस्त करना पड़ेगा। ग्रीन बेल्ट एरिया कम रिफाइनरी के आसपास कई बड़ी कंपनियां है। उन कंपनियों को पर्यावरण हरा-भरा रखने के लिए ग्रीन बेल्ट विकसित करना है, लेकिन कई कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने दो-चार पौधे लगा रखे हैं। ग्रीन बेल्ट के मानक पर खरे नहीं उतरते हैं।
अंतिम सुनवाई 20 को
सिठाना के सरपंच सतपाल का कहना है कि एनजीटी ने इतनी बड़ी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की है। उससे हम संतुष्ट है। भविष्य में भी प्रदूषण न फैले यह सुनिश्चित होना चाहिए। फिलहाल छह माह से प्लांट बंद है। 20 अगस्त को इस मामले में अंतिम सुनवाई होगी।
5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिफाइनरी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 17.31 करोड़ रुपये का जुर्माना भर दिया है। रिफाइनरी में अब इस तरह का केस सामने नहीं आएगा।
- राकेश रोशन, जनसंपर्क व संचार अधिकारी, पानीपत रिफाइनरी।
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